मुंबई:
ठाणे के बिल्डर सूरज परमार आत्महत्या मामले में सनसनीखेज़ खुलासा हुआ है। मामले में आरोपियों की जमानत अर्जी पर सुनवाई के दौरान बॉम्बे हाईकोर्ट में यह खुलासा हुआ। सरकारी वकील ने जमानत का विरोध करते हुए कहा है कि एनसीपी के विधायक जीतेन्द्र आव्हाड को मामले के आरोपी नजीब मुल्ला के बैंक अकाउंट से 1 करोड़ रुपये दिए गए हैं। इस वित्तीय सौदे की जांच के लिए आरोपियों की जमानत न हों।
सरकारी वकील राजा ठाकरे का यह बयान सूरज परमार आत्महत्या मामले में उस सांठगांठ की तरफ़ इशारा कर रहा है, जिसका जिक्र खुद परमार ने आत्महत्या से पहले लिखी सुसाइड नोट में किया है।
ठाणे के बिल्डर सूरज परमार ने अपने सुसाइड नोट में लिखा था कि इलाके के नेता, पुलिस और प्रशासन का नेक्सस उन्हें प्रताड़ित कर रहा है। जिस कारण वह आत्महत्या के लिए मजबूर हैं। परमार की इस चिठ्ठी के आधार पर हुई कार्रवाई में पुलिस ने ठाणे महानगरपालिका के चार पार्षदों को आरोपी बनाया है। इन आरोपियों में से एक ठाणे एनसीपी के अध्यक्ष नजीब मुल्ला के बैंक अकाउंट से एनसीपी विधायक और राज्य के पूर्व वैद्यकीय शिक्षा मंत्री जितेंद्र आव्हाड के खाते में 1 करोड़ रुपये भेजे गए। सरकारी वकील ने इस वित्तीय व्यवहार के जांच की मांग की है।
एनसीपी विधायक जीतेन्द्र आव्हड का नाम इस विवाद से जुड़ जाने की वजह से एनसीपी की खूब किरकिरी हुई है। आव्हाड इस से पहले भी पार्टी को मुश्किल में डालते रहे हैं। कभी वे ठाणे महानगरपालिका की अतिक्रमण विरोधी कार्रवाई में दखल देते अधिकारियों से भीड़ जाते हैं। तो कभी विधानसभा में असंसदीय शब्दों के इस्तेमाल करने पर निलंबित होते हैं।
उधर अपनी सफाई में आव्हाड ने ठाणे में संवाददातों से कहा है कि उन्हें मिले एक करोड़ रुपये एक कारोबार के सौदे में हुए मुनाफ़े का हिस्सा हैं। वे खुद आत्महत्या के मामले के आरोपी नज़ीब मुल्ला के साथ एक सौदे में पार्टनर थे। जिस सौदे से यह रक़म उन्हें मिली है।
इस बीच परमार आत्महत्या मामले के चारों आरोपियों ने अपनी ज़मानत याचिका ख़ारिज होने की संभावना देखते हुए हाई कोर्ट को आश्वस्त किया है कि वे शनिवार, 5 नवंबर को सुबह 9 बजे जांच अधिकारियों के सामने आ जाएंगे। साथ ही खुद को घिरता देख आरोपी पार्षद नज़ीब मुल्ला ने एनसीपी के ठाणे जिला अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया है। मंगलवार देर रात मुल्ला ने अपना इस्तीफा पार्टी के महाराष्ट्र अध्यक्ष सुनील तटकरे को भेज दिया।
सरकारी वकील राजा ठाकरे का यह बयान सूरज परमार आत्महत्या मामले में उस सांठगांठ की तरफ़ इशारा कर रहा है, जिसका जिक्र खुद परमार ने आत्महत्या से पहले लिखी सुसाइड नोट में किया है।
ठाणे के बिल्डर सूरज परमार ने अपने सुसाइड नोट में लिखा था कि इलाके के नेता, पुलिस और प्रशासन का नेक्सस उन्हें प्रताड़ित कर रहा है। जिस कारण वह आत्महत्या के लिए मजबूर हैं। परमार की इस चिठ्ठी के आधार पर हुई कार्रवाई में पुलिस ने ठाणे महानगरपालिका के चार पार्षदों को आरोपी बनाया है। इन आरोपियों में से एक ठाणे एनसीपी के अध्यक्ष नजीब मुल्ला के बैंक अकाउंट से एनसीपी विधायक और राज्य के पूर्व वैद्यकीय शिक्षा मंत्री जितेंद्र आव्हाड के खाते में 1 करोड़ रुपये भेजे गए। सरकारी वकील ने इस वित्तीय व्यवहार के जांच की मांग की है।
एनसीपी विधायक जीतेन्द्र आव्हड का नाम इस विवाद से जुड़ जाने की वजह से एनसीपी की खूब किरकिरी हुई है। आव्हाड इस से पहले भी पार्टी को मुश्किल में डालते रहे हैं। कभी वे ठाणे महानगरपालिका की अतिक्रमण विरोधी कार्रवाई में दखल देते अधिकारियों से भीड़ जाते हैं। तो कभी विधानसभा में असंसदीय शब्दों के इस्तेमाल करने पर निलंबित होते हैं।
उधर अपनी सफाई में आव्हाड ने ठाणे में संवाददातों से कहा है कि उन्हें मिले एक करोड़ रुपये एक कारोबार के सौदे में हुए मुनाफ़े का हिस्सा हैं। वे खुद आत्महत्या के मामले के आरोपी नज़ीब मुल्ला के साथ एक सौदे में पार्टनर थे। जिस सौदे से यह रक़म उन्हें मिली है।
इस बीच परमार आत्महत्या मामले के चारों आरोपियों ने अपनी ज़मानत याचिका ख़ारिज होने की संभावना देखते हुए हाई कोर्ट को आश्वस्त किया है कि वे शनिवार, 5 नवंबर को सुबह 9 बजे जांच अधिकारियों के सामने आ जाएंगे। साथ ही खुद को घिरता देख आरोपी पार्षद नज़ीब मुल्ला ने एनसीपी के ठाणे जिला अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया है। मंगलवार देर रात मुल्ला ने अपना इस्तीफा पार्टी के महाराष्ट्र अध्यक्ष सुनील तटकरे को भेज दिया।
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