Ravish Kumar Article
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क्या कोई जानता है, कश्मीर में क्या हो रहा है?
- Wednesday October 20, 2021
- Ravish Kumar
जम्मू कश्मीर में क्या हो रहा है, यह जानना होगा तो आप किसी न किसी से पूछेंगे. सेना और पुलिस के बयान से किसी घटना की जानकारी मिलती है लेकिन राजनीतिक तौर पर कश्मीर के भीतर क्या हो रहा है इसकी आवाज़ तो उन्हीं से आएगी जिनकी जवाबदेही है. इतना कुछ हो रहा है फिर भी कश्मीर पर कोई विस्तृत प्रेस कॉन्फ्रेंस नहीं है. इसके अलावा बाकी के पारंपरिक रास्ते या तो बंद हो चुके हैं या कमज़ोर कर दिए गए हैं जैसे राजनीतिक दल,नागरिक संगठन, NGO और मीडिया. 5 अगस्त 2019 को धारा 370 की समाप्ति के बाद इन सभी की हालत पर आप गौर कर लेंगे तो पता चलेगा कि कश्मीर पर जानने के लिए आपके पास गोदी मीडिया ही है जो कि ख़ुद नहीं जानता कि वहां क्या हो रहा है. धारा 370 की समाप्ति के दो साल से भी अधिक समय हो चुके हैं, न तो राज्य की बहाली हुई है और न ही राजनीतिक प्रक्रिया को लेकर ठोस पहल. जिसकी बहाली के लिए दिल्ली में 24 जून को दिल्ली में कश्मीर के नेताओं के साथ प्रधानमंत्री ने बैठक भी की. इस बैठक में कश्मीरी पंडितों का कोई प्रतिनिधित्व नहीं था, न उनका ज़िक्र हुआ था.
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आम आदमी दवा नहीं खरीद पाएगा, उसे जीने के लिए 'धर्म का गौरव' दिया जाएगा
- Monday April 12, 2021
कोरोना के इस दौर में अस्पतालों में भयंकर भीड़ है. आज पूरा दिन बीमार लोगों के लिए फ़ोन करने में गया है. कहीं सफलता नहीं मिली है. इस दौरान महामारी और उसके प्रकोप को लेकर भयावह चीज़ों का पता चला. दवा की कमी है. भले सरकार दावा करती रहे, हक़ीक़त यह है कि जीवन रक्षक दवाओं के लिए भी फ़ोन करना पड़ रहा है.
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अस्पतालों के बाहर 'गुजरात मॉडल' खोज रहे हैं गुजरात के लोग, मिल नहीं रहा
- Sunday April 11, 2021
गुजरात के लोग भी गुजरात मॉडल के झांसे में रहे हैं. पिछले साल भी और इस साल भी जब वहां के लोग अस्पतालों के बार दर-दर भटक रहे हैं तब उन्हें वह गुजरात मॉडल दिखाई नहीं दे रहा.
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सरकार ने नमकभर पैसा दिया, ढिंढोरा ऐसा पीटा, जैसे दो-दो लाख दिए हों
- Monday April 5, 2021
- Ravish Kumar
व्हाट्सऐप यूनवर्सिटी में रिश्तेदारों के ग्रुप में इसे लेकर कोई चर्चा नहीं होती. इस दर्द को भी लोग सांप्रदायिकता के नशे में भूल गए, यह बहुत अच्छी बात है. उन्हें सपना देखना अच्छा लगता है कि भारत पांच ट्रिलियन डॉलर की इकॉनमी बनेगा, अभी हालत तो यह है कि जो है, वही हाथ से सरकता जा रहा है.
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अर्णब के व्हाट्सऐप चैट पर बोलना था PM को, बोल रहे हैं राहुल गांधी, क्यों?
- Wednesday January 20, 2021
- Ravish Kumar
राहुल गांधी किसानों को लेकर एक पुस्तिका जारी करने प्रेस कांफ्रेंस में आते हैं. उनसे कई तरह से सवाल-जवाब होते हैं. एक सवाल इस व्हाट्स एप चैट को लेकर चुप्पी के बारे में होता है जिसके जवाब में राहुल गांधी पहले अंग्रेज़ी में और फिर हिन्दी में बोलते हैं.
