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बिस्मिल, अशफाक और रोशन: हंसते-हंसते झूले फंदे पर, ऐसे थे आजादी के वे 3 मतवाले
- Friday December 19, 2025
19 दिसंबर 1927 का वह दिन भारतीय स्वाधीनता संग्राम के इतिहास में बलिदान और वीरता की एक ऐसी दास्तान है, जिसने अंग्रेजी हुकूमत की चूलें हिला दी थीं. यह वही तारीख है जब काकोरी कांड के तीन वीर सपूतों-पंडित राम प्रसाद 'बिस्मिल', अशफ़ाक़ उल्लाह ख़ां और ठाकुर रोशन सिंह ने अलग-अलग जेलों में 'वंदे मातरम' और 'सरफ़रोशी की तमन्ना' के उद्घोष के साथ फांसी के फंदे को चूम लिया था.
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'बिस्मिल की महफिल' इंडिया टूर 2025 की धूम, देशभर में गूंजेगा सूफी संगीत- पढ़ें डिटेल्स
- Wednesday October 1, 2025
भारत के लोकप्रिय सूफी कलाकार बिस्मिल अब अपनी बहुप्रशंसित प्रस्तुति ‘बिस्मिल की महफिल’ के साथ देशव्यापी टूर पर निकलने जा रहे हैं. इस भव्य संगीतमय यात्रा की घोषणा खुद बिस्मिल ने अपने इंस्टाग्राम अकाउंट पर की.
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काकोरी ट्रेन एक्शन के 100 साल: जिस मंदिर में बिस्मिल ने किया हवन, वहां अशफाक पढ़ते थे नमाज; कहानी क्रांतिकारियों की
- Sunday August 10, 2025
साल 2021 में, उत्तर प्रदेश सरकार ने इस क्रांतिकारी घटना का नाम बदलकर काकोरी ट्रेन एक्शन कर दिया. आधिकारिक संचार में इस घटना के उल्लेख के लिए काकोरी ट्रेन एक्शन नाम इस्तेमाल किया गया है.
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आज ही के दिन राम प्रसाद बिस्मिल, अशफाक उल्ला खान और ठाकुर रोशन सिंह ने देश के लिए चूम लिया था मौत का फंदा
- Thursday December 19, 2019
भारत को आजादी दिलाने के लिए अपना सब कुछ न्योछावर करने वाले स्वतंत्रता सेनानियों राम प्रसाद बिस्मिल (Ram Prasad Bismil), अशफाक उल्ला खान (Ashfaqulla Khan) और ठाकुर रोशन सिंह (Roshan Singh) को 1927 में 19 दिसंबर (19 December) के दिन ही फांसी दी गई थी. इस दिन को शहादत दिवस (Balidan Diwas) के रूप में मनाया जाता है. आजादी के इन मतवालों को काकोरी कांड को अंजाम देने के लिए फांसी पर चढ़ाया गया था.
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आज ही के दिन राम प्रसाद बिस्मिल, अशफाक उल्ला खां और रोशन सिंह को दी गई थी फांसी
- Wednesday December 19, 2018
- NDTVKhabar News Desk
महान स्वतंत्रता सेनानी राम प्रसाद बिस्मिल, अशफाक उल्ला खां और रोशन सिंह को आज ही के दिन 19 दिसंबर 1927 को फांसी दी गई थी. आज के इस दिन को बलिदान दिवस के रूप में मनाया जाता है. भारत को आजादी दिलाने के लिए राम प्रसाद बिस्मिल, अशफाक उल्ला खां और रोशन सिंह ने अपना सबकुछ न्योछावर कर दिया था. आजादी के इन मतवालों को काकोरी कांड को अंजाम देने के लिए सूली पर चढ़ाया गया था.
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यूपी के स्कूलों में पढ़ाई जाएगी बाबा गोरखनाथ, बाबा गंभीरनाथ और स्वामी प्रणवानंद की जीवनी
- Monday June 18, 2018
- NDTVKhabar News Desk
यूपी में छठी, सातवीं और आठवीं क्लास में पढ़ रहे सरकारी स्कूलों के बच्चों को नाथ संप्रदाय के गुरु बाबा गोरखनाथ, बाबा गंभीरनाथ और स्वामी प्रणवानंद सहित महान विभूतियों के बारे में पढ़ने का अवसर मिलेगा.
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राम प्रसाद बिस्मिल ने नहीं इन्होंने लिखी थी गजल, 'सरफरोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है...'
- Friday December 22, 2017
- NDTVKhabar News Desk
फांसी के फंदे को गले में डालने से पहले भी बिस्मिल ने 'सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है' के कुछ शेर पढ़े. वैसे तो ये शेर पटना के अजीमाबाद के मशहूर शायर बिस्मिल अजीमाबादी की रचना थी. लेकिन इसकी पहचान राम प्रसाद बिस्मिल को लेकर ज्यादा बन गई.
