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जब अंडरवर्ल्ड डॉन अरुण गवली ने एनकाउंटर से बचने के लिए पहना राजनीति का 'बुलेट प्रूफ जैकेट'

90 के दशक में जब मुंबई पुलिस ने अंडरवर्ल्ड के खिलाफ मोर्चा खोला था. उस दौरान मुंबई पुलिस ने गैंगवार खत्म करने का दृढ़ निश्चय भी किया था.

जब अंडरवर्ल्ड डॉन अरुण गवली ने एनकाउंटर से बचने के लिए पहना राजनीति का 'बुलेट प्रूफ जैकेट'
अंडरवर्ल्ड डॉन ने जब राजनीति में मारी थी एंट्री
  • महाराष्ट्र विधानसभा में 2024 के चुनाव के बाद 41 प्रतिशत विधायक ऐसे हैं जिनपर गंभीर अपराध के मामले दर्ज हैं.
  • अरुण गवली, जो कुख्यात गैंगस्टर थे, हाल ही में नागपुर जेल से जमानत पर रिहा होकर भव्य स्वागत पाए.
  • गवली ने 2004 में राजनीति में प्रवेश किया और विधानसभा चुनाव जीतकर विधायक बन गए थे.
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मुंबई:

जिस विधानमंडल में कानून बनाए जाते हैं, उसी विधानमंडल में ऐसे लोगों को भी प्रवेश करते हुए महाराष्ट्र की जनता ने देखा है जिनका हमेशा ही कानून से छत्तीस का आंकड़ा रहा है. एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) के अनुसार, 2024 में महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के बाद बनी नई विधानसभा में 118 विधायक, यानी 41% जनप्रतिनिधि, ऐसे हैं जिनके खिलाफ गंभीर अपराधों के मामले दर्ज हैं. इनमें से तीन पर हत्या का, 11 पर हत्या के प्रयास का और दस पर महिलाओं के खिलाफ अत्याचार जैसे गंभीर आरोप हैं, जिनमें से एक पर बलात्कार का भी आरोप है. लेकिन यह महाराष्ट्र के लिए कोई नई बात नहीं है, पहले भी कई अपराधियों को विधानमंडल में विधायक के रूप में शपथ लेते हुए महाराष्ट्र की जनता ने देखा है. गैंगस्टर अरुण गवली की हाल ही में नागपुर जेल से जमानत पर रिहाई हुई. रिहाई के बाद मुंबई के भायखला स्थित कुख्यात दगडी चाली में अरुण गवली का भव्य स्वागत हुआ. शिवसैनिक की हत्या के मामले में गवली को उम्रकैद हुई थी और इसी मामले में उसे जमानत मिली है.

पाप धोने के लिए राजनीति की गंगा में डुबकी

कहा जाता है कि पाप धोने के लिए गंगा स्नान करना चाहिए, लेकिन कुछ अपराधियों ने पाप धोने के लिए गंगा के बजाय सत्ता का रास्ता चुना. 90 के दशक में उल्हासनगर के कलाणी और वसई-विरार के ठाकूर ने भी सक्रिय राजनीति का रास्ता चुना. ऐसे कुछ लोगों ने यह दिखाया कि TADA का आरोपी होना राजनीति में प्रवेश का मार्ग प्रशस्त कर सकता है. उनके नक्शेकदम पर चलते हुए कई अंडरवर्ल्ड डॉन राजनीति में उतरने को आतुर हो गए थे. इनमें से एक था अरुण गवली। एक समय मुंबई में पांच बड़ी गैंग हुआ करती थीं, जिनमें से एक का मुखिया गवली था. वसूली, अपहरण, हत्या, हत्या का प्रयास जैसे कई मामले उसके नाम पर दर्ज थे.

