 
                                            'यश भारती सम्मान' देते हुए मुख्यमंत्री अखिलेश यादव (फाइल फोटो)
                                                                                                                        - सम्मान में रुपये 11 लाख रुपये नकद तथा 50 हज़ार रुपये प्रतिमाह पेंशन
- इस साल 4 बार में 70 से ज्यादा 'यश भारती सम्मान' दिए जा चुके हैं
- सरकार पर मनमाने ढंग से अपने चहेते लोगों को सम्मान देने का आरोप
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                                                                                लखनऊ: 
                                        लोगों की वाहवाही लूटने के चक्कर में मनमाने ढंग से बांटे जा रहे यश भारती सम्मान पर हाईकोर्ट ने अखिलेश सरकार को सवालों के कटघरे में खड़ा करते हुए जवाब-तलब किया है.
इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ ने सेंटर फॉर सिविल लिबर्टिज की याचिका पर उत्तर प्रदेश सरकार से बुधवार को जवाब मांगा है. याचिका में सरकार पर मनमाने ढंग से 'यश भारती सम्मान' बांटने का आरोप लगाया गया है.
सेंटर की वकील नूतन ठाकुर ने न्यायालय से कहा कि राज्य सरकार 'यश भारती पुरस्कार' पाने वाले लोगों को 11 लाख रुपये और मासिक वेतन के रूप में भारी रकम प्रदान कर रही है, लेकिन यह सम्मान बेहद मनमाने ढंग से अपनी पसंद के लोगों को दिए जा रहे हैं. वहीं राज्य सरकार के वकील ने जवाब दाखिल करने के लिए समय मांगा है.
न्यायमूर्ति देवेंद्र कुमार अरोड़ा तथा न्यायमूर्ति राजन रॉय की पीठ ने कहा कि यह सम्मान प्रदान करने के लिए लोगों के धन का इस्तेमाल किया गया और इसे इस तरह मनमाने ढंग से नहीं दिया जा सकता. न्यायालय ने संस्कृति मंत्रालय के सचिव को 23 जनवरी, 2017 को अगली सुनवाई के दौरान दस्तावेज के साथ आने के लिए कहा है.
याचिका में उच्च न्यायालय से साल 2012-16 के दौरान दिए गए 'यश भारती सम्मान' का आकलन करने की मांग की है तथा जिन्हें नियमों को ताक पर रखकर यह सम्मान दिया गया, उनसे पैसे वापस लेने के लिए एक जांच समिति का गठन करने का अनुरोध किया गया है.
'यश भारती सम्मान' राज्य का सर्वोच्च सम्मान है. इसकी शुरुआत तत्कालीन मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव ने की थी.
इस सम्मान को लेकर समाज के विभिन्न हलकों से सत्तारूढ़ पार्टी पर भाई-भतीजावाद तथा पक्षपात करने का आरोप लग चुके हैं. अतीत में इस सम्मान के लिए भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) अधिकारियों की पत्नियों तथा कथित तौर पर अपनी पसंद के लोगों को नामित किया जा चुका है.
                                                                                 
                                                                                
                                                                                                                        
                                                                                                                    
                                                                        
                                    
                                इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ ने सेंटर फॉर सिविल लिबर्टिज की याचिका पर उत्तर प्रदेश सरकार से बुधवार को जवाब मांगा है. याचिका में सरकार पर मनमाने ढंग से 'यश भारती सम्मान' बांटने का आरोप लगाया गया है.
सेंटर की वकील नूतन ठाकुर ने न्यायालय से कहा कि राज्य सरकार 'यश भारती पुरस्कार' पाने वाले लोगों को 11 लाख रुपये और मासिक वेतन के रूप में भारी रकम प्रदान कर रही है, लेकिन यह सम्मान बेहद मनमाने ढंग से अपनी पसंद के लोगों को दिए जा रहे हैं. वहीं राज्य सरकार के वकील ने जवाब दाखिल करने के लिए समय मांगा है.
न्यायमूर्ति देवेंद्र कुमार अरोड़ा तथा न्यायमूर्ति राजन रॉय की पीठ ने कहा कि यह सम्मान प्रदान करने के लिए लोगों के धन का इस्तेमाल किया गया और इसे इस तरह मनमाने ढंग से नहीं दिया जा सकता. न्यायालय ने संस्कृति मंत्रालय के सचिव को 23 जनवरी, 2017 को अगली सुनवाई के दौरान दस्तावेज के साथ आने के लिए कहा है.
याचिका में उच्च न्यायालय से साल 2012-16 के दौरान दिए गए 'यश भारती सम्मान' का आकलन करने की मांग की है तथा जिन्हें नियमों को ताक पर रखकर यह सम्मान दिया गया, उनसे पैसे वापस लेने के लिए एक जांच समिति का गठन करने का अनुरोध किया गया है.
'यश भारती सम्मान' राज्य का सर्वोच्च सम्मान है. इसकी शुरुआत तत्कालीन मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव ने की थी.
इस सम्मान को लेकर समाज के विभिन्न हलकों से सत्तारूढ़ पार्टी पर भाई-भतीजावाद तथा पक्षपात करने का आरोप लग चुके हैं. अतीत में इस सम्मान के लिए भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) अधिकारियों की पत्नियों तथा कथित तौर पर अपनी पसंद के लोगों को नामित किया जा चुका है.
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                                        Yash Bharti Samman, High Court, Akhilesh Yadav, Uttar Pradesh, अखिलेश सरकार, यश भारती सम्मान, इलाहाबाद उच्च न्यायालय
                            
                        