- मानव अधिकार आयोग ने बेंगलुरु में बेटी की मृत्यु के बाद रिश्वत मांगने के मामले का स्वतः संज्ञान लिया
- आयोग ने कर्नाटक के मुख्य सचिव और पुलिस महानिदेशक को दो सप्ताह में विस्तृत रिपोर्ट देने का नोटिस जारी किया
- रिपोर्ट के अनुसार, पिता को एम्बुलेंस, पुलिस, श्मशान कर्मचारी और नगर निगम अधिकारियों को रिश्वत देनी पड़ी
राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग (NHRC) ने बेंगलुरु में बेटी की मृत्यु के बाद पिता द्वारा एम्बुलेंस चालक, पुलिस, श्मशान कर्मचारियों और नगर निगम के अधिकारियों को कथित तौर पर रिश्वत दिए जाने के मामले को गंभीरता से लेते हुए कर्नाटक सरकार से जवाब मांगा है. मीडिया की ख़बरों का हवाला देते हुए NHRC ने इस मामले में कर्नाटक के मुख्य सचिव और पुलिस महानिदेशक को नोटिस जारी कर 2 सप्ताह के भीतर मामले की विस्तृत रिपोर्ट मांगी है. मंगलवार को NHRC ने एक प्रेस नोट जारी ये जानकारी सार्वजनिक की है.
NHRC ने लिया मामले का स्वत: संज्ञान
NHRC ने प्रेस नोट में कहा, "राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) ने एक मीडिया रिपोर्ट का स्वतः संज्ञान लिया है जिसमें बताया गया कि अपनी इकलौती बेटी की मृत्यु पर शोकग्रस्त 64 वर्षीय पिता को कर्नाटक के बेंगलुरु में एम्बुलेंस चालक, पुलिस, श्मशान कर्मचारियों और नगर निगम के अधिकारियों सहित हर कदम पर रिश्वत देने के लिए विवश किया गया. 30 अक्टूबर, 2025 को प्रकाशित इस मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, जो एक संस्कारपूर्ण विदाई होनी चाहिए थी, वह भ्रष्टाचार, नौकरशाही और अमानवीयता के दुःस्वप्न में बदल गई."
मानवाधिकारों के उल्लंघन का गंभीर मुद्दा
NHRC का मानना है कि मीडिया में छपी ख़बरें अगर सही हैं तो यह मानवाधिकारों के उल्लंघन का गंभीर मुद्दा है. इसलिए, आयोग ने कर्नाटक के मुख्य सचिव और पुलिस महानिदेशक को नोटिस जारी कर दो सप्ताह के भीतर मामले की विस्तृत रिपोर्ट मांगी है. ख़बरों के मुताबिक, बेंगलुरु में कार्यरत एक आईआईटी मद्रास और आईआईएम अहमदाबाद स्नातक महिला को 18 सितंबर, 2025 को ब्रेन हेमरेज हुआ था. जब पिता ने अपनी बेटी की मृत्यु के बाद एम्बुलेंस बुलाई, तो एम्बुलेंस चालक ने सेवाओं के लिए अधिक पैसे वसूले. जब उसने पुलिस को अपनी बेटी की मृत्यु की सूचना दी, तो उन्होंने रिश्वत देने के बाद ही एफआईआर और पोस्टमार्टम रिपोर्ट की प्रतियां दीं.
श्मशान घाट पर कैसे की गई पैसे की मांग
NHRC के मुताबिक, "मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, मृतका के परिवार ने दाह संस्कार से पहले लड़की की आंखें दान कर दीं. श्मशान घाट पर फिर से पैसे की मांग की गई, जिसका भुगतान पिता ने किया. महादेवपुरा नगर निगम अधिकारियों द्वारा मृत्यु प्रमाण पत्र जारी करने में भी अत्यंत देरी हुई. एक वरिष्ठ अधिकारी के हस्तक्षेप के बावजूद, पिता द्वारा रिश्वत देने के बाद ही प्रमाण पत्र जारी किया गया."
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