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जल्द ही ATM और UPI से निकलेगा PF का पैसा, फिर बच्चों की शादी और घर के लिए कैसे तैयार होगा फंड? समझें पूरा गणित

EPF withdrawal Rules 2025: आज की तारीख में लोग कर्ज लेने से भी नहीं हिचकते. ऐसे में PF से तुरंत पैसा निकालने का विकल्प सबसे आसान रास्ता बन सकता है. इसका नतीजा यह होगा कि 20 साल या उससे ज्यादा नौकरी करने के बाद भी EPFO खाते में नाममात्र की रकम ही बच पाएगी. जो पैसा बुढ़ापे में सहारा बनना था, वह पहले ही खत्म हो सकता है.

जल्द ही ATM और UPI से निकलेगा PF का पैसा, फिर बच्चों की शादी और घर के लिए कैसे तैयार होगा फंड? समझें पूरा गणित
PF withdrawal via ATM UPI: प्राइवेट नौकरी करने वालों के लिए PF ही वह फंड होता था जो मुश्किल वक्त में सबसे बड़ा सहारा बनता था.
नई दिल्ली:

मार्च 2026 से प्रोविडेंट फंड यानी PF को लेकर तस्वीर पूरी तरह बदल सकती है. सरकार की तैयारी है कि EPFO खातों को ATM और UPI से जोड़ दिया जाए. इसका मतलब यह होगा कि PF अकाउंट से सीधे पैसा निकाला जा सकेगा. चर्चा है कि कुल जमा राशि का करीब 75 प्रतिशत हिस्सा आसानी से निकासी के दायरे में आ सकता है. सुनने में यह सुविधा राहत जैसी लगती है, लेकिन इसके असर को लेकर कर्मचारियों के मन में कई सवाल खड़े हो रहे हैं.

शादी और घर के लिए फिर कहाँ से आएगा पैसा? 

अगर आज ATM से पैसा निकाल लिया, तो कल बच्चों की शादी और घर की रजिस्ट्री के समय हाथ में क्या बचेगा? पीएफ को हमेशा बुढ़ापे की लाठी और सबसे मुश्किल वक्त का साथी माना गया है. ऐसे में, इस नई सुविधा का इस्तेमाल करने से पहले आपको इसके नफे-नुकसान को गहराई से समझना होगा. आइए जानते हैं पीएफ के नए नियमों से जुड़ी वो बड़ी बातें जो आपकी पूरी फाइनेंशियल प्लानिंग बदल सकती हैं...

PF से पैसा मुश्किल वक्त में सबसे बड़ा सहारा

अब तक PF की सबसे बड़ी ताकत यही थी कि इससे पैसा निकालना आसान नहीं था. यही वजह थी कि नौकरीपेशा लोग मजबूरी में ही सही, लेकिन लंबे समय तक बचत बनाए रखते थे. बीमारी, घर खरीदना, बच्चों की पढ़ाई या शादी जैसे बड़े मौकों पर ही PF का सहारा लिया जाता था. खासकर प्राइवेट नौकरी करने वालों के लिए PF ही वह फंड होता था जो मुश्किल वक्त में सबसे बड़ा सहारा बनता था.

ज्यादातर लोग रिटायरमेंट प्लानिंग में करते हैं लापरवाही

भारत में रिटायरमेंट प्लानिंग को लेकर हालात पहले से ही कमजोर हैं. ज्यादातर लोग नौकरी के दौरान पेंशन या बुढ़ापे की आर्थिक जरूरतों पर गंभीरता से नहीं सोचते. सरकारी नौकरी में पेंशन की व्यवस्था होती है, लेकिन प्राइवेट सेक्टर में काम करने वालों के लिए PF ही एकमात्र मजबूत विकल्प है. इसके बावजूद इस पर सबसे ज्यादा लापरवाही भी प्राइवेट सेक्टर में ही देखने को मिलती है.

हर महीने सैलरी छोटी रकम कटकर तैयार होता है बड़ा फंड

हर महीने सैलरी से कटने वाली छोटी रकम PF में जुड़कर सालों में एक बड़ा फंड बनाती है. नौकरी चली जाए तो यही पैसा आर्थिक झटका कम करता है. परिवार में कोई बीमार पड़ जाए तो कर्ज लेने से बेहतर PF से इलाज कराया जाता है. घर की रजिस्ट्री हो या बच्चों की शादी, मिडिल क्लास परिवार अक्सर इन्हीं पैसों पर भरोसा करता है.

सATM से PF का पैसा निकालने की जल्दबाजी पड़ न जाए भारी

लेकिन ATM और UPI से PF निकालने की सुविधा आते ही तस्वीर बदल सकती है. जब पैसा निकालना बैंक अकाउंट जितना आसान हो जाएगा, तो लोग छोटी-छोटी जरूरतों पर भी PF से हाथ डाल सकते हैं. मोबाइल खरीदना, शॉपिंग करना या दूसरी गैर जरूरी चीजें भी PF निकासी का कारण बन सकती हैं. धीरे-धीरे यह आदत बन सकती है कि हर महीने सैलरी आने के बाद PF से भी कुछ पैसा निकाल लिया जाए.

