फतेहपुर में बवाल के बाद हालात अब काबू में हैं
- फतेहपुर में मकबरे को लेकर दो समुदायों के बीच हिंसक बवाल के बाद पुलिस ने मामला दर्ज कर जांच शुरू की है.
- हिंदू पक्ष ने मकबरे को ठाकुर जी का मंदिर बताते हुए पूजा का दावा किया था, जिससे विवाद शुरू हुआ था.
- पुलिस ने बवाल भड़काने के आरोप में दस नामजद और एक सौ पचास अज्ञात लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है.
उत्तर प्रदेश के फतेहपुर में एक मकबरे को लेकर दो समुदाय के बीच हुए बवाल के बाद अब पुलिस ने मामला दर्ज कर अपनी जांच शुरू कर दी है. आपको बता दें कि कुछ दिन एक पक्ष ने मकबरे के अंदर और बाहर जमकर तोड़फोड़ की थी. इसके बाद वहां हालात बिगड़े और कुछ जगहों पर हिंसा भी हुई. मामले की गंभीरता को समझते हुए पुलिस ने हिंसा भड़काने को लेकर 10 लोगों के खिलाफ मामला भी दर्ज किया. FIR में 10 नामजद आरोपियों के अलावा 150 अज्ञात लोगों को भी शामिल किया है. नामजद लोगों में एक स्थानीय पार्षद, एक जिला पंचायत सदस्य समेत हिंदूवादी संगठनों से जुड़े कई लोगों के नाम शामिल हैं. फिलहाल पुलिस ने किसी की गिरफ्तारी की पुष्टि नहीं की है.
इस बवाल के पीछे कौन थे अहम किरदार
पुलिस ने इस हिंसक झड़प और बवाल के बाद जिन 10 लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया उनमें पप्पू सिंह चौहान, धर्मेंद्र सिंह, प्रसून तिवारी और पुष्पराज पटेल के नाम मुख्य रूप से शामिल हैं. सूत्रों के अनुसार इस बवाल के पीछे इन लोगों की भूमिका की जांच प्रमुखता से की जा रही है.
धर्मेंद्र सिंह - इस एफआईआर में धर्मेंद्र सिंह का भी नाम है. आपको बता दें कि धर्मेंद्र सिंह बजरंग दल का जिला संयोजक है. आरोप है कि उसने लोगों को भड़काया था.
प्रसून तिवारी - पुलिस ने प्रसून तिवारी का ना भी इस एफआईआर में शामिल किया है. प्रसून तिवारी बीजेपी के युवा मोर्चा में जिला महामंत्री के पद पर है.
पुष्पराज पटेल- मकबरे में तोड़फोड़ करने का अगला आरोपी पुष्पराज पटेल को भी बनाया गया है. पुष्पराज पटेल बीजेपी के महामंत्री पर हैं. इनपर आरोप है कि उन्होंने भी लोगों को भड़काया था.
हालांकि, पुलिस इन सभी लोगों की भूमिका की जांच कर रही है.
इस विवाद में बीजेपी के फतेहपुर जिला अध्यक्ष मुखलाल पाल की भूमिका भी सामने आई है. इस घटना को लेकर जो वीडियो अब वायरल हो रहा है उसमे मुखलाल खुद कह रहे हैं कि उनकी अगुवाई में पूजा की गई. हालांकि, उनके नाम को अभी तक एफआईआर में शामिल नहीं किया गया है. मुखलाल के अलावा मनोज त्रिवेदी का नाम भी सामने आ रहा है. मनोज त्रिवेदी हिंदू महासभा के प्रदेश उपाध्यक्ष हैं. उन्होंने कहा कि वो खुद पूजा के लिए वहां गए थे क्योंकि यह मंदिर ठाकुर जी का है ना कि कोई मकबरा है.
मकबरे को लेकर क्यों हुआ बवाल, क्या है दावा
इस तनाव और हिंसा के पीछे कौन-कौन शामिल थे इसके बारे में जानने से पहले हम आपको ये बता देते हैं कि आखिर ये बवाल शुरू कैसे हुआ था. इस विवाद की शुरुआत तब हुई थी जब हिंदू पक्षों ने फतेहपुर के आबूनगर के रेडइया इलाके में मौजूद नवाब अब्दुल समद मकबरे पर ठाकुर जी का मंदिर होने का दावा किया. उन्होंने दावा किया था कि ढांचे के अंदर त्रिशूल और कमल जैसे प्रतीक हिंदू मंदिर के प्रतीक हैं और वे किसी मकबरे में कभी नहीं पाए जाते. कुछ दिन पहले प्रशासन को एक ज्ञापन देकर 11 अगस्त को मकबरे में जाकर पूजा करने का ऐलान किया था. जिसके बाद प्रशासन ने एहतियातन मकबरे को बांस बल्लियों से घेर दिया था. इसके बावजूद बीते सोमवार सुबह करीब 11 बजे हजारों की तादात में हिंदूवादी संगठनों के लोग एकट्ठा हुए और बेरिकेड को तोड़कर मकबरे में घुस गए.
माहौल बिगड़ता देख पुलिस ने की घेराबंदी
आबूनगर में देखते ही देखते मकबरे के अंदर और बाहर जमकर तोड़फोड़ शुरू की गई थी. इस घटना से नाराज मुस्लिम पक्ष ने जमकर पथराव किया था. हालात बेकाबू होता देख प्रशासन ने किसी तरह से भीड़ को तितर-बितर किया. मकबरे समेत आसपास के इलाके में सुरक्षा के भारी इंतजाम किए गए . साथ ही प्रयागराज जोन के एडीजी को मौके पर भेजा गया, जिन्होंने घटनास्थल का जायजा लिया था. आपको बता दें कि इस घटना का एक कथित वीडियो सोशल मीडिया पर सामने आया था, जिसमें बड़ी संख्या में लोग पुलिस और सुरक्षा बलों की मौजूदगी में मकबरे के अंदर घुसकर नारेबाजी, हंगामा, तोड़फोड़ करते और भगवा झंडा फहराते नजर आ रहे थे.
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