तो क्या बिहार (Bihar) की तरह अब यूपी (Uttar Pradesh) भी मखाना के लिए मशहूर हो सकता है? बिहार के मिथिलांचल में सबसे अधिक मखाने की खेती होती है. देश का 85% मखाना का उत्पादन बिहार में होता है. मखाना पानी में होता है. पहले तो हाथ से ही बीज से मखाना निकाला जाता था, जिसमें दो से तीन दिन लग जाते थे. पर अब मशीनों से से काम कुछ घंटों में ही हो जाता है. यूपी की योगी सरकार अब बड़े पैमाने पर मखाना की खेती कराने की तैयारी में है.
यूपी का मुख्यमंत्री बनने के कुछ ही दिनों बाद योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) बिहार के दरभंगा गए थे. वहीं सबसे पहले उन्होंने मखाना की खेती पर चर्चा की थी, लेकिन इस पर बात आगे नहीं बढ़ सकी. अब इस मामले में योगी सरकार ने कुछ फ़ैसले लिए हैं. प्रदेश की सरकार ने मखाने की खेती को बढ़ावा देने के लिए नई योजना शुरू की है. इसके तहत तहत किसानों को प्रति हेक्टेयर 40 हजार रुपये की सब्सिडी दी जाएगी.
यूपी के 18 जिलों में इस नई योजना की शुरूआत की गई है. योजना का मकसद दो तरह का है. नौकरी के अवसर बनाने के साथ-साथ किसानों की आय बढ़ाने की भी तैयारी है. योजना का लाभ लेने के लिए किसानों के रजिस्ट्रेशन कराना होगा. योगी सरकार के उद्यान राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) दिनेश प्रताप सिंह ने बताया कि मखाना खेती की विभाग द्वारा अनुमन्य इकाई की लागत 80 हजार रुपये प्रति हेक्टेयर है. इसमें सरकार 50 प्रतिशत यानी 40 हजार रुपये का अनुदान देगी. इसके लिए किसानों को जिला उद्यान अधिकारी के पास पंजीकरण कराना होगा.
मखाना की खेती के लिए यूपी के 18 ज़िलों को चुना गया है. योजना के तहत प्रत्येक ज़िलों में 10 हेक्टेयर मखाना उत्पादन का लक्ष्य रखा गया है. इससे प्रदेश में कुल 180 हेक्टेयर में मखाने की खेती होगी. उत्तर प्रदेश के लखनऊ, वाराणसी, गोरखपुर, अयोध्या, प्रयागराज, सीतापुर, सुल्तानपुर, प्रतापगढ़, जौनपुर, गाजीपुर, बस्ती, संतकबीर नगर, सिद्धार्थ नगर, बलिया, कुशीनगर, महाराजगंज, मिर्जापुर, बरेली में इस योजना को लागू किया जा रहा है. इन जिलों में मखाने की खेती के लिए उपयुक्त जलवायु और संसाधन उपलब्ध हैं. यहां तालाबों और निचले क्षेत्रों में जलभराव की स्थिति मखाना उत्पादन के लिए अनुकूल है.
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