पंजाब सरकार के मंत्री राणा गुरजीत सिंह.
फगवाड़ा:
पंजाब के विद्युत एवं सिंचाई मंत्री ने कहा कि अगर फसल विविधता पर जल्द ध्यान नहीं दिया गया और धान की खेती का क्षेत्रफल नहीं घटाया गया तो पंजाब को आने वाले समय में पानी की आपात स्थिति का सामना करना पड़ सकता है.
कैबिनेट मंत्री राणा गुरजीत सिंह ने कहा, 'अगर पानी का सही से इस्तेमाल और अच्छी तरह से संरक्षण नहीं किया गया तो आने वाले समय में पानी की आपात स्थिति पैदा होना निश्चित है.'
उन्होंने फसल विविधता को पंजाब के किसान वर्ग की समस्याओं का असली इलाज बताते हुए मौजूदा गेहूं-धान फसल चक्र को तेजी से छोड़कर बागबानी, फलों, सब्जियों एवं दूसरी फसलों की खेती पर ध्यान देने की वकालत की जिनमें कम पानी की जरूरत होती है.
मंत्री ने चेताया, 'अगर पानी जैसे कीमती संसाधन को बचाया नहीं गया तो ना केवल पंजाब बल्कि देश के दूसरे हिस्से भी जल युद्ध में उलझ जाएंगे.' उन्होंने कहा कि पंजाब के करीब 104 प्रखंडों को जल संसाधन मंत्रालय ने 'काला' घोषित कर दिया है जिसका मतलब है कि इन प्रखंडों का पानी प्रदूषित है और पीने के लायक नहीं है.
सिंह ने पूर्ववर्ती शिअद-भाजपा सरकार पर जनभावनाओं से खेलने का आरोप लगाते हुए कहा कि प्रकाश सिंह बादल के नेतृत्व वाली सरकार ने नीबू प्रजाति की फसलों की खेती को बढ़ावा देने के लिए 2002-07 में तत्कालीन अमरिंदर सिंह सरकार द्वारा शुरू की गई फसल विविधता को खत्म कर दिया था.
कैबिनेट मंत्री राणा गुरजीत सिंह ने कहा, 'अगर पानी का सही से इस्तेमाल और अच्छी तरह से संरक्षण नहीं किया गया तो आने वाले समय में पानी की आपात स्थिति पैदा होना निश्चित है.'
उन्होंने फसल विविधता को पंजाब के किसान वर्ग की समस्याओं का असली इलाज बताते हुए मौजूदा गेहूं-धान फसल चक्र को तेजी से छोड़कर बागबानी, फलों, सब्जियों एवं दूसरी फसलों की खेती पर ध्यान देने की वकालत की जिनमें कम पानी की जरूरत होती है.
मंत्री ने चेताया, 'अगर पानी जैसे कीमती संसाधन को बचाया नहीं गया तो ना केवल पंजाब बल्कि देश के दूसरे हिस्से भी जल युद्ध में उलझ जाएंगे.' उन्होंने कहा कि पंजाब के करीब 104 प्रखंडों को जल संसाधन मंत्रालय ने 'काला' घोषित कर दिया है जिसका मतलब है कि इन प्रखंडों का पानी प्रदूषित है और पीने के लायक नहीं है.
सिंह ने पूर्ववर्ती शिअद-भाजपा सरकार पर जनभावनाओं से खेलने का आरोप लगाते हुए कहा कि प्रकाश सिंह बादल के नेतृत्व वाली सरकार ने नीबू प्रजाति की फसलों की खेती को बढ़ावा देने के लिए 2002-07 में तत्कालीन अमरिंदर सिंह सरकार द्वारा शुरू की गई फसल विविधता को खत्म कर दिया था.
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