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उत्तराखंड: वन्यजीव प्रभावित क्षेत्रों में स्कूली बच्चों को 'एस्कॉर्ट' सुविधा, सीएम धामी ने दिए निर्देश

सीएम धामी ने अधिकारियों को निर्देश दिए कि मानव-वन्यजीव संघर्ष को खत्म करने के लिए वन विभाग और प्रशासन के स्तर पर प्रभावी प्रयास किए जाएं.

उत्तराखंड: वन्यजीव प्रभावित क्षेत्रों में स्कूली बच्चों को 'एस्कॉर्ट' सुविधा, सीएम धामी ने दिए निर्देश
देहरादून:

उत्तराखंड में मानव-वन्यजीव संघर्ष की बढ़ती घटनाओं, खासकर तेंदुए और भालू के हमलों के मद्देनजर राज्य सरकार ने एक बड़ा फैसला लिया है. अब वन्यजीवों से प्रभावित क्षेत्रों में स्कूली बच्चों को स्कूल आने-जाने के लिए एस्कॉर्ट (सुरक्षाकर्मी) सुविधा उपलब्ध कराई जाएगी. CM पुष्कर सिंह धामी ने सचिवालय में वन विभाग की समीक्षा बैठक के दौरान अधिकारियों को यह निर्देश दिया. यह फैसला इसलिए लिया गया है क्योंकि पौड़ी, चमोली और रुद्रप्रयाग जैसे जिलों में बच्चे डर के मारे झुंड में स्कूल जाने को मजबूर हैं, और ग्रामीण भी खेती-बाड़ी या चारा पत्ती लाने के लिए देर शाम घर से नहीं निकल पा रहे हैं.

सीएम के कड़े निर्देश और डीएफओ पर कार्रवाई
सीएम धामी ने अधिकारियों को निर्देश दिए कि मानव-वन्यजीव संघर्ष को खत्म करने के लिए वन विभाग और प्रशासन के स्तर पर प्रभावी प्रयास किए जाएं. उन्होंने निम्नलिखित निर्देश दिए:

  • यह सुनिश्चित किया जाए कि घटना की सूचना मिलने के 30 मिनट के अंदर वन विभाग की टीम मौके पर पहुंचे. इसके लिए संबंधित डीएफओ और रेंजर की जिम्मेदारी तय की जाएगी.
  • जिन क्षेत्रों में जंगली जानवरों का अधिक भय है, वहां स्कूली बच्चों को स्कूल छोड़ने और घर तक लाने के लिए वन विभाग और जिला प्रशासन द्वारा एस्कॉर्ट की व्यवस्था की जाए.
  • पौड़ी जिले में बढ़ती घटनाओं के कारण वहां के डीएफओ को तत्काल प्रभाव से हटाने के निर्देश दिए गए हैं.
  • मानव-वन्यजीव संघर्ष में कमाने वाले व्यक्ति की मृत्यु होने पर प्रभावित परिवार को आर्थिक सहायता देने के लिए दो सप्ताह के अंदर नीति बनाकर प्रस्तुत की जाए.

स्थायी समाधान और नई तकनीक पर जोर
राज्य सरकार ने कहा कि उनकी पहली जिम्मेदारी लोगों के जीवन को बचाना है, जिसके लिए नई तकनीक के इस्तेमाल पर विशेष ध्यान दिया जाए. उन्होंने जंगली जानवरों को आबादी क्षेत्रों में आने से रोकने के लिए स्थायी समाधान पर जोर दिया. इसके अलावा, संवेदनशील क्षेत्रों में कैमरों के माध्यम से निगरानी रखने, वन कर्मियों द्वारा ग्रामीणों से संवाद मजबूत करने और बस्तियों के आस-पास जंगली झाड़ियों को अभियान चलाकर साफ करने के निर्देश दिए गए. बच्चों और महिलाओं को वन्यजीवों की मौजूदगी के प्रति विशेष तौर पर जागरूक किया जाएगा.

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