कश्मीर पर आने वाली ख़बरें बदलने लगी हैं. इंडियन एक्सप्रेस ने हाल ही में रिपोर्ट की थी कि वहां प्रशासन अब सामान्य है कि जगह सब कुछ नियंत्रण में है की भाषा बोलने लगा है. एक्सप्रेस के पी वैद्यनाथन अय्यर और आदिल अख़ज़र की रिपोर्ट से पता लगता है कि प्रशासन की भाषा बदलने लगी है. 5 अगस्त को अनुच्छेद 370 हटाने के फैसले के बाद प्रतिरोध की जगह लोगों ने खुद पर कर्फ्यू ओढ़ लिया है. वे चुप हो गए हैं. उनकी चुप्पी प्रशासन को परेशान करने लगी है. एक्सप्रेस की रिपोर्ट बताती है कि प्रशासन अब इस चुप्पी को दूसरी तरह से पढ़ने लगा है. उसे लगता है कि कहीं यह चुप्पी उल्टा न पड़ जाए. सरकार ने हाल में कई कदम उठाए. पर्यटकों से प्रतिबंध हटाया, फारूक अब्दुल्ला से उनकी पार्टी के नेताओं को मिलने दिया गया. इसके बाद भी लोग कुछ बोल ही नहीं रहे हैं. ब्लॉक डेवलपमेंट काउंसिल के चुनाव का बीजेपी छोड़ बाकी दलों ने बहिष्कार किया है. लेकिन 45 प्रतिशत सरपंच और 61 प्रतिशत पंच वार्ड के पद खाली हैं. ऐसी स्थिति में इस चुनाव का क्या मतलब रह जाता है. एक्सप्रेस ने यह रिपोर्ट दर्जनों अधिकारियों से बातचीत के बाद लिखी है. सबने ऑफ रिकॉर्ड बातचीत की है. आप भी रिपोर्ट पढ़ सकते हैं. अधिकारियों ने इस रिपोर्ट में कहा है कि कोई बड़ी घटना नहीं हुई है इसका मतलब हालात सामान्य नहीं हैं. ये वो कश्मीर नहीं है जिसे वे जानते थे जहां जनाज़ा उठने पर भी हंगामा होता था. आखिर इस चुप्पी को कैसे पढ़ा जाए.