प्रतीकात्मक तस्वीर
नई दिल्ली:
देश में शराब पीकर वाहन चलाने के मामलों की बढ़ती संख्या पर गंभीर चिंता जताते हुए बंबई उच्च न्यायालय ने गुरुवार को केन्द्र और महाराष्ट्र सरकार से ‘‘कतई बर्दाश्त नहीं करने की नीति’’ अपनाने का अनुरोध किया और आश्चर्य जताते हुए सवाल किया कि कम मात्रा में शराब पीने वाले को वाहन चलाने की अनुमति क्यों होनी चाहिए।
न्यायमूर्ति अभय ओका और न्यायमूर्ति गौतम पटेल की पीठ ने वर्ष 2002 हिट एंड रन मामले के पीड़ितों के लिए अभिनेता सलमान खान से और मुआवजे की मांग वाली एक याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि इसका कोई कारण नहीं है कि शराब की कितनी भी मात्रा पीने वाले को वाहन चलाने की अनुमति हो।
पीठ ने कहा कि उपलब्ध विकल्पों और विशेष रूप से तीसरे पक्ष को संभावित खतरों को देखते हुए हम केन्द्र और महाराष्ट्र सरकार से नशे में वाहन चलाने को कतई बर्दाश्त नहीं करने की नीति अपनाने का अनुरोध करते हैं।
उच्च न्यायालय में पत्रकार निखिल वागले की जनहित याचिका पर सुनवाई हो रही थी जिसमें खान से ज्यादा मुआवजे और कड़े कानून की मांग की गई। पिछले महीने बंबई उच्च न्यायालय ने अभिनेता को इस मामले में बरी कर दिया था।
खान करीब एक दशक पहले उच्च न्यायालय के निर्देश के अनुसार पीड़ितों के परिजनों के लिए 19 लाख रूपये का मुआवजा पहले ही जमा करा चुके हैं लेकिन वागले की याचिका पर अब भी सुनवाई की जा रही है क्योंकि अदालत ने अपना दायरा बढाते हुए इस तरह के मामलों में सजा बढ़ाने के मुद्दे को शामिल किया है।
न्यायमूर्ति अभय ओका और न्यायमूर्ति गौतम पटेल की पीठ ने वर्ष 2002 हिट एंड रन मामले के पीड़ितों के लिए अभिनेता सलमान खान से और मुआवजे की मांग वाली एक याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि इसका कोई कारण नहीं है कि शराब की कितनी भी मात्रा पीने वाले को वाहन चलाने की अनुमति हो।
पीठ ने कहा कि उपलब्ध विकल्पों और विशेष रूप से तीसरे पक्ष को संभावित खतरों को देखते हुए हम केन्द्र और महाराष्ट्र सरकार से नशे में वाहन चलाने को कतई बर्दाश्त नहीं करने की नीति अपनाने का अनुरोध करते हैं।
उच्च न्यायालय में पत्रकार निखिल वागले की जनहित याचिका पर सुनवाई हो रही थी जिसमें खान से ज्यादा मुआवजे और कड़े कानून की मांग की गई। पिछले महीने बंबई उच्च न्यायालय ने अभिनेता को इस मामले में बरी कर दिया था।
खान करीब एक दशक पहले उच्च न्यायालय के निर्देश के अनुसार पीड़ितों के परिजनों के लिए 19 लाख रूपये का मुआवजा पहले ही जमा करा चुके हैं लेकिन वागले की याचिका पर अब भी सुनवाई की जा रही है क्योंकि अदालत ने अपना दायरा बढाते हुए इस तरह के मामलों में सजा बढ़ाने के मुद्दे को शामिल किया है।
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