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This Article is From Nov 15, 2016

यूपी में पूर्व मुख्यमंत्रियों को आजीवन सरकारी बंगले आवंटन का मामला : कोर्ट ने नोटिस जारी कर जवाब मांगा

यूपी में पूर्व मुख्यमंत्रियों को आजीवन सरकारी बंगले आवंटन का मामला : कोर्ट ने नोटिस जारी कर जवाब मांगा
सुप्रीम कोर्ट
  • सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है.
  • नए कानून को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है.
  • कोर्ट ने राज्य को चार हफ्तों में जवाब देने को कहा है.
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नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश में पूर्व मुख्यमंत्रियों को आजीवन सरकारी बंगले के आवंटन के मामले सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका पर कोर्ट ने राज्य सरकार को नोटिस जारी किया है. सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है.

याचिका में बंगला आवंटन के लिए सरकार के नए कानून को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है. कोर्ट ने राज्य को चार हफ्तों में जवाब देने को कहा है. बता दें कि 1 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने पूर्व मुख्यमंत्रियों को बंगला खाली करने के आदेश दिए थे. इसके बाद यूपी सरकार ने विधानसभा में बिल पास किया था.

दरअसल सुप्रीम कोर्ट के बंगला खाली करने के आदेश के बाद पूर्व मुख्यमंत्री मुश्किल में आ गए थे, लेकिन अखिलेश यादव की सरकार ने विधानसभा में इस बारे में बिल पास कर दिया. यानी पूर्व मुख्यमंत्रियों को हुए बंगलों के आवंटन पर कानूनी मुहर लगा दी गई.

मुलायम सिंह यादव, मायावती, राजनाथ सिंह, एन डी तिवारी, कल्याण सिंह और राम नरेश यादव. ये वे छह दिग्गज हैं जिन्होंने बतौर मुख्यमंत्री यूपी पर राज किया. इन सबको राज्य सरकार की ओर से एक अधिनियम के तहत नाम मात्र के किराये पर बंगले अलॉट हैं. ये बंगले उन्हें बतौर पूर्व मुख्यमंत्री मिले हुए हैं. लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया कि यूपी के सभी पूर्व मुख्यमंत्री अपना सरकारी आवास दो महीने के भीतर खाली कर दें.

दरअसल 1997 में यूपी सरकार ने एक नियम बनाया जिसके तहत सभी पूर्व मुख्यमंत्रियों को सरकारी आवास आवंटित करने का प्रावधान लाया गया. सरकार का तर्क था कि पूर्व मुख्यमंत्री जनता की सेवा करते हैं इसलिए उन्हें ये सुविधा दी जाती है. सुरक्षा के लिहाज से भी सरकारी आवास देना जरूरी है.

लेकिन, सुप्रीम कोर्ट में दाखिल याचिका में एक गैर-सरकारी संगठन ने कहा कि संविधान में इसका कोई प्रावधान नहीं है. यहां तक कि यूपी के अपने कानून के तहत भी पूर्व मुख्यमंत्रियों को घर देने का कोई प्रावधान नहीं है. ये आदेश रद्द नहीं किया गया तो बाकि राज्य भी ऐसे आदेश जारी कर सकते हैं. सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के बाद इस पर फैसला सुनाया कि वे दो महीने में सरकारी बंगला खाली करें. साथ ही जितने वक्‍त तक ये लोग बंगले में रहे, उतने वक्‍त का वाजिब किराया भी चुकाएं.

सुप्रीम कोर्ट के फैसले से बैकफुट पर आई सरकार ने अब विधानसभा में बिल पास कर अपने फैसले को कानूनी जामा पहना दिया है.

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