प्रतीकात्मक तस्वीर
मुंबई:
गोवा की परफ्यूम विशेषज्ञ मोनिका घुर्डे की बलात्कार के बाद हत्या वो भी कथित तौर पर उसकी बिल्डिंग के पहरेदार के हाथों. ये मामला बहुत कुछ मुंबई में 2012 में युवा वकील पल्लवी पुरकायस्थ के मर्डर जैसा ही है जहां सोसायटी के वॉचमैन सज्जाद मोगल पर पल्लवी की बलात्कार के बाद हत्या का आरोप लगा. पैरोल पर छूटने के बाद सज्जाद 7 महीने से फरार है.
ऐसे मामलों से निजी सुरक्षा गार्डों को लेकर लोगों के मन में कई सवाल उठाए हैं. इनके बैकग्राउंड की मुकम्मल जांच पर सख्ती बरतने के लिये सरकार ने कई कदम उठाने की सोची है. वहीं कई सोसायटी भी सुरक्षा पर सख्ती बरतने लगी हैं. श्रमिक कॉपरेटिव हाउंसिग सोसायटी के सदस्य गुरुनाथ मिठबावकर का कहना है हमने सिक्योरिटी इंचार्ज को पहले ही कह दिया है कि हर गार्ड की पृष्ठभूमि की पूरी जांच हो.
इस प्रक्रिया के मद्देनजर निजी सुरक्षा एजेंसी से उम्मीद है आधार कार्ड, ड्राइविंग लाइसेंस, पैन कार्ड जैसे सारे दस्तावेज वो इकट्ठा करे और स्थानीय पुलिस स्टेशन से उसकी पूरी जांच करवाये, इस प्रक्रिया में लगभग 45 दिन लगते हैं. कुशंग सिक्योरिटी के मालिक नीरज त्रिपाठी के मुताबिक हम सोसायटी से भी कहते हैं कि वो हर साल-छह महीने में सिक्योरिटी गार्ड को बदलें क्योंकि अगर वो एक जगह लंबे वक्त तक रहता है तो काफी अनौपचारिक हो जाता है.
लेकिन इन सबके बावजूद कई बार सुरक्षा में चूक की बातें सामने आती हैं, हालांकि कई सुरक्षा गार्ड नाम न बताने की शर्त पर कहते हैं कि हम अपना काम पूरी ईमानदारी से करते हैं लेकिन कुछ लोग हैं जो चोरी करते हैं, अपराध को अंजाम देते हैं. जिसकी वजह से सबको भुगतना पड़ता है.
कई निजी सुरक्षा एजेंसियां अपने कर्मचारियों के बारे में दस्तावेज जमा कराती हैं, लेकिन राज्य सूचना आयोग के आदेश के बाद अगले महीने से इसमें व्यापक बदलाव होंगे. इसके तहत पुलिस पर ज़िम्मेदारी होगी इनसे संबंधित सारी जानकारी सत्यापित कर उन्हें ऑनलाइन रखने की.
ऐसे मामलों से निजी सुरक्षा गार्डों को लेकर लोगों के मन में कई सवाल उठाए हैं. इनके बैकग्राउंड की मुकम्मल जांच पर सख्ती बरतने के लिये सरकार ने कई कदम उठाने की सोची है. वहीं कई सोसायटी भी सुरक्षा पर सख्ती बरतने लगी हैं. श्रमिक कॉपरेटिव हाउंसिग सोसायटी के सदस्य गुरुनाथ मिठबावकर का कहना है हमने सिक्योरिटी इंचार्ज को पहले ही कह दिया है कि हर गार्ड की पृष्ठभूमि की पूरी जांच हो.
इस प्रक्रिया के मद्देनजर निजी सुरक्षा एजेंसी से उम्मीद है आधार कार्ड, ड्राइविंग लाइसेंस, पैन कार्ड जैसे सारे दस्तावेज वो इकट्ठा करे और स्थानीय पुलिस स्टेशन से उसकी पूरी जांच करवाये, इस प्रक्रिया में लगभग 45 दिन लगते हैं. कुशंग सिक्योरिटी के मालिक नीरज त्रिपाठी के मुताबिक हम सोसायटी से भी कहते हैं कि वो हर साल-छह महीने में सिक्योरिटी गार्ड को बदलें क्योंकि अगर वो एक जगह लंबे वक्त तक रहता है तो काफी अनौपचारिक हो जाता है.
लेकिन इन सबके बावजूद कई बार सुरक्षा में चूक की बातें सामने आती हैं, हालांकि कई सुरक्षा गार्ड नाम न बताने की शर्त पर कहते हैं कि हम अपना काम पूरी ईमानदारी से करते हैं लेकिन कुछ लोग हैं जो चोरी करते हैं, अपराध को अंजाम देते हैं. जिसकी वजह से सबको भुगतना पड़ता है.
कई निजी सुरक्षा एजेंसियां अपने कर्मचारियों के बारे में दस्तावेज जमा कराती हैं, लेकिन राज्य सूचना आयोग के आदेश के बाद अगले महीने से इसमें व्यापक बदलाव होंगे. इसके तहत पुलिस पर ज़िम्मेदारी होगी इनसे संबंधित सारी जानकारी सत्यापित कर उन्हें ऑनलाइन रखने की.
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