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क्या मुंबई कांग्रेस अपने रुख पर पुनर्विचार करेगी? BMC चुनाव में MVA के रूप में लड़ने पर शिवसेना (यूबीटी) का जोर

ठाकरे भाइयों के गठबंधन की औपचारिक घोषणा जल्द होने की संभावना है और बीएमसी चुनाव के लिए नामांकन प्रक्रिया भी शुरू होने वाली है. ऐसे में समय तेजी से निकल रहा है. यदि कांग्रेस अपने फैसले पर पुनर्विचार करती है, तो सीटों के बंटवारे, साझा घोषणा पत्र और संयुक्त प्रचार की योजना तुरंत बनानी होगी.

क्या मुंबई कांग्रेस अपने रुख पर पुनर्विचार करेगी? BMC चुनाव में MVA के रूप में लड़ने पर शिवसेना (यूबीटी) का जोर
कांग्रेस ने बीएमसी चुनाव अकेले लड़ने की घोषणा कर दी है.
  • मुंबई कांग्रेस ने बीएमसी चुनाव अकेले लड़ने का फैसला लिया है.
  • उद्धव ठाकरे BJP को चुनौती देने के लिए विपक्ष का एकजुट होकर चुनाव लड़ना जरूरी मान रहे हैं.
  • हाल के स्थानीय निकाय चुनावों में BJP सबसे बड़ी पार्टी बनी जबकि महायुति गठबंधन ने कुल 200 से अधिक सीटें जीतीं..
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मुंबई:

ठाकरे भाइयों के गठबंधन ने महाविकास आघाड़ी (एमवीए) के भीतर नई दरारें पैदा कर दी हैं. मुंबई कांग्रेस ने बृहन्मुंबई महानगरपालिका (बीएमसी) चुनाव अकेले लड़ने का कड़ा फैसला लिया है और साफ कर दिया है कि वह राज ठाकरे की महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (एमएनएस) के साथ किसी भी तरह का गठबंधन नहीं करेगी. कांग्रेस के इस एकतरफा फैसले से शिवसेना (यूबीटी) प्रमुख उद्धव ठाकरे और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (शरद पवार गुट) के प्रमुख शरद पवार नाराज बताए जा रहे हैं.

गठबंधन पर संकट

हालांकि कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व को साथ लाने के लिए पर्दे के पीछे बातचीत जारी है, लेकिन मुंबई कांग्रेस इकाई अपने अकेले चुनाव लड़ने के फैसले पर अड़ी हुई है. पिछले लोकसभा और विधानसभा चुनावों में विपक्ष ने शिवसेना (यूबीटी), कांग्रेस और एनसीपी (एसपी) के साथ मिलकर महाविकास आघाड़ी के रूप में चुनाव लड़ा था. लेकिन बीएमसी जैसे अहम चुनाव से पहले यह गठबंधन संकट में नजर आ रहा है. शिवसेना (यूबीटी) और एनसीपी (एसपी) एमवीए में एमएनएस को शामिल करने के पक्ष में हैं, जबकि कांग्रेस इसका खुलकर विरोध कर रही है.

पिछले कुछ महीनों से उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे एक साथ मंच साझा करते हुए और राज्य की सत्तारूढ़ महायुति सरकार के खिलाफ आवाज उठाते नजर आ रहे हैं, जिससे मराठी अस्मिता के आधार पर संभावित गठबंधन के संकेत मिले हैं. बीएमसी चुनाव की घोषणा के बाद घटनाक्रम तेजी से बदला है और शिवसेना (यूबीटी)–एमएनएस गठबंधन की औपचारिक घोषणा किसी भी समय हो सकती है.

"विपक्ष का एकजुट होकर चुनाव लड़ना जरूरी"

सूत्रों के मुताबिक, उद्धव ठाकरे का मानना है कि भाजपा को चुनौती देने के लिए विपक्ष का एकजुट होकर चुनाव लड़ना जरूरी है ताकि वोटों का बंटवारा न हो. इसके बावजूद कांग्रेस ने बीएमसी चुनाव अकेले लड़ने की घोषणा कर दी है. बताया जा रहा है कि ठाकरे भाइयों के गठबंधन की बातचीत अंतिम चरण में है. इसी बीच शिवसेना (यूबीटी) के सांसद संजय राउत ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी से फोन पर बातचीत कर संयुक्त विपक्षी लड़ाई के लिए कांग्रेस से साथ आने की अपील की है. शिवसेना (यूबीटी) लगातार इस बात पर जोर दे रही है कि भाजपा के खिलाफ सामूहिक लड़ाई ही एकमात्र रास्ता है.

हाल ही में हुए 288 नगर परिषदों और नगर पंचायतों के स्थानीय निकाय चुनावों में भाजपा 117 सीटों के साथ सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी, जबकि सत्तारूढ़ महायुति (भाजपा, शिवसेना और एनसीपी) ने मिलकर 200 से अधिक सीटें हासिल कीं. इन चुनावों को बीएमसी चुनाव से पहले सेमीफाइनल माना जा रहा है.

इधर, अकेले चुनाव लड़ने का फैसला लेने के बाद कांग्रेस वैकल्पिक गठबंधनों पर विचार कर रही है. मुंबई कांग्रेस की अध्यक्ष वर्षा गायकवाड़ के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल ने हाल ही में शरद पवार से मुलाकात की, जिससे कांग्रेस–एनसीपी के पुराने गठबंधन के फिर से मजबूत होने के संकेत मिले हैं. इसके अलावा प्रकाश आंबेडकर की वंचित बहुजन आघाड़ी (वीबीए) के साथ भी बातचीत जारी है.

ठाकरे भाइयों के गठबंधन की औपचारिक घोषणा जल्द होने की संभावना है और बीएमसी चुनाव के लिए नामांकन प्रक्रिया भी शुरू होने वाली है. ऐसे में समय तेजी से निकल रहा है. यदि कांग्रेस अपने फैसले पर पुनर्विचार करती है, तो सीटों के बंटवारे, साझा घोषणा पत्र और संयुक्त प्रचार की योजना तुरंत बनानी होगी.

अब बड़ा सवाल यही है— क्या मुंबई कांग्रेस अपने एकला चलो के फैसले पर पुनर्विचार कर BMC चुनाव में महाविकास आघाड़ी (एमवीए) के साथ उतरेगी?

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