
- इलाहाबाद हाई कोर्ट ने संभल जामा मस्जिद हिंसा मामले में जफर अली के खिलाफ ट्रायल कोर्ट कार्यवाही पर रोक लगा दी.
- हाई कोर्ट ने जफर अली और सपा सांसद जिया उर रहमान बर्क की याचिकाओं को एक साथ सुनवाई के लिए जोड़ा है.
- राज्य सरकार को दो सप्ताह में और याचिकाकर्ताओं को एक सप्ताह में जवाब देने का निर्देश दिया गया है.
संभल जामा मस्जिद में सर्वे के दौरान हिंसा को लेकर मस्जिद कमेटी के चेयरमैन जफर अली की याचिका पर सोमवार को इलाहाबाद हाई कोर्ट में सुनवाई हुई. हाई कोर्ट ने जफर अली को राहत देते हुए उनके खिलाफ अगले आदेश तक ट्रायल कोर्ट में चल रही आगे किसी भी तरह की कार्यवाही पर रोक लगा दी है. साथ ही उनकी याचिका को संभल सांसद जिया उर रहमान बर्क की याचिका के साथ जोड़ने का आदेश दिया है. अब दोनों की याचिकाओं पर एक साथ सुनवाई होगी.
इस मामले में इलाहाबाद हाई कोर्ट ने राज्य सरकार से दो हफ्ते में जवाब दाखिल करने को कहा है. साथ ही राज्य सरकार के जवाब पर याचिकाकर्ता को भी एक हफ्ते में रिजाइंडर दाखिल करने के लिए कहा गया है. इस मामले में जस्टिस समीर जैन की सिंगल बेंच याचिका पर सुनवाई कर रही है. अब इस मामले में अक्टूबर के दूसरे हफ्ते में अगली सुनवाई होगी.
पुलिस चार्जशीट को दी गई है चुनौती
दरअसल, जफर अली ने संभल हिंसा के मामले में ट्रायल कोर्ट में पुलिस द्वारा दाखिल चार्जशीट को चुनौती दी है और हाई कोर्ट से चार्जशीट को रद्द करने की मांग करते हुए याचिका दाखिल की है.
24 जुलाई 2025 को इलाहाबाद हाई कोर्ट ने जफर अली की जमानत अर्जी मंजूर की थी और हाई कोर्ट में दलील दी गई थी कि एफआईआर में जफर अली का नाम शामिल नहीं था.
पुलिस जांच में संभल जामा मस्जिद कमेटी के सदर जफर अली का नाम सामने आने के बाद पुलिस ने उन्हें 23 मार्च 2025 को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था.
सपा सांसद के खिलाफ भी दर्ज हुई थी FIR
24 नवंबर 2024 को संभल स्थित जामा मस्जिद में सर्वे के दौरान हिंसा भड़काने के आरोप में सपा सांसद जिया उर रहमान बर्क के खिलाफ कोतवाली थाने में एफआईआर दर्ज हुई थी. एसआई दीपक राठी ने एफआईआर दर्ज कराई थी.
सांसद जिया उर रहमान के अलावा सपा विधायक इकबाल महमूद के बेटे सुहैल इकबाल समेत करीब 800 अज्ञात लोगों के खिलाफ भी एफआईआर दर्ज हुई थी.
इस मामले में आरोपी बनाए गए जिया उर रहमान ने भी ट्रायल कोर्ट में चल रही संपूर्ण कार्रवाई को रद्द करने की मांग करते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया है.
संभल हिंसा मामले में विवेचना के बाद जफर अली को भी आरोपी बनाया गया था.
इन धाराओं में दर्ज किए गए थे मामले
सभी के खिलाफ एफआईआर नंबर 335/2024 में बीएनएस की धारा 125, 132, 191(2), 191(3), 221, 223(b), 230, 231, 324(5), 326(f), 61(2)(a), 352(2) और सार्वजनिक संपत्ति क्षति निवारण एक्ट की धारा 3 और 4 में एफआईआर दर्ज की गई थी.
हालांकि जांच के दौरान सह-आरोपी सुहैल इकबाल का नाम जांच के बाद जांच अधिकारी द्वारा निकाल दिया गया है.
जफर अली ने याचिका में राज्य सरकार और एसआई दीपक राठी को प्रतिवादी बनाया है.
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