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90 के दशक में जब मुंबई पुलिस ने अंडरवर्ल्ड के खिलाफ मोर्चा खोला था. उस दौरान मुंबई पुलिस ने गैंगवार खत्म करने का दृढ़ निश्चय भी किया था. एक के बाद एक गैंगस्टर मुठभेड़ में मारे जाने लगे. यह देखकर भयभीत अरुण गवली को अहसास हुआ कि वह राजनीति का इस्तेमाल अपनी जान बचाने के लिए कर सकता है. उसने इसके लिए अपनी पार्टी 'अखिल भारतीय सेना' की स्थापना की और 2004 में दक्षिण मध्य मुंबई लोकसभा सीट से अपना भाग्य आजमाया. उस चुनाव में गवली को निराशा मिली, लेकिन उसने 93,000 वोट हासिल कर प्रतिद्वंद्वियों को कड़ी टक्कर दी थी. गवली का आत्मविश्वास बढ़ा और उसने उसी वर्ष हुए विधानसभा चुनाव में उतरने का फैसला किया. इस चुनाव में उसे सफलता मिली और पुलिस थाने में मुर्गा बनाकर बिठाया जाने वाला अरुण गवली विधायक बन गया.

दगडी चाल से विधानभवन तक

क्राइम रिपोर्टर के तौर पर, मैं कई बार दगडी चाली में गवली से मिलने जाता था. चुनाव जीतने के कुछ दिनों बाद, एक सुबह उसका फोन आया. उसने कहा कि मैं पहली बार विधान भवन जा रहा हूं... शपथ लेने के लिए. यह मेरे लिए एक खास खबर थी, क्योंकि उसने किसी अन्य पत्रकार को इसके बारे में नहीं बताया था. मैं तुरंत अपने कैमरामैन के साथ दगडी चाली पहुंचा.

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गवली ने विधानमंडल जाने की तैयारी की थी. उसका काफिला दूसरों जैसा नहीं था. उसका काफिला फिल्मी स्टाइल का था. अरुण गवली मिनी बस से यात्रा करता था, इस बस के साथ बीस युवक गवली की 'सुरक्षा' के लिए हमेशा तैनात रहते थे. ये सभी मिल मजदूर के घरों में जन्मे युवक थे. गवली की सुरक्षा के लिए खड़े ये युवक अरुण गवली को "डैडी" और उसकी पत्नी आशा को "मम्मी" कहकर बुलाते थे. गवली ने काले धन से इन सभी युवकों के भरण-पोषण की व्यवस्था कर दी थी.

पुलिस की थी काफिले पर नजर

सुबह दस बजे, गवली की मिनी बस विधानभवन की ओर रवाना हुई. बस के चारों ओर लगभग 20 मोटरसाइकिलें थीं. इन मोटरसाइकिलों पर गवली को 'सुरक्षा' देने वाले युवक सवार थे. यह काफिला दगडी चाली से विधानभवन की ओर निकला. रास्ते में गवली ने मुझे इंटरव्यू दिया, जिसमें उसने विधायक बनने के कारणों को बताया, जनता की भलाई का आश्वासन दिया, लेकिन अपनी आपराधिक पृष्ठभूमि पर बात करने से बचता रहा.

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मुझे लगातार यह महसूस हो रहा था कि मैं बड़ा जोखिम उठा रहा हूं, क्योंकि मैं जिस बस से गवली के साथ जा रहा था, उसे गवली के प्रतिद्वंद्वी गिरोहों द्वारा निशाना बनाए जाने की प्रबल संभावना थी. गवली की नजर भी स्थिर नहीं थी। वह लगातार खिड़की से बाहर देख रहा था. शायद उसे भी यही डर सता रहा था. अचानक, मेरी नजर बस के साथ जा रहे कुछ लोगों पर पड़ी. उन्हें देखते ही मुझे पता चल गया कि वे सादे वेश में क्राइम ब्रांच के अधिकारी थे. ये अधिकारी गवली पर बारीक नजर रख रहे थे, क्योंकि गवली भले ही विधायक बन गया हो, लेकिन उनके लिए वह अभी भी एक अपराधी ही था.

मिनी बस छोड़ी और मर्सिडीज पकड़ी

विधान भवन से कुछ मीटर की दूरी पर स्थित शिव सागर रेस्टोरेंट के पास गवली की मिनी बस अचानक रुकी. बस के सामने एक काली मर्सिडीज पहले से खड़ी थी. गवली बस से उतरा और मर्सिडीज में बैठ गया. मुझे लगा कि यह गवली ने जानबूझकर किया होगा. इस कृत्य से गवली ने यह संदेश देने की कोशिश की होगी कि वह भी सत्ता के खेल का एक खिलाड़ी बन गया है.

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