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काश! 2 सेकंड की देर हो जाती! नोएडा की सोसायटी में नानी-नाती की मौत की दर्दनाक कहानी

ग्रेटर नोएडा की मिग्सन अल्टीमों सोसायटी में आंधी-तूफान की वजह से हुई दो दर्दनाक मौतों से मातम छाया हुआ है. अगर सुनीता और उनका नाती अद्विक कुछ देर बाद टावर के पास पहुंचते तो शायद आज वह जिंदा होते. उनके साथ हुआ क्या, जानिए.

ग्रेटर नोएडा की सोसायटी में आंधी-तूफान से नानाी-नाती की मौत

ग्रेटर नोएडा:

दिल्ली-एनसीआर में बुधवार की शाम कुछ लोगों की जिंदगी में ऐसा तूफान (Delhi-NCR Storm) लेकर आई, जिसे वे ताउम्र नहीं भुला सकेंगे. न जाने कितने परिवारों ने इस तूफान में अपनों को खो दिया. ग्रेटर नोएडा के ओमिक्रॉन की मिग्सन अल्टीमों सोसायटी में रहने वाले जितेंद्र के लिए भी ये शाम बहुत ही दर्दनाक रही. रात को आए आंधी-तूफान ने एक झटके में उनकी जिंदगी में अंधेरा कर दिया. इस हादसे में उन्होंने अपनी सास और दो साल के बेटे अद्विक को हमेशा के लिए खो दिया. इस घटना के सोसायटी के लोगों में बहुत ही गुस्सा है. उन्होंने बिल्डर पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए विरोध-प्रदर्शन भी किया. गुस्साए लोगों ने जमकर नारेबाजी की और सड़क को भी जाम कर दिया. महिला और बच्चे के साथ आखिर हुआ क्या.

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बुजुर्ग महिला-बच्चे के साथ हुआ क्या?

बुधवार शाम हर दिन की तरह ही लोग खाना खाकर सोसायटी में टहल रहे थे. बच्चे खेल रहे थे. 50 साल की सुनीता अपने 2 साल के नाती अद्विक को साइकिल चलवा रही थीं. इसी दौरान तेज आंधी-तूफान आ गया. वहां टहल रहे लोग बच्चों के साथ अपने घरों को भागने लगे. सुनीता की अपने नाती को लेकर फ्लैट की तरफ दौड़ी. वह टावर के नजदीक पहुंच ही चुकी थीं कि तेज हवा की वजह से टावर की 21वीं मंजिल से एक लोहे की भारी भरकम ग्रिल उनके ऊपर आ गिरी. इस हादसे में सुनीता का सिर धड़ से अलग हो गया. वहीं उनका दो साल का नाती बुरी तरह से घायल हो गया. अगर कुछ सेकेंड की देरी हो गई होती तो सुनीता उस जगह से आगे बढ़ जातीं और दोनों आज जिंदा होते. लेकिन हुआ कुछ और ही.

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आंधी-तूफान से नानी-नाती की मौत 

बच्चे को आनन-फानन में फोर्टिस अस्पताल में भर्ती कराया गया. लेकिन हालत गंभीर होने की वजह से उसे अपोलो अस्पताल रेफर कर दिया गया. हालांकि बच्चे को बचाया नहीं जा सका. इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई. इस घटना से न सिर्फ सोसायटी में दहशत फैल गई बल्कि जितेंद्र की जिंदगी पल भर में बदल गई. उनकी सास और 2 साल के बच्चे की मौत हो गई. 

बिल्डर पर लापरवाही का आरोप

सोसायटी के लोगों को आरोप है कि ये घटना आंधी-तूफान से नहीं बल्कि बिल्डर की लापरवाही की वजह से हुई है. लोगों का कहना है कि लोहे के भारी भरकम ग्रिल को नट बोल्ट से कसने की बजाय साफ्ट के ऊपर ऐसे ही रख दिया गया था, ताकि बारिश का पानी निकल सके. ये सरासर बिल्डर की लापरवाही का मामला है. इस लापरवाही की वजह से जतेंद्र का हंसता-खेलता परिवार उजड़ गया. पूरे परिवार में मातम का माहौल है. 

आंधी-तूफान ने उजाड़ दी जिंदगी

मूल रूप से झारखंड के बोकारो के रहने वाले जितेंद्र सोसायटी के टावर सन 4 में किराए पर रहते थे. वह और उनकी पत्नी आईटी इंजीनियर हैं. सुनीता बेटी और दामाद के साथ रहती थीं. हर शाम को वह नाती को साइकिल चलवाने लेकर जाती थीं. लेकिन बुधवार को आए तूफान ने दोनों की जिंदगी छीन ली.

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