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'वंदे मातरम्' एक चक्रव्यूह, क्या बच पाएंगी ममता बनर्जी ?

बंकिमचंद्र बंगाल रेनेसांस के प्रमुख स्तंभ थे राजा राममोहन राय, ईश्वरचंद्र विद्यासागर के साथ उन्होंने बंगाली समाज में सामाजिक सुधार, शिक्षा और राष्ट्रीय चेतना को बढ़ावा दिया . उनकी रचनाएँ हिंदू धर्म, इतिहास और भारतीयता की खोज का माध्यम बनीं.

'वंदे मातरम्' एक चक्रव्यूह,  क्या बच पाएंगी ममता बनर्जी ?

बीते दिनों प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने मन के बात कार्यक्रम में वंदे मातरम् गीत की चर्चा की . प्रधानमंत्री ने कहा कि, "राष्ट्र भक्ति, माँ भारती से प्रेम, ये अगर शब्दों से परे की भावना है तो वंदे मातरम उस अमूर्त भावना को साकार स्वर देने वाला गीत है. इस की रचना बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय जी ने की सदियों की ग़ुलामी से शिथिल हो चुकी भारत में नए प्राण फ़ुकने के लिए किया था." प्रधानमंत्री ने बताया कि बंकिमचंद्र चट्टोपाध्याय द्वारा 19वीं शताब्दी में रचित यह गीत वेदों की भावना ‘माता भूमि: पुत्रो अहं पृथिव्या:' धरती हमारी माता है, और मैं उनका पुत्र हूं से जुड़ा है.

पीएम ने अपील की कि 7 नवंबर 2025 से शुरू हो रहे 150वें वर्ष के उत्सव को यादगार बनाएं और आने वाली पीढ़ियों तक इसके संस्कारों को पहुंचाएं. उन्होंने लोगों से #वंदेमातरम150 हैशटैग के साथ सुझाव भेजने का आह्वान भी किया. इसके अलावा, उन्होंने वंदे मातरम को स्वतंत्रता संग्राम के नायकों की प्रेरणा बताया, जो आजादी की लड़ाई में प्राणों की आहुति देने का जज्बा जगाता था.

'150वें साल पूरे होने का उत्सव शुरू करना'

पीएम मोदी ने बताया कि 7 नवंबर 2025 से वंदे मातरम के 150 साल का उत्सव शुरू हो रहा है, और इसे राष्ट्रीय स्तर पर यादगार बनाने की अपील की.

'नई पीढ़ी को संस्कार देना'

पीएम ने कहा कि आने वाली पीढ़ियों तक वंदे मातरम के संस्कार पहुंचाने की जिम्मेदारी हमारी है. इसके लिए लोगों से #वंदेमातरम150 हैशटैग के साथ सुझाव मांगे.

'राष्ट्रीय गीत की गरिमा को रेखांकित करना'

पीएम ने इसे भारत का राष्ट्रीय गीत बताया और कहा कि इसके हर शब्द में मां भारती के प्रति प्रेम, कर्तव्य और बलिदान की भावना समाई है. यह वेदों की भावना से भी जुड़ा है.

'स्वतंत्रता संग्राम से जोड़कर प्रेरणा देना'

उन्होंने याद दिलाया कि स्वतंत्रता सेनानियों के लिए यह गीत प्राण त्यागने का संकल्प जगाता था, और आज भी यह राष्ट्रप्रेम की लौ जलाए रखता है.

बंगाल में बंकिमचंद्र चटर्जी का क्या है महत्व?

बंकिमचंद्र चटर्जी पश्चिम बंगाल के साहित्य, संस्कृति और राष्ट्रवाद के इतिहास में एक बेहद महत्वपूर्ण और प्रतीकात्मक व्यक्तित्व हैं. जिनका पश्चिम बंगाल के संस्कृति के साथ साथ आम जनता के मन मस्तिष्क पर भी गहरा प्रभाव है .