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हाथरस: राज्य ही जब झूठ और फ़्राड करे तो उसे सज़ा क्यों नहीं
- Tuesday October 6, 2020
- Ravish Kumar
बलात्कार की तमाम घटनाओं के बीच फ़र्क़ यही था कि लोगों की चर्चाओं के बीच पीड़िता के शव को जला दिया गया. यह राज्य की तरफ़ से ऐसी नाफ़रमानी थी जो लोगों को धक से लग गई. राज्य और प्रशासन इस सवाल से भाग रहा है.
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क्या लोकतांत्रिक नेता और तानाशाह नेता दोस्त हो सकते हैं?
- Thursday October 1, 2020
- Ravish Kumar
भारत लोकतंत्र का चेहरा था. आज भारत की संस्थाएं चरमराती नज़र आ रही हैं. भारत में और न ही भारत के बाहर लोकतंत्र के सवालों को लेकर भारत के नेता बोलते नज़र आ रहे हैं.
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PM मोदी को हर 2 साल पर सपने बेचने को नई जनता चाहिए, किसानों की बारी आई है
- Friday September 25, 2020
- Ravish Kumar
एक और सपना अभी तक बेचा जा रहा है. 2022-23 में किसानों की आमदनी दुगनी होगी. लेकिन यही नहीं बताया जाता है कि अभी कितनी आमदनी है और 2022 में कितनी हो जाएगी. कई जानकारों ने लिखा है कि किसानों की सालाना औसत आमदनी का डेटा आना बंद हो गया है. हैं न कमाल. पर डेटा बीच-बीच में फाइलों से फिसल कर आ ही जाता है.
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क्या कड़े निर्णय के चक्कर में देश को गर्त में पहुंचा दिया PM मोदी ने?
- Wednesday September 2, 2020
- Ravish Kumar
नोटबंदी और तालाबंदी ये दो ऐसे निर्णय हैं जिन्हें कड़े निर्णय की श्रेणी में रखा गया. दोनों निर्णयों ने अर्थव्यवस्था को लंबे समय के लिए बर्बाद कर दिया. आर्थिक तबाही से त्रस्त लोग क्या यह सवाल पूछ पाएँगे कि जब आप तालाबंदी जैसे कड़े निर्णय लेने जा रहे थे तब आपकी मेज़ पर किस तरह के विकल्प और जानकारियाँ रखी गईं थीं.
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मीडिया के समाप्त कर दिए जाने के बाद उसी से उम्मीद के पत्र
- Monday August 17, 2020
- Ravish Kumar
ये पत्र सूखे पत्रों की तरह इस इनबॉक्स से उस इनबॉक्स तक उड़ रहे हैं. हवा पत्तों को इस किनारे लगा देती है तो उस किनारे. इन नौजवानों को समझना होगा कि उनके भीतर आर्थिक मुद्दों की चेतना समाप्त कर दी गई है. तभी तो वे नेताओं के काम आ रहे हैं.
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बोली लगेगी 23 सरकारी कंपनियों की, निजीकरण का ज़बरदस्त स्वागत
- Tuesday July 28, 2020
- Ravish Kumar
सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों में काम करने वालों के लिए यह ख़ुशख़बरी है. उनका प्रदर्शन बेहतर होगा और वे प्राइवेट हो सकेंगे. जिस तरह से रेलवे के निजीकरण की घोषणाओं का स्वागत हुआ है उससे सरकार का मनोबल बढ़ा होगा. आप रेलमंत्री का ट्विटर हैंडल देख लें. पहले निजीकरण का नाम नहीं ले पाते थे लेकिन अब धड़ाधड़ ले रहे हैं. जो बताता है कि सरकार ने अपने फ़ैसलों के प्रति सहमति प्राप्त की है. हाँ ज़रूर कुछ लोगों ने विरोध किया है मगर व्यापक स्तर पर देखें तो वह विरोध के लिए विरोध जैसा था. जो भी दो चार लोग विरोध करेंगे उनके व्हाट्स एप में मीम की सप्लाई बढ़ानी होगी ताकि वे मीम के नशे में खो जाएँ. नेहरू वाला मीम ज़रूर होना चाहिए.