आज की तारीख में लोग कर्ज लेने से भी नहीं हिचकते. ऐसे में PF से तुरंत पैसा निकालने का विकल्प सबसे आसान रास्ता बन सकता है. इसका नतीजा यह होगा कि 20 साल या उससे ज्यादा नौकरी करने के बाद भी EPFO खाते में नाममात्र की रकम ही बच पाएगी. जो पैसा बुढ़ापे में सहारा बनना था, वह पहले ही खत्म हो सकता है.

क्या कहते हैं आंकड़े?

आंकड़े इस खतरे को और साफ करते हैं. नियम के मुताबिक कर्मचारी और नियोक्ता दोनों ही बेसिक सैलरी का 12 प्रतिशत PF में जमा करते हैं. इसमें से एक हिस्सा पेंशन फंड यानी EPS में जाता है. वित्त वर्ष 2023-24 में EPFO के करीब 7.37 करोड़ सदस्य थे. मौजूदा समय में यह संख्या करीब 8 करोड़ के आसपास मानी जा रही है. EPFO का कुल PF कॉर्पस वित्त वर्ष 2025 में करीब 25 लाख करोड़ रुपए तक पहुंच चुका है. यह देश का सबसे बड़ा रिटायरमेंट सेविंग फंड है.

अब तक यह रकम इसलिए बढ़ती रही क्योंकि निकासी आसान नहीं थी. लेकिन जैसे ही ATM से पैसा निकलने लगा, इस कॉर्पस पर दबाव बढ़ सकता है. बड़ा सवाल यह भी है कि PF से निकलने वाला पैसा आखिर जाएगा कहां.

PF से पैसा निकालने की सुविधा को लेकर क्यों है डर

एक आशंका यह है कि लोग PF से पैसा निकालकर शेयर बाजार और म्यूचुअल फंड में लगाने लगें. फिलहाल PF पर करीब 8.25 प्रतिशत ब्याज मिलता है, जबकि म्यूचुअल फंड और शेयर बाजार में ज्यादा रिटर्न के सपने दिखाए जाते हैं. ज्यादा मुनाफे के लालच में लोग सुरक्षित निवेश छोड़कर जोखिम वाले विकल्प चुन सकते हैं.

भारत की कुल घरेलू बचत दर करीब 31 प्रतिशत है. इसके बावजूद केवल 10 प्रतिशत भारतीय परिवार ही म्यूचुअल फंड, शेयर बाजार और बॉन्ड जैसे निवेश विकल्पों में पैसा लगाते हैं. शहरी इलाकों में यह आंकड़ा करीब 15 प्रतिशत है, जबकि ग्रामीण इलाकों में सिर्फ 6 प्रतिशत. युवा पीढ़ी में निवेश का रुझान बढ़ रहा है, लेकिन जोखिम भी उसी तेजी से बढ़ रहा है.

140 करोड़ में  महज 2% लोगों के पास पेंशन कवरेज

सरकारी आंकड़े बताते हैं कि करीब 69 प्रतिशत भारतीय परिवार अब भी बैंक डिपॉजिट या FD को ही सुरक्षित मानते हैं. वहीं करीब 40 प्रतिशत शहरी लोगों ने अब तक रिटायरमेंट प्लानिंग के लिए कोई ठोस निवेश नहीं किया है. ग्रामीण इलाकों में हालात और ज्यादा चिंताजनक हैं. देश की आबादी 140 करोड़ से ज्यादा है, लेकिन पेंशन कवरेज महज करीब 2 प्रतिशत लोगों तक सीमित है.

अटल पेंशन योजना में करीब 8.34 करोड़ लोग जुड़े हैं, लेकिन इसमें अधिकतम 5000 रुपए महीने की पेंशन मिलती है. यह राशि बुढ़ापे की जरूरतों के लिए काफी नहीं मानी जाती. ऐसे में PF ही वह साधन है जो नौकरीपेशा लोगों को भविष्य की सुरक्षा देता है.

 घर की रजिस्ट्री और बच्चों की शादी के लिए कहां से आएगा पैसा?

अब सवाल सीधा है. अगर PF का 75 प्रतिशत पैसा ATM से आसानी से निकलने लगेगा, तो क्या घर की रजिस्ट्री, बच्चों की शादी, बीमारी और रिटायरमेंट जैसे बड़े मौकों के लिए कुछ बचेगा. सुविधा के नाम पर अगर बचत की आदत कमजोर हुई, तो इसका सबसे बड़ा नुकसान बुढ़ापे में दिखेगा.डिजिटल सुविधा जरूरी है, लेकिन PF जैसे रिटायरमेंट फंड के मामले में अनुशासन और संतुलन उससे कहीं ज्यादा जरूरी है. वरना आज की सहूलियत कल आपको आर्थिक रूप से कंगाल भी कर सकती है.

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