विज्ञापन
This Article is From Aug 13, 2021

Smog Tower : दिल्ली में अगले हफ्ते होगा स्मॉग टॉवर का उद्घाटन, जानिए क्या होता है ये और कैसे करता है काम

पिछले दो-तीन सालों में स्मॉग की समस्या ठंड से पहले ही राजधानी के सामने मुंह बाए खड़ी हो जाती है. ऐसे में इससे निपटने की कोशिशों में एक कोशिश शामिल है- स्मॉग टॉवर. CM केजरीवाल दिल्ली के पहले स्मॉग टॉवर का उद्घाटन कनॉट प्लेस में 23 अगस्त को कर सकते हैं.

Smog Tower : दिल्ली में अगले हफ्ते होगा स्मॉग टॉवर का उद्घाटन, जानिए क्या होता है ये और कैसे करता है काम
Smog Tower : दिल्ली में 23 अगस्त को हो सकता है पहले स्मॉग टॉवर का उद्घाटन.
नई दिल्ली:

साल के आखिरी महीनों में दिल्ली स्मॉग (Delhi Smog) यानी धुंध में घुटती है. पिछले दो-तीन सालों में स्मॉग की समस्या ठंड से पहले ही राजधानी के सामने मुंह बाए खड़ी हो जाती है. ऐसे में इससे निपटने की कोशिशों में एक कोशिश शामिल है- स्मॉग टॉवर इंस्टॉल (Delhi Smog Tower) करना. अगले हफ्ते दिल्ली को उसका पहला स्मॉग टॉवर मिल सकता है. मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल राष्ट्रीय राजधानी के पहले स्मॉग टॉवर का उद्घाटन कनॉट प्लेस में 23 अगस्त को कर सकते हैं. दिल्ली सरकार के अधिकारियों ने शुक्रवार को यह जानकारी दी.

एक अधिकारी ने नाम जाहिर नहीं करने की शर्त पर बताया कि स्मॉग टॉवर का निर्माण पूरा हो गया है और उद्घाटन 15 अगस्त के बजाय 23 अगस्त को किया जाएगा. क्षेत्र के एक किलोमीटर के दायरे में हवा की गुणवत्ता में सुधार के लिए स्थापित किये जा रहे करीब 20 मीटर ऊंचे टॉवर का निर्माण पहले 15 जून तक होना था.

पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने कहा था कि कोविड-19 महामारी की वजह से स्मॉग टॉवर के निर्माण कार्य में देरी हुई. राय के अनुसार स्मॉग टॉवर से एक सैकंड में 1,000 घन मीटर हवा शुद्ध हो सकेगी.

मुंबई के चार वार्डों में कोरोना से ज्यादा मौतों की वजह कहीं प्रदूषण तो नहीं...

क्या होते हैं स्मॉग टॉवर और कैसे काम करते हैं?

सीधे-सीधे शब्दों में कहें तो स्मॉग टॉवर एक बड़ा एयर प्यूरिफायर होता है. इसे हवा में मौजूद प्रदूषणकारी तत्वों को फिल्टर करने के लिए इस्तेमाल किया जाता है. यह मशीन प्रदूषित हवा को अंदर खींचती है और फिर उसे फिल्टर करके साफ हवा बाहर निकाल देती है. यह टॉवर Ionization Technology पर काम करता है. इसे खुली जगहों पर लगाया जाता है. आमतौर पर इन टॉवर्स के ऊपर फैन लगे होते हैं, जो हवा को अंदर खींचते हैं. इस टॉवर में अंदर एयर फिल्टर्स के कई लेयर होते हैं, जिनसे हवा गुजरती है और ये हवा को फिल्टर करते जाते हैं. ये फिल्टर्स हवा को साफ करने के लिए कार्बन नैनोफाइबर का इस्तेमाल करते हैं. 

ये टॉवर 15-1600 मीटर वर्ग तक के एरिया को साफ कर सकता है. प्रति घंटा यह बहुत कम, लगभग 1400-1500 वाट की ऊर्जा की खपत के साथ प्रति घंटा 30,000 मीटर क्यूब की मात्रा में हवा साफ कर सकता है. ये स्मॉग टॉवर हवा में मौजूद 75 फीसदी प्रदूषक तत्वों यानी पार्टिकुलेट मैटर 2.5 और 10 को कलेक्ट कर सकते हैं.

यानी कि ये वातावरण से गंदी हवा को अंदर खींचकर उसे अपने अंदर मौजूद एयर फिल्टर्स के जरिए साफ करते हैं, फिर बची हुई साफ हवा वातावरण में वापस भेज देते हैं. टॉवर हवा में मौजूद पार्टिकुलेट मैटर को कम करने में भूमिका निभाते हैं.

NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं

फॉलो करे:
Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com