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मैं जागा क्यों रह गया?
- Thursday July 16, 2020
- Ravish Kumar
कोई 12 साल पहले पहाड़गंज में चाकू की धार तेज़ करने वाले ने भी ऐसा ही कुछ कहा था. वो साइकिल पर ही बैठा रहता है. साइकिल को दीवार से सटा देता है ताकि अतिक्रमण न लगे और चाकू तेज़ करता है. उसने कहा था कि कभी एम्स नहीं देखा है. कनाट प्लेस किस तरह से बदला है वो नहीं देखा है.
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ब्लॉग: रवीश कुमार का यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नाम खुला खत
- Wednesday July 15, 2020
- Ravish Kumar
योगी जी हम बहुत परेशान हो गए हैं. पत्र लिख रहे हैं. और क्या. मैंने कई बार कहा है कि नौकरी सीरीज़ बंद कर दी है. उसके कारणों को विस्तार से कई बार लिख चुका हूं. फिर भी नहीं मानते हैं. इनकी अपेक्षाएं भी बहुत सीमित हैं.
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कोई सरेआम तो कोई गुमनाम मगर बोल रहा है, गुजरात बोल रहा है
- Friday May 29, 2020
- Ravish Kumar
गुजरात हाईकोर्ट में कोविड-19 से जुड़ी याचिकों की सुनवाई करने वाली बेंच में बदलाव किया गया है. जस्टिस जे बी पारदीवाला और आई जे वोरा की बेंच ने गुजरात की जनता को आश्वस्त किया था कि अगर सरकार कोविड-19 की लड़ाई में लापरवाह है तो आम लोगों की ज़िंदगी का रखवाला अदालत है.
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भारत में 22 करोड़ तो US मे 4 करोड़ बेरोज़गार, मीडिया में भारी छंटनी
- Friday May 29, 2020
- Ravish Kumar
मीडिया में भी बड़ी संख्या में नौकरियां जा रही हैं. जो अखबार साधन संपन्न हैं, जिनसे पास अकूत संपत्ति हैं वे सबसे पहले नौकरियां कम करने लगें. सैंकड़ों की संख्या में पत्रकार निकाल दिए गए हैं.
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क्या कोई जानता है, कश्मीर में क्या हो रहा है?
- Wednesday October 20, 2021
- Ravish Kumar
जम्मू कश्मीर में क्या हो रहा है, यह जानना होगा तो आप किसी न किसी से पूछेंगे. सेना और पुलिस के बयान से किसी घटना की जानकारी मिलती है लेकिन राजनीतिक तौर पर कश्मीर के भीतर क्या हो रहा है इसकी आवाज़ तो उन्हीं से आएगी जिनकी जवाबदेही है. इतना कुछ हो रहा है फिर भी कश्मीर पर कोई विस्तृत प्रेस कॉन्फ्रेंस नहीं है. इसके अलावा बाकी के पारंपरिक रास्ते या तो बंद हो चुके हैं या कमज़ोर कर दिए गए हैं जैसे राजनीतिक दल,नागरिक संगठन, NGO और मीडिया. 5 अगस्त 2019 को धारा 370 की समाप्ति के बाद इन सभी की हालत पर आप गौर कर लेंगे तो पता चलेगा कि कश्मीर पर जानने के लिए आपके पास गोदी मीडिया ही है जो कि ख़ुद नहीं जानता कि वहां क्या हो रहा है. धारा 370 की समाप्ति के दो साल से भी अधिक समय हो चुके हैं, न तो राज्य की बहाली हुई है और न ही राजनीतिक प्रक्रिया को लेकर ठोस पहल. जिसकी बहाली के लिए दिल्ली में 24 जून को दिल्ली में कश्मीर के नेताओं के साथ प्रधानमंत्री ने बैठक भी की. इस बैठक में कश्मीरी पंडितों का कोई प्रतिनिधित्व नहीं था, न उनका ज़िक्र हुआ था.