बंगाली साहित्य के पितामह हैं बंकिमचंद्र

  • बंकिमचंद्र को आधुनिक बंगाली गद्य का जनक माना जाता है. उन्होंने बंगाली उपन्यास को विश्व प्रसिद्ध बनाया .
  • आनंदमठ (1882) में शामिल वंदे मातरम गीत ने बंगाली साहित्य को राष्ट्रवादी चेतना से जोड़ा.

वंदे मातरम और राष्ट्रवाद

  • वंदे मातरम पश्चिम बंगाल के स्वतंत्रता संग्राम का प्रतीक गीत बना.
  • बंग-भंग आंदोलन (1905) में यह गीत जन-जन का नारा बना.
  • कोलकाता और पूरे पश्चिम बंगाल में आज भी स्वदेशी आंदोलन और राष्ट्रप्रेम की याद में इसे गाया जाता है.

बंगाल पुनर्जागरण में योगदान

बंकिमचंद्र बंगाल रेनेसांस के प्रमुख स्तंभ थे राजा राममोहन राय, ईश्वरचंद्र विद्यासागर के साथ उन्होंने बंगाली समाज में सामाजिक सुधार, शिक्षा और राष्ट्रीय चेतना को बढ़ावा दिया . उनकी रचनाएँ हिंदू धर्म, इतिहास और भारतीयता की खोज का माध्यम बनीं.

पश्चिम बंगाल की सांस्कृतिक पहचान

पश्चिम बंगाल में बंकिमचंद्र की जयंती 26 जून को साहित्यिक समारोहों में मनाया जाता है. कोलकाता में बंकिमचंद्र चटर्जी स्ट्रीट उनके नाम पर है. कई स्कूल, कॉलेज, सड़कें और संस्थान उनके नाम से जुड़े हैं. आनंदमठ पर आधारित नाटक, फिल्में और गीत आज भी लोकप्रिय हैं और लोगों के दिलों दिमाग पर छाया हुआ है .

पश्चिम बंगाल में बंकिमचंद्र चटर्जी सिर्फ एक लेखक नहीं, बल्कि बंगाली गौरव, राष्ट्रवाद और साहित्यिक परंपरा के प्रतीक हैं. वंदे मातरम आज भी पश्चिम बंगाल की आत्मा में गूंजता है.

बंगाल में बीजेपी रचेगी चक्रव्यूह

पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव 2026 में बीजेपी अपनी राष्ट्रवादी विचारधारा को मजबूत करने के लिए वंदे मातरम को एक प्रमुख चुनावी हथियार के रूप में इस्तेमाल करने की रणनीति बना रही है. यह गीत न केवल राष्ट्रीय गीत के रूप में सम्मानित है, बल्कि बीजेपी इसे हिंदू एकता, बंगाली संस्कृति और TMC सरकार के खिलाफ ध्रुवीकरण का प्रतीक बनाकर वोटरों को लामबंद करने की कोशिश करेगी. हाल के संगठनात्मक बैठकें जैसे अक्टूबर 2025 में भूपेंद्र यादव की बैठक और पार्टी नेताओं के बयानों से यह साफ है कि बीजेपी 2021 के 77 सीटों से आगे बढ़ने के लिए 5-10% अतिरिक्त हिंदू वोटों पर नजर रखे हुए है.

TMC पर ‘बंगाली संस्कृति विरोधी' होने का आरोप लगाना

बीजेपी वंदे मातरम को बंकिमचंद्र चट्टोपाध्याय की विरासत से जोड़कर TMC पर हमला बोलेगी. जैसे जुलाई 2025 में BJP राज्य अध्यक्ष समिक भट्टाचार्य ने कहा कि TMC रवींद्रनाथ टैगोर, वंदे मातरम और बंकिमचंद्र के कार्यों पर हमला कर रही है. यह आरोप TMC को “बंगला-विरोधी” साबित करने के लिए इस्तेमाल होगा, जो बंगाली हिंदू वोटरों को बीजेपी के पक्ष में करेगा.

रणनीति - रैलियों , छोटे छोटे कार्यक्रमों और सोशल मीडिया के जरिए जम कर प्रचार किया जाएगा , बीजेपी गली गली अपने कार्यकर्ताओं के जरिए वंदे मातरम् गीत और बंकिमचंद्र चटर्जी का प्रचार करेगी और TMC को “हिंदू-विरोधी” दिलायेगी . बीजेपी बंगाली पहचान को राष्ट्रवाद से जोड़ने का पूरा प्रयास करेगी .

