8th Pay Commission Salary Hike: केंद्रीय कैबिनेट ने 8वें वेतन आयोग के गठन का रास्ता साफ कर दिया है. ये आयोग साल 2026 तक बनने की उम्मीद है. कैबिनेट के एजेंडा में नहीं था, इसके बावजूद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस फैसले पर मुहर लगा दी. इस घोषणा ने कर्मचारियों और पेंशनर्स में उत्साह भर दिया है. केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा है कि आयोग के चेयरमैन और दो सदस्यों की नियुक्ति जल्द की जाएगी.
7वें वेतन आयोग, जिसकी सिफारिशें जनवरी 2016 में लागू हुई थीं, वो साल 2026 में समाप्त होने वाली हैं. साल 2025 में नये वेतन आयोग के गठन की प्रक्रिया शुरू होने से ये सुनिश्चित है कि 7वें वेतन आयोग का कार्यकाल पूरा होने से पहले इसकी सिफारिशें प्राप्त हो जाएं और उसकी समीक्षा की जा सके.
8वां वेतन आयोग सैलरी स्ट्रक्चर की समीक्षा करेगा और केंद्रीय कर्मियों के वेतन, भत्ते, पेंशन और अन्य लाभों में संशोधन की उम्मीद है. यानी ये तो तय है कि केंद्रीय कर्मियों की सैलरी में बंपर इजाफा होगा, लेकिन कितना होगा, ये बड़ा सवाल है. इस स्टोरी में हम यही समझने की कोशिश करेंगे, लेकिन उससे पहले कुछ बुनियादी बातें जान लेनी जरूरी है.
हर 10 साल के बाद वेतन आयोग
आमतौर पर, हर 10 साल में केंद्र सरकार अपने कर्मचारियों के वेतन की समीक्षा करने के लिए, इसे संशोधित करने के लिए वेतन आयोग का गठन करती है. सरकारी कर्मचारियों के लिए वेतन संरचना, लाभ और भत्ते तय करने में वेतन आयोग की महत्वपूर्ण भूमिका है. सैलरी स्ट्रक्चर की समीक्षा की प्रक्रिया में महंगाई, आर्थिक स्थिति और कर्मचारी कल्याण जैसे पहलुओं पर विचार किया जाता है.
सरकार को सिफारिशें देने से वेतन आयोग पहले केंद्र और राज्य सरकारों और अन्य संबंधित पक्षों के साथ व्यापक परामर्श करता है. दिल्ली सरकार, केंद्र के साथ ही सिफारिशें लागू कर देती हैं, जबकि राज्य सरकारों के स्वामित्व में आने वाली ज्यादातर इकाइयां अपने अनुसार, आयोग की सिफारिशों को लागू करती हैं.
अब तक 7 वेतन आयोग का गठन
साल 1947 में आजादी मिलने के बाद से अब तक देश में 7 वेतन आयोग का गठन किया गया है. आजादी के बाद केंद्रीय कर्मियों की न्यूनतम सैलरी 55 रुपये से शुरू हुई थी. उस समय अधिकतम वेतन 2,000 रुपये/महीने था. तब से अब तक कई गुना बढ़ोतरी हो चुकी है. अबतक के अंतिम यानी सातवें वेतन आयोग के तहत वित्त वर्ष 2016-17 में केंद्र सरकार के खर्च में एक लाख करोड़ रुपये की बढ़ोतरी हुई थी.
2016 में लागू 7वें वेतन आयोग के महत्वपूर्ण बदलावों में पे-बैंड को सरल वेतन मैट्रिक्स से बदलना भी शामिल था. इससे न्यूनतम मासिक वेतन 18,000 रुपये और शीर्ष सरकारी अधिकारियों के लिए अधिकतम मासिक वेतन 2.5 लाख रुपये तय हुआ.
55 रुपये/महीने से शुरू हुआ सैलरी का सफर
अब तक गठित 7 वेतन आयोग के कार्यकाल और मुख्य सिफारिशों पर एक नजर:
अब 8वां वेतन आयोग कर्मचारियों के सैलरी स्ट्रक्चर की समीक्षा करेगा. 7वें वेतन आयोग का कार्यकाल 2026 में समाप्त हो रहा है, इसलिए 2025 में प्रक्रिया शुरू करने से सिफारिशें प्राप्त करने और उनकी समीक्षा करने के लिए पर्याप्त समय मिल जाएगा. ये बात अश्विनी वैष्णव ने भी कही है. अब आते हैं मूल सवाल पर.
कितनी बढ़ जाएगी सैलरी?
कहा जा रहा है कि 8वां वेतन आयोग, फिटमेंट फैक्टर को 2.57 से बढ़ाकर 2.86 करने का प्रस्ताव रख सकता है. इससे न्यूनतम मूल वेतन बढ़कर 51,480 रुपये हो जाने की संभावना है. 7वें वेतन आयोग ने फिटमेंट फैक्टर को 2.57 तक बढ़ा दिया, जिससे मूल वेतन में अच्छी बढ़ोतरी हुई. इससे बेसिक सैलरी 7 हजार से बढ़कर 17,990 रुपये तय हुई थी.
अगर इसी फॉर्मूले को आधार माना जाए है तो 8वें वेतन आयोग में फिटमेंट फैक्टर की अधिकतम रेंज के तहत न्यूनतम सैलरी 17,990 रुपये से बढ़कर 26, 000 रुपये हो जाएगी. रिपोर्ट्स के अनुसार, 8वें वेतन आयोग में न्यूनतम बेसिक सैलरी को बढ़ाकर 34,650 रुपये किया जा सकता है, जबकि पेंशन को 9,000 रुपये से बढ़ाकर 17,280 रुपये किया जा सकता है.
क्या सैलरी में होगी 180% की बढ़ोतरी?
कर्मचारी यूनियन और अन्य संगठन आठवें वेतन आयोग में फिटमेंट फैक्टर को 2.86 से 3 के बीच रखने की मांग कर रहे हैं. ऐसा हुआ तो सैलरी में 180% की बढ़ोतरी होगी. हालांकि, अभी चाहे कितना भी गुणा-गणित कर लिया जाए, ये सब फिलहाल सिर्फ और सिर्फ संभावनाएं हैं.
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं