उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में कांग्रेस 40 फीसदी टिकट महिलाओं को देगी. कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने आज लखनऊ में ये ऐलान करते हुए कहा कि महिलाएं ही समाज में बदलाव ला सकती हैं. इस तरह प्रियंका गांधी धर्म और जाति में बंटी यूपी की सियासत में एक नया विमर्श लेकर आई हैं. कांग्रेस के इस नए मंसूबे के लिए एक नया पोस्टर बना, जिसका नारा है 'लड़की हूं, लड़ सकती हूं.' पार्टी दफ्तर में भी लड़ने को तैयार लड़कियों का हुजूम था. वो हर तरफ से चलती आ रही थीं. आज उनका दिन था. देश की चुनावी सियासत में प्रियंका गांधी ने 27 सैकेंड में उनके यह लिए यह सबसे बड़ा ऐलान किया.
कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने कहा, 'हमने तय किया है कि आने वाले विधानसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश में कांग्रेस पार्टी 40 फीसदी टिकट महिलाओं को देगी. हमारी प्रतिज्ञा है कि महिलाएं उत्तर प्रदेश की राजनीति में पूरी तरह से भागीदार होंगी.'
प्रियंका सड़कों पर लड़ते हुई नजर आती हैं. कभी मिर्जापुर के किसी चौराहे पर धरने पर बैठी हैं, कभी पुलिस के रुकावट बनने पर स्कूटी पर बैठकर मंजिल पर पहुंचते तो कभी लखीमपुर के किसानों से मिलने को पुलिस से भिड़ती हुई दिखी रही हैं.
कांग्रेस महासचिव श्रीमती @priyankagandhi जी ने @INCUttarPradesh कार्यालय पर प्रेस वार्ता को संबोधित किया।
— Congress (@INCIndia) October 19, 2021
हमारी नीति और नीयत स्पष्ट है- महिला शक्ति को उत्तर प्रदेश चुनावों में 40% टिकट देंगे।
महिला शक्ति को अधिकार दिलाकर सशक्त बनायेंगे।#लड़की_हूँ_लड़_सकती_हूँ#40KiShakti pic.twitter.com/EL8PIAdP29
प्रियंका गांधी ने साथ ही कहा, 'यह निर्णय उस महिला के लिए लिया है, जिसने गंगा यात्रा के दौरान मेरी नाव को तट पर लाकर कहा कि मेरे गांव में पाठशाला नहीं है. मैं अपने बच्चों को पढ़ाना चाहती हूं. यह निर्णय प्रयागराज की एक लड़की पारो के लिए लिया गया है, जिसने मेरा हाथ पकड़कर मुझसे कहा कि दीदी मैं बड़ी होकर नेता बनना चाहती हूं. यह निर्णय उन्नाव की उस लड़की के लिए लिया है, जिसको जलाया गया, मारा गया. यह निर्णय हाथरस की उस मां के लिए लिया गया है, जिसने मुझे गले लगाकर कहा कि मुझे न्याय चाहिए.'
लेकिन, सिर्फ धर्म और जाति में बंटे एक समाज में यह कदम क्रांतिकारी तो है. लेकिन बहुत खतरनाक भी. खासकर तब जब पार्टी यूपी में 32 सालों से सत्ता से बाहर है और संगठन कमजोर है. महिलाओं को 33 फीसदी आरक्षण बड़ा मुद्दा रहा है. लेकिन मौजूदा हालात में इसके अपने फायदे नुकसान हैं.
क्या हो सकते हैं इसके फायदे :-
- यूपी में करीब 6.5 करोड़ महिला मतदाता हैं.
- प्रियंका उन्हें सिर्फ महिला की तरह पेश कर रही हैं.
- प्रियंका एक बड़ी लकीर खींच के चुनौती दे रही हैं.
- धर्म पर, जाति पर विरोध हो सकता है, लेकिन इस मुद्दे पर नहीं.
कहां हो सकता है नुकसान :-
- कांग्रेस के पुरुष दावेदार इसे नापसंद करेंगे.
- किन पुरुष के टिकट काटे जाएं ये भी बड़ी चुनौती है.
- लड़ने लायक 161 महिलाओं को खड़ा करना भी चुनौती है.
- धर्म-जाति के बीच एक महिला विमर्श खड़ा करना भी खतरनाक है.
लेकिन कई बार इसका फायदा भी होता है. अमेठी के चुनाव में जब सोनिया गांधी के खिलाफ अमेठी राज घराने के संजय सिंह खड़े हुए तो वहां महिलाओं ने महिला को पसंद किया.
सवाल इंडिया काः जातीय गणित के बीच प्रियंका गांधी का 'लेडीज़ फर्स्ट' कितना कारगर?
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