
- भीलवाड़ा के नंदराय गांव के सरकारी स्कूल के दो शिक्षकों ने अपने खर्च पर पांच शीर्ष छात्र को हवाई यात्रा करवाई
- शिक्षक अजय कुमार ने 90 प्रतिशत से अधिक अंक लाने वाले छात्रों को हवाई यात्रा का वादा किया था
- इस पहल के बाद 52 छात्रों में से 48 ने 70% से अधिक अंक प्राप्त कर स्कूल के परिणामों में सुधार दिखाया
जहां एक ओर सरकारी स्कूलों की जर्जर हालत की खबरें सुर्खियों में रहती हैं. वहीं, भीलवाड़ा के नंदराय गांव के एक स्कूल ने एक अनूठी पहल कर पूरे देश के लिए एक मिसाल पेश की है. राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय, नंदराय के दो शिक्षकों ने अपने खर्च पर पांच ऐसे विद्यार्थियों को हवाई यात्रा करवाई, जिन्होंने 12वीं कक्षा में 90% से अधिक अंक हासिल किए हैं. यह पहल न केवल शिक्षा के प्रति एक नया जोश पैदा कर रही है, बल्कि यह भी दिखा रही है कि अगर शिक्षक ठान लें तो शिक्षा की तस्वीर बदल सकती है.
अनूठे वादे ने बदल दिए नतीजे
स्कूल के प्रिंसिपल शंकरलाल जाट और शिक्षक अजय कुमार ने स्कूल के औसत परिणामों को सुधारने के लिए कई प्रयास किए. बावजूद इसके 100% परिणाम दूर की कौड़ी था. तब शिक्षक अजय कुमार ने एक साहसिक वादा किया. उन्होंने प्रार्थना सभा में ऐलान किया कि जो भी छात्र 90% से अधिक अंक लाएगा, उसे वे अपने और प्रिंसिपल के खर्च पर हवाई यात्रा करवाएंगे. इस घोषणा का जादुई असर हुआ. इस सत्र में 12वीं कक्षा के 52 छात्रों में से 48 ने 70% से अधिक अंक हासिल किए, और पांच छात्रों-नीलम, राधा, तनु, संतरा, और अस्मित ने 90% से अधिक अंक प्राप्त कर अपनी मेहनत का मीठा फल चखा.
टीचर ने निभाया अपना वादा
अपने वादे पर खरे उतरते हुए, प्रिंसिपल शंकरलाल जाट और शिक्षक अजय कुमार ने इन पांचों छात्रों को दीव-दमन की हवाई यात्रा करवाई. यह न केवल उनकी मेहनत का इनाम था, बल्कि किताबों से बाहर की दुनिया को देखने का पहला अनुभव भी था.
कहां से शुरू हुआ सफर?
यात्रा की शुरुआत गुजरात के सोमनाथ मंदिर के दर्शन से हुई. यहां छात्रों ने पहली बार आध्यात्मिकता को महसूस किया. इसके बाद, दीव पहुंचकर उन्होंने युद्धपोत INS Khukri देखा. वीर शहीदों की कहानियां सुनकर छात्रों ने साहस और देशप्रेम की असली परिभाषा को समझा. अहमदाबाद में साबरमती रिवरफ्रंट और अटल ब्रिज की इंजीनियरिंग ने उन्हें आधुनिक भारत की झलक दिखाई.
'कभी नहीं सोचा था गांव के बच्चे प्लेन में उड़ेंगे'
तीन दिन के इस यादगार सफर के बाद जब ये पांचों छात्र वापस लौटे, तो पूरा स्कूल तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा. इस अनूठी पहल ने न केवल छात्रों को प्रेरित किया, बल्कि पूरे गांव को भी गर्व महसूस कराया. गांव के बुज़ुर्गों ने भी कहा कि उन्होंने कभी नहीं सोचा था कि उनके गांव के बच्चे हवाई जहाज में उड़ेंगे.
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