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आम आदमी दवा नहीं खरीद पाएगा, उसे जीने के लिए 'धर्म का गौरव' दिया जाएगा
- Monday April 12, 2021
कोरोना के इस दौर में अस्पतालों में भयंकर भीड़ है. आज पूरा दिन बीमार लोगों के लिए फ़ोन करने में गया है. कहीं सफलता नहीं मिली है. इस दौरान महामारी और उसके प्रकोप को लेकर भयावह चीज़ों का पता चला. दवा की कमी है. भले सरकार दावा करती रहे, हक़ीक़त यह है कि जीवन रक्षक दवाओं के लिए भी फ़ोन करना पड़ रहा है.
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अस्पतालों के बाहर 'गुजरात मॉडल' खोज रहे हैं गुजरात के लोग, मिल नहीं रहा
- Sunday April 11, 2021
गुजरात के लोग भी गुजरात मॉडल के झांसे में रहे हैं. पिछले साल भी और इस साल भी जब वहां के लोग अस्पतालों के बार दर-दर भटक रहे हैं तब उन्हें वह गुजरात मॉडल दिखाई नहीं दे रहा.
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सरकार ने नमकभर पैसा दिया, ढिंढोरा ऐसा पीटा, जैसे दो-दो लाख दिए हों
- Monday April 5, 2021
- Ravish Kumar
व्हाट्सऐप यूनवर्सिटी में रिश्तेदारों के ग्रुप में इसे लेकर कोई चर्चा नहीं होती. इस दर्द को भी लोग सांप्रदायिकता के नशे में भूल गए, यह बहुत अच्छी बात है. उन्हें सपना देखना अच्छा लगता है कि भारत पांच ट्रिलियन डॉलर की इकॉनमी बनेगा, अभी हालत तो यह है कि जो है, वही हाथ से सरकता जा रहा है.
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अर्णब के व्हाट्सऐप चैट पर बोलना था PM को, बोल रहे हैं राहुल गांधी, क्यों?
- Wednesday January 20, 2021
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राहुल गांधी किसानों को लेकर एक पुस्तिका जारी करने प्रेस कांफ्रेंस में आते हैं. उनसे कई तरह से सवाल-जवाब होते हैं. एक सवाल इस व्हाट्स एप चैट को लेकर चुप्पी के बारे में होता है जिसके जवाब में राहुल गांधी पहले अंग्रेज़ी में और फिर हिन्दी में बोलते हैं.
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हाथरस: राज्य ही जब झूठ और फ़्राड करे तो उसे सज़ा क्यों नहीं
- Tuesday October 6, 2020
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बलात्कार की तमाम घटनाओं के बीच फ़र्क़ यही था कि लोगों की चर्चाओं के बीच पीड़िता के शव को जला दिया गया. यह राज्य की तरफ़ से ऐसी नाफ़रमानी थी जो लोगों को धक से लग गई. राज्य और प्रशासन इस सवाल से भाग रहा है.
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क्या लोकतांत्रिक नेता और तानाशाह नेता दोस्त हो सकते हैं?
- Thursday October 1, 2020
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भारत लोकतंत्र का चेहरा था. आज भारत की संस्थाएं चरमराती नज़र आ रही हैं. भारत में और न ही भारत के बाहर लोकतंत्र के सवालों को लेकर भारत के नेता बोलते नज़र आ रहे हैं.
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PM मोदी को हर 2 साल पर सपने बेचने को नई जनता चाहिए, किसानों की बारी आई है
- Friday September 25, 2020
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एक और सपना अभी तक बेचा जा रहा है. 2022-23 में किसानों की आमदनी दुगनी होगी. लेकिन यही नहीं बताया जाता है कि अभी कितनी आमदनी है और 2022 में कितनी हो जाएगी. कई जानकारों ने लिखा है कि किसानों की सालाना औसत आमदनी का डेटा आना बंद हो गया है. हैं न कमाल. पर डेटा बीच-बीच में फाइलों से फिसल कर आ ही जाता है.
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क्या कड़े निर्णय के चक्कर में देश को गर्त में पहुंचा दिया PM मोदी ने?
