वो 28 सालों से बरेली की जेल में बंद है, सजा उम्रकैद की है लेकिन समय से पहले रिहाई चाहता है. हत्या और अपहरण समेत 42 मामलों में वह वांछित है. हम बात कर रहे हैं ओम प्रकाश उर्फ बबलू श्रीवास्तव की... जिसके नाम से कभी पूरा यूपी थर्राता था, क्यों कि खौफ का दूसरा नाम था बबलू श्रीवास्तव. वह कभी अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहिम का सहयोगी भी हुआ करता था, लेकिन अब उसका दश्मन है... उत्तर प्रदेश के गाजीपुर के एक पढ़े-लिखे मिडल क्लास परिवार में जन्मे बबलू श्रीवास्तव की डॉन बनने की कहानी किससी फिल्म से कम नहीं है. जिस तरह से फिल्मों में बदले की आग में जल रहा नौजवान जुर्म की दुनिया में उतर विलेन बन जाता है, ठीक वैसी ही कहानी कुछ बबलू की भी है.
बबलू की शुरुआती जिंदगी पर गौर करें तो वह कभी डॉन बनना नहीं चाहता था. पढ़ने में दिमाग बहुत तेज था. वह तो IAS अफसर बनने का ख्वाब देख रहा था. लेकिन जब बड़े भाई को सेना की वर्दी पहने देखा तो उसकी चमक से बबलू का मन बदल गया. फिर वह भी सेना की वर्दी पहनने का सपना देखने लगा.
डॉन बबलू सेना में अफसर बनना चाहता था
- परिवार ने पढ़ाई के लिए बबलू को गाजीपुर से लखनऊ भेज दिया.
- वहां पर उसने लॉ कॉलेज में एडमिशन ले लिया साथ ही सेना की तैयारी करने लगा.
- कॉलेज में एक दिन अचानक कुछ ऐसा हुआ, जिसने बबलू श्रीवास्तव की सोच और जिंदगी बदल दी.
दरअसल बात 1982 की है. बबलू के नीरज जैन नाम के एक दोस्त ने कॉलेज में महामंत्री पद के लिए पर्चा भरा था. दोस्त होने के नाते बबलू भी उसके लिए प्रचार कर रहा था. उन दिनों विरोधी गुट के साथ झगड़े में एक छात्र को चाकू मार दिया गया.
जुर्म के दलदल में कैसे उतरा बबलू श्रीवास्तव?
इस छात्र को चाकू लगा था वो उस समय जुर्म की दुनिया के जाने-माने नाम अरुण शंकर शुक्ला 'अन्ना' का करीबी थी. कहा जाता है कि नाराज अन्ना ने बबलू को झूठे केस में फंसाकर जेल की सलाखों के पीछे डलवा दिया.जैसे ही वह जमानत पर बाहर आया तो चोरी के एक और मामले में उसे जेल भिजवा दिया.इस घटना ने बबलू की जिंदगी बदल दी. वह अन्ना से इस कदर खुन्नस खा गया कि बदले की आग में जलने लगा.क दिन जेल से बाहर आते ही बबलू ने अन्ना के विरोधी गैंग से हाथ मिला लिया. उस गैंग को राम गोपाल मिश्र चलाता था. 70-80 के दशक का ये वो दौर था, जब अन्ना और रामगोपाल के बीच दुश्मनी चरम पर थी.
तेज दिमाग छत्र से 'किडनैपिंग किंग' बनने की कहानी
हालांकि अन्ना की मां के बीच में पड़ने की वजह से अन्ना और राम गोपाल के बीच की दुश्मनी तो खत्म हो गई. ये बात बबलू को रास नहीं आई. उसने रामगोपाल का गैंग छोड़ अपना खुद का गैंग बना डाला. अपने इस काले धंधे की शुरुआत उसने किडनैपिंग से की. यूपी से लेकर बिहार और महाराष्ट्र तक उसका खौफ था. अपने छोटे-छोटे गैंग के जरिए किडनैपिंग और फिरौती मांगने का काम वह करने लगा. देखते ही देखते दुर्म की दुनिया में वह 'किडनैपिंग किंग' बन बैठा. समय के साथ-साथ बबलू के जुर्म की लिस्ट भी बढ़ती जा रही थी. यूपी पुलिस उसके पीछे थी, पकड़़ा न जाए, ये सोचकर वह नेपाल भाग गया.
दाऊद से दोस्ती से दुश्मनी तक...
बबलू ने नेपाल में वहां के डॉन मिर्जा दिलशाद बेग से हाथ मिला लिया. उसके कहने पर वहां से दुबई भाग गया. वहां पर वह अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहिम के संपर्क में आया. कहा जाता है कि अब उसने किडनैपिंग छोड़ स्मगलिंग शुरू कर दी. वह दाऊद के साथ मिलकर विदेशों से अवैध हथियार लाने-लेजाने का काम करने लगा. साल 1993 में हुए मुंबई धमाकों के बाद दाऊद के साथ उसके रिश्तों में दरार आ गई. दरअसल इन धमाकों का मास्टरमाइंड दाऊद को बताया गया था. जिसके बाद उसने दाऊद का साथ छोड़ दिया.साल 1995 में उसे सिंगापुर में गिरफ्तार कर लिया गया. उसे प्रत्यर्पण कर भाारत लाया गया. तब से वह बरेली की जेल में बंद है..
बबलू काट रहा उम्रकैद, समय से पहले चाहता है रिहाई
साल 2021 में पाकिस्तान में हाफिज सईद पर हुए जानलेवा हमले में भी बबलू श्रीवास्तव का नाम सामने आया था. उस समय वह बरेली जेल में बंद था. बबलू पर किडनैपिंग, हत्या समेत कई मामलों में केस दर्ज हैं. इन मामलों पर समय-समय पर सुनवाई होती रहती है. अब सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार को बबलू श्रीवास्तव की समय से पूर्व रिहाई पर दो महीने में विचार करने का निर्देश दिया है. वह 1993 में हुई एक हत्या के मामले में उम्र कैद की सजा काट रहा है.
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