दीवाली के मौके पर घरों व दुकानों को जगमगाने के लिए लोग चीनी लाइटिंग का काफी प्रयोग में करते रहे हैं, लेकिन इस बार लोगों में देसी दीये यूज करने के लिए ज्यादा क्रेज दिखाई दे रहा है. वजह बिल्कुल साफ है कि पिछले कुछ महीनों से भारत-चीन के बीच विवाद के चलते चीनी सामानों का विरोध कर रहे हैं. इसी वजह से अब स्थानीय दुकानदार व कुम्हार लोग दीवाली के मौके पर परंपरागत मिट्टी और गाय के गोबर के दीये बेच रहे हैं.
Aligarh: Shree Guru Gaushala in the city is making lamps & idols out of cow-dung, ahead of #Diwali. Its manager says, "We aim to make the Gaushala self reliant & provide employment to migrant labourers who returned here. We also aim to promoting such products over Chinese goods." pic.twitter.com/L1dr6NLPYX
— ANI UP (@ANINewsUP) November 11, 2020
यूपी के अलीगढ़ में दीवाली के मौके पर श्री गुरु गौशाला द्वारा गाय के गोबर के दीये और मूर्ति बनाए जा रहे हैं. इसके प्रबंधन ने न्यूज एजेंसी भाषा से कहा कि हम गौशाला को आत्मनिर्भर बनाना चाहते हैं और वापस लौटने वाले प्रवासी मजदूरों को रोजगार भी मिल सके. हमारा उद्देश्य है कि ऐसे सामग्रियों को चीनी सामानों से अधिक बढ़ावा मिले.
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बता दें कि आनेवाले हफ्ते में कई त्योहार एकसाथ हैं. इस कड़ी में धनतेरस (Dhanteras), दिवाली (Diwali), गोवर्द्धन पूजा (Govardhan Puja), नरक चतुदर्शी (Narak Chaturdashi) और भैयादूज (Bhaiya Dooj) शामिल है. ये सभी त्योहार हिंदू धर्म में बेहद महत्वपूर्ण होते हैं और सभी का अपना अलग महत्व भी होता है.
धनतेरस पांच दिन तक चलने वाले दीपावली (Deepawali) पर्व का पहला दिन है. इसे धनत्रयोदशी (Dhantrayodashi), धन्वंतरि त्रियोदशी (Dhanwantari Triodasi) या धन्वंतरि जयंती (Dhanvantri Jayanti) भी कहा जाता है. इसके बाद दीपों का त्योहार दिवाली और भगवान कृष्ण ने इंद्र देवता के घमंड को चूर-चूर पर गोवर्धन पर्वत की पूजा करने वाला पर्व यानी गोवर्द्धन पूजा की जाती है. फिर आता है भाई-बहन के अपार प्रेम और समर्पण का प्रतीक का पर्व भैया दूज.
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