- Wednesday September 2, 2020
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नोटबंदी और तालाबंदी ये दो ऐसे निर्णय हैं जिन्हें कड़े निर्णय की श्रेणी में रखा गया. दोनों निर्णयों ने अर्थव्यवस्था को लंबे समय के लिए बर्बाद कर दिया. आर्थिक तबाही से त्रस्त लोग क्या यह सवाल पूछ पाएँगे कि जब आप तालाबंदी जैसे कड़े निर्णय लेने जा रहे थे तब आपकी मेज़ पर किस तरह के विकल्प और जानकारियाँ रखी गईं थीं.
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मीडिया के समाप्त कर दिए जाने के बाद उसी से उम्मीद के पत्र
- Monday August 17, 2020
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ये पत्र सूखे पत्रों की तरह इस इनबॉक्स से उस इनबॉक्स तक उड़ रहे हैं. हवा पत्तों को इस किनारे लगा देती है तो उस किनारे. इन नौजवानों को समझना होगा कि उनके भीतर आर्थिक मुद्दों की चेतना समाप्त कर दी गई है. तभी तो वे नेताओं के काम आ रहे हैं.
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बोली लगेगी 23 सरकारी कंपनियों की, निजीकरण का ज़बरदस्त स्वागत
- Tuesday July 28, 2020
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सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों में काम करने वालों के लिए यह ख़ुशख़बरी है. उनका प्रदर्शन बेहतर होगा और वे प्राइवेट हो सकेंगे. जिस तरह से रेलवे के निजीकरण की घोषणाओं का स्वागत हुआ है उससे सरकार का मनोबल बढ़ा होगा. आप रेलमंत्री का ट्विटर हैंडल देख लें. पहले निजीकरण का नाम नहीं ले पाते थे लेकिन अब धड़ाधड़ ले रहे हैं. जो बताता है कि सरकार ने अपने फ़ैसलों के प्रति सहमति प्राप्त की है. हाँ ज़रूर कुछ लोगों ने विरोध किया है मगर व्यापक स्तर पर देखें तो वह विरोध के लिए विरोध जैसा था. जो भी दो चार लोग विरोध करेंगे उनके व्हाट्स एप में मीम की सप्लाई बढ़ानी होगी ताकि वे मीम के नशे में खो जाएँ. नेहरू वाला मीम ज़रूर होना चाहिए.
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मैं जागा क्यों रह गया?
- Thursday July 16, 2020
- Ravish Kumar
कोई 12 साल पहले पहाड़गंज में चाकू की धार तेज़ करने वाले ने भी ऐसा ही कुछ कहा था. वो साइकिल पर ही बैठा रहता है. साइकिल को दीवार से सटा देता है ताकि अतिक्रमण न लगे और चाकू तेज़ करता है. उसने कहा था कि कभी एम्स नहीं देखा है. कनाट प्लेस किस तरह से बदला है वो नहीं देखा है.
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ब्लॉग: रवीश कुमार का यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नाम खुला खत
- Wednesday July 15, 2020
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योगी जी हम बहुत परेशान हो गए हैं. पत्र लिख रहे हैं. और क्या. मैंने कई बार कहा है कि नौकरी सीरीज़ बंद कर दी है. उसके कारणों को विस्तार से कई बार लिख चुका हूं. फिर भी नहीं मानते हैं. इनकी अपेक्षाएं भी बहुत सीमित हैं.
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कोई सरेआम तो कोई गुमनाम मगर बोल रहा है, गुजरात बोल रहा है
- Friday May 29, 2020
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गुजरात हाईकोर्ट में कोविड-19 से जुड़ी याचिकों की सुनवाई करने वाली बेंच में बदलाव किया गया है. जस्टिस जे बी पारदीवाला और आई जे वोरा की बेंच ने गुजरात की जनता को आश्वस्त किया था कि अगर सरकार कोविड-19 की लड़ाई में लापरवाह है तो आम लोगों की ज़िंदगी का रखवाला अदालत है.
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भारत में 22 करोड़ तो US मे 4 करोड़ बेरोज़गार, मीडिया में भारी छंटनी
- Friday May 29, 2020
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मीडिया में भी बड़ी संख्या में नौकरियां जा रही हैं. जो अखबार साधन संपन्न हैं, जिनसे पास अकूत संपत्ति हैं वे सबसे पहले नौकरियां कम करने लगें. सैंकड़ों की संख्या में पत्रकार निकाल दिए गए हैं.
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