- 22 साल की उम्र में वर्ल्ड कप जीतने वाली क्रांति ने ऑस्ट्रेलियाई कप्तान एलिसा हीली को चार बार आउट किया है.
 - क्रांति ने बुंदेलखंड के छोटे गांव घुवारा से निकलकर अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में अपनी पहचान बनाई है.
 - उन्होंने कहा कि वह अपने गांव में लड़कों और लड़कियों के लिए क्रिकेट अकादमी खोलना चाहती हैं.
 
Kranti Goud Inspirational Story: दक्षिण अफ्रीका को हराकर जैसे ही भारतीय महिला टीम ने आईसीसी वनडे वर्ल्ड कप का खिताब अपने नाम किया. पूरे टूर्नामेंट में भारत की जीत के कई नायक रहे, जिनमें क्रांति गौड़ का भी नाम रहा, जिन्होंने सेमीफाइनल में ऑस्ट्रेलियाई कप्तान एलिसा हीली को सस्ते में पवेलियन भेजा. क्रांति की कहानी काफी संघर्ष पूर्ण हैं. उन्होंने बुंदेलखंड के एक छोटे से गांव से निकलकर विश्व स्तर पर अपनी पहचान बनाई है. वहीं भारत के चैंपियन बनने के बाद उन्होंने एनडीटीवी से खास बातचीत की है, जिसमें उन्होंने अपने संघर्ष की कहानी बताई है.
एनडीटीवी के स्पोर्ट्स एडिटर विमल मोहन ने क्रांति से खास बातचीत की है. सिर्फ 5 महीने पहले अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में डेब्यू करने वाली क्रांति गौड़ का ऑस्ट्रेलियाई कप्तान के खिलाफ रिकॉर्ड इतना शानदार है कि वह पांच में से चार बार आउट कर चुकी हैं. इसको लेकर वह कहती हैं,"वो एक बहुत अच्छी प्लेयर हैं. वो बहुत बड़ी प्लेयर हैं." "मुझे भी बहुत अच्छा लगता है. मैं एक टारगेट लेकर चलती हूं कि आज इनको आउट करना ही है. अब उस मैंने सोचा भी था कि आज उनका विकेट मैं ही लूंगी."
सिर्फ 22 साल की उम्र में विश्व विजेता बनना किसी सपने की तरह है, इसको लेकर क्रांति गौड़ कहती हैं,"अभी तक विश्वास ही नहीं हो रहा है कि हम वर्ल्ड कप जीत गए. जब कल ट्रॉफी को टच किया को वह एक अलग ही पल था. हमारा और एक सपना होता है इंडिया खेलना. इंडिया खेल लिया अब वर्ल्ड कप खेलो. फिर वर्ल्ड कप जीतना. मेरे लिए यह गर्व की बात है. मेरी फैमिली के लिए और जिस छोटे से घुवारा तो उनके लिए बहुत गर्व की बात है. जैसे कल मैच था तो उधर बहुत बड़ी स्क्रीन लगी थी. सब मैच देख रहे थे. जब मैच जीते तो उन्होंने पटाखे छोड़े. मैं भी इसे देख कर बहुत इमोशनल हुई."
अपने सेलिब्रेशन को लेकर उन्होंने कहा कि वह अंदर से आता है, जब कोई विकेट लेते हैं तो. अपने स्ट्रगल को लेकर बोलते हुए क्रांति ने कहा,"मेरी जर्नी देखी जाए तो बहुत इमोशनल है. मैंने बहुत कुछ चीजें का सामना किया है. एक समय था जब खाने को नहीं था हमारे पास. आज एक टाइम है. मैंने कुछ बहुत सारे सपने देखे हैं और में जरूर पूरी करुंगी."
घुआरा में क्रिकेट बदलेगा, इसका जवाब देते हुए उन्होंने कहा,"मैंने ऐसा सोचा है कि मैं घुआरा में अकादमी खोलू. लड़कों के लिए, लड़कियों के लिए. मेरा यही मैसेज रहेगा क्योंकि पहले मैंने देखा है कि जहां मैं रहती हूं उधर पहले लड़कियां भी नहीं निकलती थी. आज मैंने देखा है उनके पेरेंट्स, उनके फादर मुझे फोन करके बोलते हैं मुझे अपनी बेटी को ही भेजना है. मैं कहां भेजूं? तो बहुत प्राउड फील होता है कि कम से मेरी वजह से किसी के पिता ऐसा जागरूक तो हुए कि हां मैं भी अपने बच्चों को भेजूं."
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