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This Article is From Apr 05, 2021

सरकार ने नमकभर पैसा दिया, ढिंढोरा ऐसा पीटा, जैसे दो-दो लाख दिए हों

Ravish Kumar
  • ब्लॉग,
  • Updated:
    अप्रैल 05, 2021 11:23 am IST
    • Published On अप्रैल 05, 2021 11:23 am IST
    • Last Updated On अप्रैल 05, 2021 11:23 am IST

बुज़ुर्ग लोगों को ब्याज बहुत तंग कर रहा है. बैंक में अब ब्याज मिल नहीं रहा, जिसके भरोसे कोई जीवन काट ले. एक व्यक्ति ने अपने जीवन का मोटा-मोटी हिसाब बताया कि हमने रिटायर होने पर 50 लाख रुपया 10 परसेंट इंटरेस्ट पर जमा कर दिया था. उससे मुझे सालाना 5 लाख रुपये ब्याज से मिल गए, यानी हर महीने 42,000 रुपये, लेकिन अब तो ब्याज 6 परसेंट रह गया है. 50 लाख फिक्स करने पर साल का तीन लाख ही मिलता है. महीने का 25,000 रुपये. इंटरेस्ट जहां पहले 42,000 रुपये मिल रहा था, वहीं अब 25,000 रुपये मिल रहा है, तो 17,000 रुपये का अंतर है, जो बहुत बड़ा अमाउंट है.

व्हाट्सऐप यूनवर्सिटी में रिश्तेदारों के ग्रुप में इसे लेकर कोई चर्चा नहीं होती. इस दर्द को भी लोग सांप्रदायिकता के नशे में भूल गए, यह बहुत अच्छी बात है. उन्हें सपना देखना अच्छा लगता है कि भारत पांच ट्रिलियन डॉलर की इकॉनमी बनेगा, अभी हालत तो यह है कि जो है, वही हाथ से सरकता जा रहा है.

कोविड के कारण अमेरिका में भी तबाही आई, लेकिन वहां उन्हें भी मदद दी गई, जो नौकरी में थे और उन्हें भी, जिनकी नौकरी चली गई. अमेरिका में परिवार में पति-पत्नी और बच्चे को पैसे दिए गए हैं. अगर चार सदस्य हैं, तो 12,800 डॉलर मिले हैं. भारतीय रुपये में क़रीब 9 लाख 34 हज़ार. जिनके बच्चे हैं, उन्हें चाइल्ड टैक्स क्रेडिट के तौर पर 3,600 डॉलर दिए गए हैं. यह पैसा उन परिवारों को मिला है, जिनकी सालाना आमदनी 75 हज़ार डॉलर है. ऐसे करीब 13 करोड़ अमेरिकी परिवारों को कोविड के दौरान पैसे मिले हैं.

यही नहीं, अमेरिका में जो बेरोज़गार हो गए हैं, उन्हें केंद्र सरकार की तरफ से हर हफ्ते पैसा दिया जा रहा है. राज्य सरकारें भी अलग से भत्ता देती हैं. जैसे कि मिसिसिपी में सबसे कम 235 डॉलर प्रति हफ्ता और मैसाचुसेट्स में सबसे ज्यादा 823 डॉलर प्रति हफ्ता. इस तरह से मैसाचुसेट्स में 1,123 डॉलर (823 + 300) प्रति हफ्ता मिलेंगे.

हमारे एक मित्र कुलदीप ने बताया कि वहां बेरोज़गार हर हफ्ते भत्ते के लिए आवेदन करते हैं, इसलिए हर शुक्रवार पूरे देश में बेरोजगारी दर का ठीक-ठीक अनुमान लग जाता है. आज रिपोर्ट आई है कि मार्च में 9,16,000 लोगों को नौकरी मिली और बेरोजगारी दर 6.2% से घटकर 6.0% हो गई.

भारत में करोड़ों लोग कोरोना के कारण सड़क पर आ गए. कमाई बंद हो गई. उन्हें कुछ मदद नहीं मिली. ज़रूर बेहद ग़रीब लोगों के खाते में पैसे गए, लेकिन वे पैसे काफी नहीं थे. लेकिन नमकभर पैसा देकर सरकार ने ढिंढोरा ऐसा पीटा, जैसे परिवार में एक-एक सदस्य को दो-दो लाख मिल रहे हों.

यही नहीं, अमेरिका लोगों की मदद कर सके, इसलिए कॉरपोरेट टैक्स फिर से बढ़ाने जा रहा है. 21 से 28 प्रतिशत करेगा. भारत में पिछले साल कॉरपोरेट टैक्स घटाया गया था. उसके कारण कॉरपोरेट का मुनाफा तो बढ़ गया, लेकिन निवेश नहीं हुआ. लेकिन भारत में लोगों की ब्याज दरों को कम कर बैंकों से लोन लिए जा रहे हैं. खेल सामने आया तो वापस ले लिए गए हैं.

बाक़ी सब चंगा जी. व्हाट्सऐप ग्रुप में चर्चा करने वाले रिश्तेदारों को मेरा प्रणाम कहिए. यह पोस्ट पढ़ने को दीजिए.

[डिस्क्लेमर (अस्वीकरण) : इस आलेख में व्यक्त किए गए विचार लेखक के निजी विचार हैं. इस आलेख में दी गई किसी भी सूचना की सटीकता, संपूर्णता, व्यावहारिकता अथवा सच्चाई के प्रति NDTV उत्तरदायी नहीं है. इस आलेख में सभी सूचनाएं ज्यों की त्यों प्रस्तुत की गई हैं. इस आलेख में दी गई कोई भी सूचना अथवा तथ्य अथवा व्यक्त किए गए विचार NDTV के नहीं हैं, तथा NDTV उनके लिए किसी भी प्रकार से उत्तरदायी नहीं है.]

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