कर्मचारी भविष्य निधि यानी EPF (Employees' Provident Fund) से जुड़े करोड़ों कर्मचारियों के लिए एक बड़ी खबर सामने आई है. कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) ने EPFO 3.0 की शुरुआत कर दी है, जिसके तहत विड्रॉल (Withdrawal), पेंशन और एडवांस क्लेम से जुड़े नियमों में कई अहम बदलाव किए गए हैं.
इन बदलावों का मकसद यह है कि कर्मचारियों को जरूरत के समय अपने फंड तक आसान पहुंच मिले, साथ ही रिटायरमेंट के लिए जरूरी बचत भी सुरक्षित बनी रहे. अगर आप EPFO मेंबर हैं, तो ये नए नियम आपके लिए जानना बेहद जरूरी हैं.
- EPFO 3.0 के तहत बेरोजगारी में विड्रॉल के नियमों में बड़ा बदलाव किया गया है. पहले नियम के अनुसार, नौकरी छूटने के एक महीने बाद EPF का 75 प्रतिशत और दो महीने बाद बाकी 25 प्रतिशत राशि निकाली जा सकती थी. लेकिन नए नियमों के तहत अब कर्मचारी तुरंत अपने EPF बैलेंस का 75 प्रतिशत निकाल सकते हैं. हालांकि, पूरी राशि तभी निकाली जा सकेगी जब कर्मचारी लगातार 12 महीने तक बेरोजगार रहेगा.
- नौकरी छूटने पर पेंशन विड्रॉल को लेकर भी नियम सख्त किए गए हैं. पहले दो महीने की बेरोजगारी के बाद पेंशन की राशि निकालने की अनुमति थी, लेकिन EPFO 3.0 के तहत अब पेंशन की राशि तभी निकाली जा सकेगी जब कर्मचारी 36 महीने यानी 3 साल तक लगातार बेरोजगार रहेगा.
- लॉकआउट या कंपनी बंद होने की स्थिति में विड्रॉल के नियम भी बदले गए हैं. पहले ऐसे मामलों में कर्मचारी अपनी हिस्सेदारी या 100 प्रतिशत तक की राशि निकाल सकता था. अब नए नियमों के अनुसार, कर्मचारी केवल EPF कॉर्पस का 75 प्रतिशत ही निकाल पाएगा, जबकि बाकी 25 प्रतिशत राशि को न्यूनतम बैलेंस के रूप में अकाउंट में रखना अनिवार्य होगा.
- EPFO 3.0 में पढ़ाई और शादी के लिए आंशिक निकासी के नियमों में राहत दी गई है. पहले 7 साल की सदस्यता के बाद अधिकतम 50 प्रतिशत राशि निकाली जा सकती थी, जिसमें पढ़ाई के लिए 3 बार और शादी के लिए 2 बार विड्रॉल की अनुमति थी. नए नियमों के तहत अब पढ़ाई के लिए 10 बार और शादी से जुड़े खर्चों के लिए 5 बार तक राशि निकालने की सुविधा दी गई है.
- घर खरीदने या बनाने के लिए विड्रॉल के नियमों में कोई बदलाव नहीं किया गया है. पहले जो सीमा तय थी, वही अब भी लागू रहेगी. हालांकि, डिजिटल प्रक्रिया को पहले से ज्यादा आसान बना दिया गया है, जिससे क्लेम करना अब तेज, सरल और सुविधाजनक हो गया है.
कुल मिलाकर, EPFO 3.0 के नए नियम कर्मचारियों की मौजूदा जरूरतों और भविष्य की सुरक्षा दोनों को ध्यान में रखते हुए बनाए गए हैं. जहां एक ओर जरूरत के समय फंड तक आसान पहुंच मिलेगी, वहीं दूसरी ओर रिटायरमेंट के लिए जरूरी सेविंग भी सुरक्षित रहेगी.
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