राष्ट्रमंडल खेलों में रजत पदक जीतने के कुछ देर बाद ज्वाला गुट्टा ने आज भारत में युगल मैचों के प्रति भेदभाव की कड़ी आलोचना की और कहा कि देश में एकल खिलाड़ियों को अधिक तवज्जो दी जाती है। गुट्टा और उनकी जोड़ीदार अश्विनी अपने खिताब का बचाव करने में नाकाम रही और यहां महिला युगल फाइनल में मलेशिया की विवियन काह मुन हू और खेल वी वून से 17-21, 21-23 से हार गई।
गुट्टा ने कहा कि भारत में युगल प्रारूप को पर्याप्त सहयोग नहीं मिलने के कारण युवाओं को बैडमिंटन में युगल के लिए प्रोत्साहित करना मुश्किल है। उन्होंने कहा, हम पर काफी कुछ निर्भर करता है और हमने वह किया जिसका भारतीयों ने सपना भी नहीं देखा था। हमने कुछ नहीं मांगा लेकिन हम यह चाहते हैं कि हमारी उपलब्धियों को भी तवज्जो मिले। हमें इसके लिए पैसा नहीं मिलता और सरकार से मिलने वाली राशि ही सब कुछ होती है।
गुट्टा ने कहा, हम अपने जूनियर को युगल में खेलने के लिए प्रेरित करना चाहते हैं, लेकिन वहां इसको कोई मान्यता नहीं दी जाती। हम अच्छा प्रदर्शन करना चाहते हैं और वह खेल खेलना चाहते हैं, जिसे हम चाहते हैं। हम पैसे के लिए ऐसा नहीं करते क्योंकि बैडमिंटन में पुरस्कार राशि बहुत कम होती है।
गुट्टा से पूछा गया कि क्या वह भविष्य में मिश्रित युगल में खेलेंगी, उन्होंने कहा, नहीं मैं मिश्रित युगल में नहीं खेलना चाहती। विशेषकर क्योंकि मेरे पास अच्छा जोड़ीदार नहीं है। भारत में मिश्रित युगल में समस्या है। युगल खिलाड़ियों पर ध्यान नहीं दिया जाता है और इसलिए कोई भी जूनियर खिलाड़ी इसे नहीं अपनाना चाहता है।
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