
जयप्रकाश नारायण की जयंती पर एक बार फिर राजनीतिक घमासान छिड़ गया, जिसका केंद्र लखनऊ में स्थित जेपीएनआईसी (जयप्रकाश नारायण इंटरनेशनल सेंटर) रहा. समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव को जेपीएनआईसी स्थित जेपी की प्रतिमा पर माल्यार्पण करने से रोकने के लिए प्रशासन ने बैरिकेडिंग कर दी और भारी पुलिस बल तैनात किया. इसके बाद, अखिलेश यादव ने सपा कार्यालय में ही जेपी को श्रद्धांजलि दी.
सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने भाजपा सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि सरकार पुलिस लगाकर अपनी नाकामी छुपाना चाहती है, लेकिन समाजवादी संकल्प लेते हैं कि वे जेपीएनआईसी को बिकने नहीं देंगे. उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा ने जेपीएनआईसी की दुर्दशा की है और इसे बर्बाद करने के बाद छिपाने की कोशिश कर रही है, क्योंकि समाजवादियों का इससे भावनात्मक लगाव है. इस दौरान उन्होंने जेपीएनआईसी से जुड़े एक विरोध प्रदर्शन के लिए छात्र सभा के दो युवाओं को "सोशलिस्ट प्राइस" देने की घोषणा की.
सोशल मीडिया विवाद पर भी बोलते हुए अखिलेश ने कहा कि उनके फेसबुक पेज पर 'एडल्ट सेक्सुअल एक्सप्लोइटेशन' से जुड़े कंटेंट की शिकायत की गई थी, जबकि वह पोस्ट बलिया की नियुक्ति और पत्रकार की हत्या से संबंधित थी, जिसे गलत तरीके से सेक्सुअल एक्सप्लोइटेशन से जोड़कर शिकायत की गई.
अंत में उन्होंने सरकार की बुलडोजर वाली सोच की आलोचना करते हुए कहा कि जेपी के सिद्धांतों पर चलकर ही इस सरकार को हटाया जाएगा, और सपा की सरकार आने पर जेपीएनआईसी को और बेहतर बनाया जाएगा. उन्होंने कटाक्ष किया कि जेपी के नाम पर बनी देश की इस बेहतरीन इमारत की बर्बादी को बीजेपी छिपाने की कोशिश कर रही है, जबकि बिहार चुनाव में वे जेपी के नाम पर वोट मांगने जाएंगे.
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