- बॉम्बे हाईकोर्ट ने मुंबई में लगातार खराब होती वायु गुणवत्ता पर प्रशासन की लापरवाही को अस्वीकार्य बताया है.
- मुंबई में 50-60% वायु प्रदूषण का मुख्य स्रोत निर्माण स्थल हैं, जिन पर कड़ाई से निगरानी जरूरी है.
- कोर्ट ने BMC को कड़ी चेतावनी दी है कि नियमों का पालन न होने पर तत्काल सख्त कदम उठाए जाएंगे.
मुंबई में लगातार गिरती हवा की गुणवत्ता को लेकर बॉम्बे हाईकोर्ट ने एक बार फिर कड़ा रुख अपनाया है. इसी मामले में मंगलवार को मुंबई महानगरपालिका आयुक्त भुशन गगरानी हाईकोर्ट के समक्ष पेश हुए. अदालत पहले ही यह स्पष्ट कर चुकी है कि शहर में प्रदूषण बढ़ने पर प्रशासन की लापरवाही अस्वीकार्य है.
पिछली सुनवाई में कोर्ट ने नाराजगी जताते हुए कहा था कि मुंबई की वायु गुणवत्ता लगातार खराब हो रही है, लेकिन प्रशासन की कार्रवाई नाकाफी है. इसी आधार पर अदालत ने BMC कमिश्नर और महाराष्ट्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के सचिव दोनों को पेश होने का आदेश दिया था. हाईकोर्ट शहर की वायु गुणवत्ता को लेकर दायर कई याचिकाओं पर नियमित सुनवाई कर रहा है और हाल ही में प्रदूषण नियंत्रण के लिए एक विशेष समिति भी गठित करने का निर्देश दे चुका है, जिसमें पर्यावरण विशेषज्ञ, IIT के जानकार और राज्य सरकार के एक सेवानिवृत्त प्रधान सचिव शामिल हैं.
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50-60% वायु प्रदूषण का स्रोत- कंस्ट्रक्शन साइट्स
सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता ने अदालत के सामने कई गंभीर बिंदु रखे. समिति की रिपोर्ट के अनुसार मुंबई में 50-60% वायु प्रदूषण का स्रोत कंस्ट्रक्शन साइट्स हैं. BMC के नियमों के मुताबिक सभी निर्माण स्थलों का कवर रहना, नियमित पानी का छिड़काव और ट्रकों पर CCTV मॉनिटरिंग अनिवार्य है. निरीक्षण के लिए बनाए गए विशेष दस्तों को अपनी जांच की वीडियो रिकॉर्डिंग भी करनी होती है. इसके बावजूद 7 बड़े निर्माण स्थल नियमों का पालन नहीं कर रहे थे. 9 जनवरी 2025 को हाईकोर्ट ने कड़े निर्देश जारी किए थे, लेकिन BMC ने 6 नवंबर को देर से सर्कुलर जारी किया. समिति ने केवल बड़े निर्माण स्थलों का निरीक्षण किया, जबकि दावा किया गया कि सभी स्थलों की जांच हुई है.

मुंबई में AQI
अदालत की तीखी टिप्पणी
अदालत ने याद दिलाया कि 2023 में ही प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड स्पष्ट कर चुका था कि वायु प्रदूषण नियंत्रण योजना लागू करने की पूरी जिम्मेदारी BMC कमिश्नर की है. कोर्ट ने पूछा, 'आपने यह कार्ययोजना कब से लागू की है?'
BMC के कमिश्नर ने बताया कि 20 और 28 अक्टूबर से निर्माण स्थलों को मॉनिटर लगाने और आवश्यक कदम उठाने के निर्देश दिए गए हैं. लेकिन अदालत इससे संतुष्ट नहीं हुई.
कोर्ट ने जताई हैरानी
इस पर कोर्ट ने BMC से पूछा, 'अक्टूबर और नवंबर की स्थिति रिपोर्ट दीजिए. कितने AQI मॉनिटर खराब हैं और उनके खिलाफ क्या कार्रवाई हुई? बचाव पक्ष ने जवाब दिया कि खराब मॉनिटरों की जांच के लिए विशेषज्ञ नियुक्त किए गए हैं. इस पर कोर्ट ने नाराजगी जताई. कोर्ट ने कहा, क्या आप निर्देशों का इंतजार कर रहे थे? कितने निर्माण स्थलों पर ग्राउंड कवरिंग शीट लगाई गई है?
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BMC ने क्या कदम उठाए?
BMC ने कई इलाकों में निरीक्षण होने की बात कही. नियमों का उल्लंघन करने वालों को शो-कॉज नोटिस और स्टॉप वर्क नोटिस जारी किए गए हैं. नवंबर से अब तक 148 स्टॉप वर्क नोटिस दिए जा चुके हैं.
अदालत ने पूछे कठोर सवाल
BMC के जवाब से असंतुष्ट होते हुए कोर्ट ने पूछा आप ठोस कार्रवाई कब करेंगे? क्या आपके पास साप्ताहिक रिपोर्ट नहीं होती? सिर्फ मासिक रिपोर्ट क्यों? आखिरी बार आपने कब अचानक किसी निर्माण स्थल का निरीक्षण किया था? क्या कभी किया भी है?
अदालत ने कहा, 'हम काम बंद कराना नहीं चाहते, हमें सिर्फ कानून का पालन चाहिए.' इस पर बचाव पक्ष ने कहा, 'हमारी भी यही मंशा है.' लेकिन कोर्ट ने फटकार लगाते हुए टिप्पणी की, 'अपने आयुक्त को सड़कों पर भेजिए, खुद देख लेंगे कि नियमों का पालन कहीं नहीं हो रहा.' जब BMC ने दोबारा निरीक्षण कराने की बात कही तो कोर्ट ने सख्त चेतावनी दी कि अगर कार्रवाई नहीं हुई तो हम आपके खिलाफ तत्काल कदम उठाएंगे. अंत में अदालत ने कहा, स्थिति स्पष्ट रूप से नगर आयुक्त की लापरवाही का परिणाम है. अब समाधान लेकर आइए.
'यह सब सिर्फ दिखावटी कदम हैं'
सुनवाई में न्यायाधीश ने पूछा कि निर्माण स्थलों से संबंधित डेटा सिर्फ बीएमसी को क्यों भेजा जाता है और फिर PCB की भूमिका आखिर है क्या. इस पर PCB की ओर से पेश हुए वकील ने स्वीकार किया कि पूरा डेटा केवल बीएमसी को भेजा जाता है, जिस पर अदालत ने कड़ी टिप्पणी करते हुए कहा कि बोर्ड न तो एडवाइजरी जारी कर रहा है और न ही कोई ठोस कदम उठा रहा है. याचिकाकर्ता ने भी आरोप लगाया कि यह सब सिर्फ दिखावटी कदम हैं- डेटा तो इकट्ठा हो रहा है, लेकिन उस पर कार्रवाई नहीं होती. न्यायाधीश ने पूछा कि निर्माण स्थलों पर काम करने वाले श्रमिकों की सुरक्षा के लिए कौन-से उपाय किए जा रहे हैं, क्योंकि वे गंभीर स्वास्थ्य जोखिमों के संपर्क में हैं और स्वास्थ्य का अधिकार एक मौलिक अधिकार है. इसके जवाब में PCB की ओर से कहा गया कि वह डेटा एकत्र कर कल तक अदालत के रिकॉर्ड में पेश कर देगा.
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