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संभल मस्जिद विवाद में सुप्रीम कोर्ट ने यथास्थिति बरकरार रखी, जानें आज क्या कुछ कहा

सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश के संभल मस्जिद विवाद में यथास्थिति बनाए रखने के अपने आदेश की अवधि दो हफ्ते के लिए बढ़ा दी है.

संभल मस्जिद विवाद में सुप्रीम कोर्ट ने यथास्थिति बरकरार रखी, जानें आज क्या कुछ कहा
  • सुप्रीम कोर्ट ने संभल की शाही जामा मस्जिद और हरिहर मंदिर विवाद में फिलहाल यथास्थिति बनाए रखने का आदेश दिया है
  • मस्जिद समिति की याचिका पर कोर्ट ने रजिस्ट्री से वैध याचिकाकर्ता की पहचान करने को कहा है
  • हिंदू पक्ष के वकील ने यथास्थिति बनाए रखने के आदेश का विरोध करते हुए ट्रायल रोकने का आग्रह किया था
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नई दिल्ली/मुजफ्फरनगर:

उत्तर प्रदेश की संभल स्थित शाही जामा मस्जिद और हरिहर मंदिर विवाद को लेकर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई. अदालत ने इस मामले में फिलहाल यथास्थिति बनाए रखने का आदेश दिया है और मामले को दो हफ्ते बाद सूचीबद्ध करने का निर्देश दिया है. मामले की सुनवाई के दौरान जामा मस्जिद संभल की प्रबंध समिति की ओर से दायर दो याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट ने रजिस्ट्री से रिपोर्ट मांगी और पूछा कि मूल याचिकाकर्ता कौन है? समिति का सचिव या उपाध्यक्ष.

हिंदू पक्ष ने किया विरोध

हालांकि हिंदू पक्षकारों की ओर से पेश हुए वकील विष्णु शंकर जैन ने यथास्थिति बढ़ाने का विरोध किया. दरअसल, शीर्ष न्यायालय इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश के विरुद्ध मस्जिद समिति द्वारा दायर अपील पर सुनवाई कर रहा था. इस आदेश में संभल की अदालत द्वारा दिए गए सर्वेक्षण को बरकरार रखा गया था. हाईकोर्ट के 19 मई, 2025 के आदेश में कहा गया था कि शाही जामा मस्जिद के विरुद्ध मुकदमा पूजा स्थल (विशेष प्रावधान) अधिनियम, 1991 के अंतर्गत प्रतिबंधित नहीं है.

पिछली सुनवाई में दी क्या दलील

पिछली सुनवाई में वरिष्ठ वकील हुज़ेफ़ा अहमदी ने अपनी दलील में कहा था कि चुनौती हाईकोर्ट के इस निष्कर्ष को लेकर है. जस्टिस नरसिम्हा ने पूछा कि क्या इस मामले को पूजा स्थल अधिनियम से संबंधित अन्य याचिकाओं के साथ जोड़ा जाना चाहिए. इस पर विष्णु शंकर जैन ने तर्क दिया कि चूंकि मस्जिद भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) द्वारा संरक्षित स्मारक है, इसलिए यह अधिनियम के दायरे से बाहर है.

कोर्ट ने क्या कुछ कहा

उन्होंने यह भी बताया कि एक अन्य पीठ ने आदेश दिया है कि ASI संरक्षित स्मारक पूजा स्थल अधिनियम के अंतर्गत नहीं आते. कोर्ट ने जैन से सोमवार को उक्त आदेश प्रस्तुत करने को कहा और कहा, "हम उस आदेश को देखेंगे, हम असंगत आदेश पारित नहीं करना चाहते." तब तक यथास्थिति बनाए रखने का आदेश दिया गया. सुप्रीम कोर्ट ने उस याचिका पर सुनवाई की जो मस्जिद कमेटी ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ दायर की थी, जिसमें चंदौसी अदालत के विवादित स्थल के सर्वेक्षण के आदेश को बरकरार रखा गया था.

अदालत ने रजिस्ट्री को दिया क्या निर्देश

वरिष्ठ वकील हुज़ैफ़ा अहमदी ने कहा कि पहला SLP जिसमें जस्टिस खन्ना ने आदेश दिया था, वह अलग है. फिर एक और SLP है, जिसके लिए अध्यक्ष द्वारा अधिकृत पत्र मौजूद है. अदालत ने रजिस्ट्री को निर्देश दिया कि वह जांच करे कि कौन से SLP वैध रूप से दाखिल किए गए हैं. रिपोर्ट अदालत में सौंपी जाएगी, मामला तीन हफ्तों बाद सूचीबद्ध होगा. विष्णु शंकर जैन ने कहा कि अंतरिम आदेश जारी नहीं रहना चाहिए, जिस पर कोर्ट ने कहा कि यह केवल एक अंतरिम आदेश है, हम इस पर विचार करेंगे.

ट्रायल पर रोक नहीं लगनी चाहिए

जैन ने बताया कि दो सर्वे आदेशों के खिलाफ SLP दायर की गई थी, और नवंबर के अंतरिम आदेश में कहा गया था कि वे हाईकोर्ट जा सकते हैं. अब उनकी पुनरीक्षण याचिका का भी निपटारा हो चुका है. कोर्ट ने कहा कि इस अदालत द्वारा दिया गया आदेश असर डाल सकता है, लेकिन ट्रायल पर रोक नहीं लगनी चाहिए. ASG ने भी कहा कि ट्रायल रोका जाना आवश्यक नहीं है. कोर्ट ने स्पष्ट किया कि वह रिपोर्ट के साथ ही स्थिति की समीक्षा करेगा, और तब तक अंतरिम आदेश जारी रहेगा। कोर्ट ने यह भी कहा कि हम पहले यह स्पष्ट करेंगे कि वास्तविक याचिकाकर्ता कौन है, उसके बाद ही आगे बढ़ेंगे.

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