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बिस्मिल, अशफाक और रोशन: हंसते-हंसते झूले फंदे पर, ऐसे थे आजादी के वे 3 मतवाले
- Friday December 19, 2025
19 दिसंबर 1927 का वह दिन भारतीय स्वाधीनता संग्राम के इतिहास में बलिदान और वीरता की एक ऐसी दास्तान है, जिसने अंग्रेजी हुकूमत की चूलें हिला दी थीं. यह वही तारीख है जब काकोरी कांड के तीन वीर सपूतों-पंडित राम प्रसाद 'बिस्मिल', अशफ़ाक़ उल्लाह ख़ां और ठाकुर रोशन सिंह ने अलग-अलग जेलों में 'वंदे मातरम' और 'सरफ़रोशी की तमन्ना' के उद्घोष के साथ फांसी के फंदे को चूम लिया था.
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'बिस्मिल की महफिल' इंडिया टूर 2025 की धूम, देशभर में गूंजेगा सूफी संगीत- पढ़ें डिटेल्स
- Wednesday October 1, 2025
भारत के लोकप्रिय सूफी कलाकार बिस्मिल अब अपनी बहुप्रशंसित प्रस्तुति ‘बिस्मिल की महफिल’ के साथ देशव्यापी टूर पर निकलने जा रहे हैं. इस भव्य संगीतमय यात्रा की घोषणा खुद बिस्मिल ने अपने इंस्टाग्राम अकाउंट पर की.
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- Sunday August 10, 2025
साल 2021 में, उत्तर प्रदेश सरकार ने इस क्रांतिकारी घटना का नाम बदलकर काकोरी ट्रेन एक्शन कर दिया. आधिकारिक संचार में इस घटना के उल्लेख के लिए काकोरी ट्रेन एक्शन नाम इस्तेमाल किया गया है.
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आज ही के दिन राम प्रसाद बिस्मिल, अशफाक उल्ला खान और ठाकुर रोशन सिंह ने देश के लिए चूम लिया था मौत का फंदा
- Thursday December 19, 2019
भारत को आजादी दिलाने के लिए अपना सब कुछ न्योछावर करने वाले स्वतंत्रता सेनानियों राम प्रसाद बिस्मिल (Ram Prasad Bismil), अशफाक उल्ला खान (Ashfaqulla Khan) और ठाकुर रोशन सिंह (Roshan Singh) को 1927 में 19 दिसंबर (19 December) के दिन ही फांसी दी गई थी. इस दिन को शहादत दिवस (Balidan Diwas) के रूप में मनाया जाता है. आजादी के इन मतवालों को काकोरी कांड को अंजाम देने के लिए फांसी पर चढ़ाया गया था.
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आज ही के दिन राम प्रसाद बिस्मिल, अशफाक उल्ला खां और रोशन सिंह को दी गई थी फांसी
- Wednesday December 19, 2018
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महान स्वतंत्रता सेनानी राम प्रसाद बिस्मिल, अशफाक उल्ला खां और रोशन सिंह को आज ही के दिन 19 दिसंबर 1927 को फांसी दी गई थी. आज के इस दिन को बलिदान दिवस के रूप में मनाया जाता है. भारत को आजादी दिलाने के लिए राम प्रसाद बिस्मिल, अशफाक उल्ला खां और रोशन सिंह ने अपना सबकुछ न्योछावर कर दिया था. आजादी के इन मतवालों को काकोरी कांड को अंजाम देने के लिए सूली पर चढ़ाया गया था.
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यूपी के स्कूलों में पढ़ाई जाएगी बाबा गोरखनाथ, बाबा गंभीरनाथ और स्वामी प्रणवानंद की जीवनी
- Monday June 18, 2018
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यूपी में छठी, सातवीं और आठवीं क्लास में पढ़ रहे सरकारी स्कूलों के बच्चों को नाथ संप्रदाय के गुरु बाबा गोरखनाथ, बाबा गंभीरनाथ और स्वामी प्रणवानंद सहित महान विभूतियों के बारे में पढ़ने का अवसर मिलेगा.
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राम प्रसाद बिस्मिल ने नहीं इन्होंने लिखी थी गजल, 'सरफरोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है...'
- Friday December 22, 2017
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फांसी के फंदे को गले में डालने से पहले भी बिस्मिल ने 'सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है' के कुछ शेर पढ़े. वैसे तो ये शेर पटना के अजीमाबाद के मशहूर शायर बिस्मिल अजीमाबादी की रचना थी. लेकिन इसकी पहचान राम प्रसाद बिस्मिल को लेकर ज्यादा बन गई.
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