हिंदू ध्रुवीकरण के तहत वोट शिफ्ट

BJP वंदे मातरम को हिंदू वोटों को एकजुट करने का माध्यम बनाएगा. पार्टी का नारा “हिंदू हिंदू भाई भाई, 2026 BJP चाही” इसी दिशा में है. वंदे मातरम को दुर्गा-लक्ष्मी-सरस्वती की स्तुति के रूप में पेश कर कांग्रेस/TMC के “अधूरे गीत” वाले इतिहास को उजागर किया जाएगा. इस पूरे प्रक्रिया में TMC के मुस्लिम वोट बैंक को बीजेपी कमजोर करने की कोशिश करेगी साथ ही 5-8 प्रतिशत बंगाली हिंदू वोटों को अपने पक्ष में करने का प्रयास करेगी .

रैलियां, कैंपेन और डिजिटल प्रचार में वंदे मातरम गीत का प्रचार

  • बीजेपी के बड़े नेताओं नरेंद्र मोदी और अमित शाह की रैलियों में वंदे मातरम को क्लोजिंग एंथम के रूप में गाया जाएगा. वंदे मातरम को “मां माटी मानुष” के खिलाफ “भारतीयता का प्रतीक” बताया जाएगा.
  • ट्विटर पर, फेसबुक पर #वंदेमातरम150 ट्रेंड होगा . ममता बनर्जी के मुस्लिम प्रेम और हिंदू विरोधी मानसिकता को बीजेपी ट्रेंड करवाएगी .
  • RSS के सहयोग से गांव-स्तरीय कार्यक्रम, जहां स्कूलों/मदरसों में अनिवार्य गायन की मांग उठाई जाएगी.

प्रधानमंत्री ने वंदे मातरम् की चर्चा अपने मन की बात कार्यक्रम में कर के इसको एक राष्ट्र व्यापी मिशन के तहत लांच कर दिया है , पूरे देश में इसे बीजेपी और आरएसएस द्वारा बड़े स्तर पर मनाया जाएगा साथ ही

बीजेपी वंदे मातरम को सांस्कृतिक हथियार बनाकर TMC की “बंगाली-हिंदू विरोधी” छवि गढ़ेगी, हिंदू वोटों को ध्रुवीकृत करेगी और कम से कम 10% वोट स्विंग का लक्ष्य हासिल करने का प्रयास करेगी . यह रणनीति 2021 की हार से सबक लेते हुए स्थानीय + राष्ट्रवादी मिश्रण पर आधारित है. 2026 तक यह गीत चुनावी मैदान का केंद्र बिंदु बन सकता है.

पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव 2026 में वंदे मातरम न केवल एक राष्ट्रीय के तौर पर होगा, बल्कि बीजेपी का सबसे मजबूत चुनावी हथियार और टीएमसी का सबसे बड़ा राजनीतिक खतरा बन चुका होगा . यह गीत बंगाली संस्कृति, हिंदू राष्ट्रवाद और ममता बनर्जी की “बंगला-विरोधी” छवि के बीच का केंद्र बिंदु है. बीजेपी 7 नवंबर को इस कैंपेन की शुरुआत करेगी और अगले दो महीनों में पूरे देश के साथ साथ बंगाल में जम कर इसका प्रचार करेगी , ये एक ऐसा चव्यूह टायर होगा जिसमें ममता बनर्जी बुरी तरीके से फँस सकती हैं क्योंकि ये गीत बंगाली हिंदुओं का गौरव का विषय होगा , बंकिमचंद्र चटर्जी के गौरव का विषय होगा और ममता के लिए मुस्लिम वोट और वंदेमातरम गीत को एक साथ लेकर चल पाने की चुनौती . बीजेपी इस अभियान के तहत टीएमसी के हिंदू वोटरों में सेंध लगाएगी जिससे टीएमसी को भारी नुकसान हो सकता है .

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