हमला पीड़ित आकाश दामू घुगे से मुंबई पुलिस ने गायब हुए सबूत की जगह खून लगी हुई दूसरी शर्ट मांगी.
- आकाश दामु घुगे पर 20 दिसंबर 2015 को जानलेवा हमला हुआ था
- पुलिस का कहना है कि उसे खून से सने कपड़े मिल नहीं रहे
- पुलिस की लापरवाही या आरोपियों को बचाने की साजिश?
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मुंबई:
खुद की स्कॉटलैंड यार्ड से तुलना करने वाली मुंबई पुलिस का अजब कारनामा सामने आया है. हत्या की कोशिश के एक मामले में पुलिस ने पहले तो एक अहम सबूत गायब कर दिया और फिर पीड़ित को तलब कर उसे सबूत के तौर पर दूसरा कपड़ा देने को कहा. यानी पीड़ित से उसका खून लगा हुआ कपड़ा देने को कहा. पीड़ित इससे सकते में है. उसने मामले की शिकायत उच्च अधिकारियों से की जिस पर जांच कराई जा रही है.
शिवड़ी में रहने वाले आकाश दामु घुगे पर 20 दिसंबर 2015 को जानलेवा हमला हुआ था. हमलावर इस बात से नाराज थे कि आकाश ने उनकी तेल चोरी की टिप पुलिस को दी थी. हमले के कुछ महीने पहले ही शिवड़ी पुलिस ने पाइपलाइन से तेल चोरी का बड़ा मामला पकड़ा था. बड़ी संख्या में आए हमलावरों ने आकाश की बुरी तरह पिटाई की और फिर उसे मरा समझकर चले गए..लेकिन आकाश बच गया.
मामले की जांच कर पुलिस ने मुख्य आरोपी सहित कई को गिरफ्तार कर लिया और आरोप पत्र भी दायर कर दिया. आरोप पत्र में साफ तौर पर लिखा था कि हमले में इस्तेमाल बाकी सामान के साथ खून से सने कपड़े भी जब्त किए गए हैं. लेकिन अब अचानक पुलिस का कहना है कि खून से सने कपड़े मिल नहीं रहे. इतना ही नहीं पीड़ित आकाश का आरोप है कि शिवड़ी पुलिस ने उसे फोन कर अपना खून लगाकर दूसरे कपड़े देने को कहा है.
आकाश ने पुलिस से फोन पर हुई बातचीत रिकार्ड की है.
फोन पर रिकॉर्ड बातचीत का हिस्सा - 1
पीड़ित - मैडम जो मेरा सबूत है वो खोजने पर नहीं मिल सकता?
पीएसआई - मैंने तो यहां रख दिया था लेकिन अब वो कह रहे हैं कि नहीं मिल रहा तो अब मुझे ही फिर से करना होगा. असल में मैंने उनके पास दे दिया था.
पीड़ित - किसके पास दिया था ?
पीएसआई - जिनके पास दिया जाता है जो मुद्देमाल रखते हैं. टोप वगैरह सब हैं, वो कपड़े ही नही हैं.
फोन पर रिकॉर्ड बातचीत का हिस्सा - 2
एएसआई - मैडम ने बोला ना?
पीड़ित - मैं क्या कह रहा हूं, उसे खोजिए ना.
एएसआई - नहीं वो कपाट पर रखा था. पुलिस स्टेशन में मरम्मत का काम चल रहा था और उसी दौरान मैं बीमार भी था. तुम वैसे ही दे दो कुछ नहीं होता है मैं सील कर दूंगा.
शिवड़ी पुलिस की मांग से हैरान परेशान आकाश घुगे का कहना है कि इससे तो न सिर्फ उसका केस कमजोर होगा, उल्टे वह झूठा सबूत बनाने के आरोप में भी फंस सकता है. इसलिए उसने डीसीपी के पास लिखित शिकायत की है, लेकिन कोई उसे गंभीरता से नहीं ले रहा.
हालांकि पुलिस का कारनामा मीडिया में आने के बाद पुलिस अब मामले की जांच करने का दावा कर रही है. इलाके की डीसीपी सुनीता सालुंखे ठाकरे ने बताया कि उन्होंने थाना इंचार्ज को जांच कर रिपोर्ट सौंपने का आदेश दिया है.
