- NIA की विशेष अदालत ने लखनऊ निवासी मोहम्मद मोईद को आतंकवादी साजिश मामले में जेल और जुर्माने की सजा सुनाई
- मोहम्मद मोईद को भारतीय दंड संहिता की धारा 120बी और शस्त्र अधिनियम की धारा 25 के तहत सजा दी गई है
- मामले की शुरुआत जुलाई 2021 में उत्तर प्रदेश एटीएस द्वारा अलकायदा के दो सदस्यों की गिरफ्तारी से हुई थी
लखनऊ (यूपी) स्थित राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) की विशेष अदालत ने गुरुवार को पाकिस्तान-अफगानिस्तान सीमा पर स्थित प्रतिबंधित अलकायदा आतंकवादी संगठन की आतंकी साजिश से जुड़े एक मामले में एक आरोपी को कारावास और जुर्माने की सजा सुनाई है. कोर्ट ने लखनऊ निवासी महोम्मद मोईद को भारतीय दंड संहिता की धारा 120बी के साथ शस्त्र अधिनियम की धारा 25 (1बा)(ए) के तहत, उसके द्वारा पहले ही जेल में बिताई गई अवधि, यानी 1 वर्ष, 9 महीने और 13 दिन, की सजा सुनाई और 5 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया. अदालत ने यह सजा अभियुक्त द्वारा दोष स्वीकार करने के के बाद सुनाई.
जुलाई 2021 में उत्तर प्रदेश के आतंकवाद निरोधी दस्ते (एटीएस) द्वारा अल-क़ायदा के दो सदस्यों की गिरफ़्तारी से संबंधित मामले में शेष पांच आरोपित अभियुक्तों के विरुद्ध मुकदमा जारी है. ये गिरफ़्तारियां अल-कायदा के एक सदस्य उमर हलमंडी द्वारा साझा की गई जानकारी के आधार पर हुईं, जिसने ख़ुद लखनऊ में कुछ लोगों की पहचान की थी और उन्हें इस क्षेत्र में अल-क़ायदा मॉड्यूल स्थापित करने के लिए भर्ती किया था. उसने पुलिस को अल-कायदा से जुड़े 'अंसार गजवतुल हिंद' (एजीएच) के बारे में भी जानकारी दी थी - एक ऐसा संगठन जो 15 अगस्त, 2021 से पहले उत्तर प्रदेश के विभिन्न शहरों, खासकर लखनऊ में कई आतंकवादी घटनाओं को अंजाम देने के लिए बनाया गया था.
एटीएस से मामला अपने हाथ में लेने वाली एनआईए ने 5 जनवरी 2022 को पांच आरोपियों के खिलाफ आरोपपत्र दाखिल किया था और उसी साल अगस्त में एक और आरोपी के खिलाफ पूरक आरोपपत्र दाखिल किया था. एनआईए की जांच से पता चला था कि मोहम्मद मोईद ने शकील और मोहम्मद मुस्तकीम नाम के दो अन्य आरोपियों के साथ मिलकर एजीएच की आतंकी साजिश को बढ़ावा देने के लिए हथियार और गोला-बारूद हासिल करने में आरोपी मिन्हाज और मुसीरुद्दीन की मदद की थी.
मिंजाह को मूल रूप से आरोपी तौहीद और आदिल नबी उर्फ मूसा ने कट्टरपंथी बनाया था और बदले में उसने मुसीरुद्दीन के साथ मिलकर साजिश रची थी, जिसने आतंकी साजिश को बढ़ावा देने के लिए बैयत भी ली थी. आरसी-02/2021/एनआईए/एलकेडब्ल्यू मामले में एनआईए की जांच के अनुसार, मिंजाह और मुसीरुद्दीन दोनों ने भारत सरकार के खिलाफ युद्ध छेड़ने के इरादे से हथियार, गोला-बारूद और विस्फोटक सामग्री हासिल की थी.
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