
- उत्तर प्रदेश में विवेक मिश्रा नामक व्यक्ति ने खुद को गुजरात कैडर का आईएएस/आईपीएस बताकर 80 करोड़ की ठगी की
- आरोपी पिछले छह वर्षों से नौकरी दिलाने के नाम पर 150 से अधिक लोगों को ठगता रहा है
- विवेक मिश्रा ने खुद को प्रधान सचिव और उसकी बहनों को आईजी पुलिस रैंक का आईपीएस अधिकारी बताया था
उत्तर प्रदेश में फर्जी आईएएस/आईपीएस बनकर ठगी करने का एक और बड़ा मामला सामने आया है. इस बार सीआईडी लखनऊ और चिनहट पुलिस की संयुक्त कार्रवाई में एक ऐसे "नटवरलाल" को गिरफ्तार किया गया है, जिसने खुद को गुजरात कैडर का आईएएस/आईपीएस बताकर 150 से अधिक लोगों से नौकरी दिलाने के नाम पर लगभग 80 करोड़ रुपए की ठगी की है. गिरफ्तार आरोपी की पहचान विवेक मिश्रा के रूप में हुई है. इसे लखनऊ के चिनहट इलाके में कमता बस स्टेशन के पास से पकड़ा गया. आरोप है कि वह पिछले छह सालों से इसी तरह का फर्जीवाड़ा कर रहा था.
गुजरात कैडर का प्रधान सचिव होने का दावा
आरोपी विवेक मिश्रा की पोल तब खुली, जब लखनऊ के विकल्प खण्ड के रहने वाले सुप्रीम कोर्ट के वकील डॉ. आशुतोष मिश्रा ने 2019 में शिकायत दर्ज कराई. आशुतोष मिश्रा ने बताया कि जून 2018 में उनकी मुलाकात विवेक मिश्रा से हुई थी.
शिकायत के अनुसार, विवेक मिश्रा खुद को 2014 बैच का आईएएस अधिकारी बताता था, जिसकी मेल आईडी Kumarvivek.ias@hotmail.com थी. वह दावा करता था कि वह वर्तमान में गुजरात सरकार में प्रधान सचिव के रूप में तैनात है. इतना ही नहीं, उसने यह भी झांसा दिया कि उसकी बहनें निधि मिश्रा और विधि मिश्रा भी गुजरात कैडर में आईजी पुलिस रैंक पर आईपीएस अधिकारी हैं. इन झूठे दावों के दम पर वह सरकारी दफ्तरों में काम कराने और लोगों को प्रतिष्ठित सरकारी नौकरी दिलाने का झांसा देता था.
प्यार और शादी के नाम पर बनाता था जाल
पुलिस की शुरुआती जांच में पता चला है कि यह फ़र्ज़ी अधिकारी अपनी ठगी का जाल बिछाने के लिए एक सुनियोजित रणनीति अपनाता था. वह पहले लड़कियों के प्रोफाइल तलाश करता और कुछ दिनों की दोस्ती के बाद उन्हें शादी के लिए प्रपोज करता था. जब लड़कियां प्रस्ताव स्वीकार कर लेतीं और उन्हें अपने दोस्तों व रिश्तेदारों से मिलवातीं, तो वह उन्हें घर-परिवार के व्हाट्सएप ग्रुप्स में जोड़कर अपनी पहुंच और प्रभाव का प्रदर्शन करता था. लोगों का विश्वास जीतने के बाद, वह उन्हें नौकरी का प्रस्ताव देकर पैसे वसूलता था. लोगों को भरोसा दिलाने के लिए वह कई असली आईएएस और आईपीएस अधिकारियों के नामों का इस्तेमाल भी करता था.
फर्जी नियुक्ति पत्र देकर 80 करोड़ की कमाई
शिकायतकर्ता आशुतोष मिश्रा के अनुसार, इस नटवरलाल ने 150 से अधिक लोगों को बेवकूफ बनाकर करीब 80 करोड़ रुपए की ठगी की है. आशुतोष को जब शक हुआ, तो उन्होंने खुद को नौकरी का उम्मीदवार बताकर इस फ़र्ज़ी आईएएस से मुलाकात की. विवेक मिश्रा ने ₹5 लाख में डील फाइनल की, जिसमें ₹1 लाख पेशगी और ₹4 लाख बाद में देने थे. अक्टूबर 2018 में उसने गृह मंत्रालय, गुजरात सरकार के तहत जनसंपर्क अधिकारी के रूप में एक नियुक्ति पत्र दिया. इसके बाद, अप्रैल 2019 में डिप्टी एसपी (स्पोर्ट्स कोटा) के पद के लिए एक और नियुक्ति पत्र थमाया गया. पुलिस जांच में ये सभी नियुक्ति पत्र फर्जी पाए गए.
इसके बाद चिनहट थाने में मुकदमा दर्ज कराया गया, और अब जाकर यह फ़र्ज़ी आईएएस/आईपीएस पुलिस की गिरफ्त में आया है. इस बड़ी गिरफ्तारी ने एक बार फिर ऐसे जालसाज़ों के ख़िलाफ़ कड़ी कार्रवाई की जरूरत को उजागर किया है.
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं