
- गैंगस्टर अरुण गवली को सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिलने के बाद नागपुर जेल से रिहा किया गया
- गवली 2007 में हुई शिवसेना पार्षद कमलाकर जामसांडेकर की हत्या के मामले में उम्रकैद की सजा काट रहे थे
- गवली 2004 में अखिल भारतीय सेना के उम्मीदवार के रूप में मुंबई की चिंचपोकली सीट से विधायक बना था
महाराष्ट्र की राजधानी मुंबई में कभी दहशत का पर्याय बना गैंगस्टर अरुण गवली 17 साल बाद जेल से रिहा हो गया है. गैंगस्टर अरुण गवली नागपुर जेल से बेल पर बाहर आया है. उसे सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिली थी.नागपुर पुलिस सुरक्षा के बीच अरुण गवली को नागपुर के डॉ. बाबासाहेब अंबेडकर हवाई अड्डे पर लेकर आई फिर विमान से मुंबई के लिए रवाना हुई. अरुण गवली 2004 में विधायक बना था, अखिल भारतीय सेना के उम्मीदवार के रूप में मुंबई की चिंचपोकली विधानसभा सीट से चुनाव जीता था. विधायक का कार्यकाल 2004 से 2009 तक रहा.
सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को अरुण गवली को ज़मानत दी थी. गवली 2007 में मुंबई में शिवसेना पार्षद कमलाकर जामसांडेकर की हत्या के मामले में आजीवन कारावास की सजा काट रहा था. गवली को उम्रकैद की सजा मिली थी. गवली मुंबई के शिवसेना पार्षद कमलाकर जामसांडेकर की हत्या के मामले में जेल में बंद था.नागपुर सेंट्रल जेल में उम्रकैद की सजा काट रहा था. गवली को मुंबई के शिवसेना पार्षद कमलाकर जमसांदेकर की 2007 में हुई हत्या के मामले में मुंबई सत्र न्यायालय ने 2012 को उम्रकैद की सजा सुनाई थी.बाद में उसे नागपुर की जेल भेजा गया
शिवसेना पार्षद हत्या मामले में गवली को 28 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने ज़मानत दी थी. बेल मंजूर करते हुए जस्टिस एम एम सुंदरेश और जस्टिस एन कोटिश्वर सिंह की बेंच ने इस पर ध्यान दिया था कि गवली 17 साल से ज़्यादा समय से जेल में है. उसकी उम्र भी 76 साल हो चुकी है. पार्षद मर्डर केस में बांबे हाईकोर्ट ने 2019 में निचली अदालत के फैसले को बरकरार था. गवली के आजीवन कारावास की सजा को बरकरार रखा गया था.
इस फैसले को गवली ने सुप्रीम कोर्ट मे चुनौती दी थी. गैंगस्टर अरुण गवली अपराध की दुनिया से बाहर निकलने के बाद राजनीति में आया और विधायक बना. गवली को 2006 में गिरफ्तार किया गया था और जमसांडेकर की हत्या केस मे मुकदमा चलाया गया था. अगस्त 2012 में मुंबई की एक सेशन कोर्ट ने गवली इसी मामले में आजीवन कारावास की सजा सुनाई और 17 लाख रुपये का जुर्माना लगाया गया था.
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