मुंबई पुलिस का डिटेक्शन रेट भले ही अच्छा है लेकिन कन्विक्शन रेट को लेकर सवाल उठते रहे हैं. अब अहम सबूत के गायब होने और उसकी जगह पर दूसरा सबूत गढ़ने के लिए पीड़ित को मजबूर करने के खुलासे से मुंबई पुलिस की छवि और भी खराब होती दिख रही है. सवाल यह भी है कि यह सिर्फ लापरवाही है या आरोपियों को बचाने की साजिश?
शिवड़ी में रहने वाले आकाश दामु घुगे पर 20 दिसंबर 2015 को जानलेवा हमला हुआ था. हमलावर इस बात से नाराज थे कि आकाश ने उनकी तेल चोरी की टिप पुलिस को दी थी. हमले के कुछ महीने पहले ही शिवड़ी पुलिस ने पाइपलाइन से तेल चोरी का बड़ा मामला पकड़ा था. बड़ी संख्या में आए हमलावरों ने आकाश की बुरी तरह पिटाई की और फिर उसे मरा समझकर चले गए..लेकिन आकाश बच गया.
मामले की जांच कर पुलिस ने मुख्य आरोपी सहित कई को गिरफ्तार कर लिया और आरोप पत्र भी दायर कर दिया. आरोप पत्र में साफ तौर पर लिखा था कि हमले में इस्तेमाल बाकी सामान के साथ खून से सने कपड़े भी जब्त किए गए हैं. लेकिन अब अचानक पुलिस का कहना है कि खून से सने कपड़े मिल नहीं रहे. इतना ही नहीं पीड़ित आकाश का आरोप है कि शिवड़ी पुलिस ने उसे फोन कर अपना खून लगाकर दूसरे कपड़े देने को कहा है.
आकाश ने पुलिस से फोन पर हुई बातचीत रिकार्ड की है.
फोन पर रिकॉर्ड बातचीत का हिस्सा - 1
पीड़ित - मैडम जो मेरा सबूत है वो खोजने पर नहीं मिल सकता?
पीएसआई - मैंने तो यहां रख दिया था लेकिन अब वो कह रहे हैं कि नहीं मिल रहा तो अब मुझे ही फिर से करना होगा. असल में मैंने उनके पास दे दिया था.
पीड़ित - किसके पास दिया था ?
पीएसआई - जिनके पास दिया जाता है जो मुद्देमाल रखते हैं. टोप वगैरह सब हैं, वो कपड़े ही नही हैं.
फोन पर रिकॉर्ड बातचीत का हिस्सा - 2
एएसआई - मैडम ने बोला ना?
पीड़ित - मैं क्या कह रहा हूं, उसे खोजिए ना.
एएसआई - नहीं वो कपाट पर रखा था. पुलिस स्टेशन में मरम्मत का काम चल रहा था और उसी दौरान मैं बीमार भी था. तुम वैसे ही दे दो कुछ नहीं होता है मैं सील कर दूंगा.
शिवड़ी पुलिस की मांग से हैरान परेशान आकाश घुगे का कहना है कि इससे तो न सिर्फ उसका केस कमजोर होगा, उल्टे वह झूठा सबूत बनाने के आरोप में भी फंस सकता है. इसलिए उसने डीसीपी के पास लिखित शिकायत की है, लेकिन कोई उसे गंभीरता से नहीं ले रहा.
हालांकि पुलिस का कारनामा मीडिया में आने के बाद पुलिस अब मामले की जांच करने का दावा कर रही है. इलाके की डीसीपी सुनीता सालुंखे ठाकरे ने बताया कि उन्होंने थाना इंचार्ज को जांच कर रिपोर्ट सौंपने का आदेश दिया है.
मुंबई पुलिस का डिटेक्शन रेट भले ही अच्छा है लेकिन कन्विक्शन रेट को लेकर सवाल उठते रहे हैं. अब अहम सबूत के गायब होने और उसकी जगह पर दूसरा सबूत गढ़ने के लिए पीड़ित को मजबूर करने के खुलासे से मुंबई पुलिस की छवि और भी खराब होती दिख रही है. सवाल यह भी है कि यह सिर्फ लापरवाही है या आरोपियों को बचाने की साजिश?
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