
मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (Shivraj Singh Chauhan) ने मंगलवार को आदिवासियों के पक्ष में विरोध का नेतृत्व करते हुए मौजूदा सीएम कमलनाथ से मुलाकात की. उन्होंने कमलनाथ सरकार को आदिवासी समुदाय की मांगों का एक ज्ञापन सौंपा और उनकी सभी मांगों को मान लिया गया. इसके बाद शिवराज सिंह ने ट्विटर पर सीएम कमलनाथ की तारीफ की है. उन्होंने ट्वीट किया, 'मुख्यमंत्री कमलनाथ जी ने आदिवासी भाइयों की मांगों को माना है. मैंने आदिवासी भाइयों से बात की है, सभी संतुष्ट हैं. आदिवासी भाइयों-बहनों को इस आंदोलन की सफलता के लिए बधाई देता हूं.' शिवराज सिंह के कार्यालय की ओर से किए गए एक अन्य ट्वीट में उन्होंने आंदोलनरत बुधनी के आदिवासियों की मांगें मानने पर मुख्यमंत्री कमलनाथ के प्रति आभार व्यक्त किया है. इस सफलता पर शिवराज सिंह ने आदिवासियों के साथ मिलकर विजय जुलूस भी निकाला.
श्री @ChouhanShivraj ने आंदोलनरत बुधनी के आदिवासियों की मांगें मानने पर मुख्यमंत्री श्री @OfficeOfKNath के प्रति आभार व्यक्त किया। pic.twitter.com/hH1lYWQ8rM
— Office of Shivraj (@OfficeofSSC) June 18, 2019
इसके बाद मुख्यमंत्री कमलनाथ ने उनकी सरकार द्वारा आदिवासियों के लिए किए जा रहे कार्यों का मंगलवार को ब्योरा जारी किया. उन्होंने कहा कि सत्ता में आते ही उनकी सरकार ने आदिवासियों के पक्ष में उनके कल्याण के लिए कई सारे कदम उठाए हैं. कमलनाथ ने यह बात ऐसे समय में कही है, जब पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने मंगलवार को यहां आदिवासियों के एक विरोध प्रदर्शन का नेतृत्व किया.
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सरकार की तरफ से जारी एक बयान में कमलनाथ ने कहा है, 'हमारी सदैव नीति रही है कि आदिवासी वर्ग का न केवल सर्वागीण विकास हो, बल्कि परम्परा से उन्हें मिले अधिकारों का संरक्षण भी हो. वनाधिकार कानून 2006 संप्रग सरकार ने लागू किया था. इस कानून के अंतर्गत मध्यप्रदेश में छह लाख 25 हजार आवेदन पूर्ववर्ती शिवराज सिंह चौहन की सरकार के दौरान आए थे. इनमें से तीन लाख 55 हजार आवेदन निरस्त कर दिए गए थे. हमारी सरकार ने इन सभी आवेदनों का पुनरीक्षण कर पात्र कब्जाधारियों को वनाधिकार पत्र देने का काम शुरू किया है.'
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मुख्यमंत्री ने आदिवासियों और वनवासियों के लिए किए जा रहे कार्यों का जिक्र करते हुए कहा, 'राज्य सरकार ने तेंदूपत्ता संग्रहण की दर 2000 रुपये प्रति मानक बोरा से बढ़ाकर 2500 रुपये कर दी है. सरकार के इस निर्णय से तेंदूपत्ता संग्रहण के कार्य में लगे आदिवासियों को प्रति बोरा 500 रुपये का लाभ मिला है. यह राशि पूर्व में बैंकों के माध्यम से तेंदूपत्ता श्रमिकों को दी जाती थी, जिससे उन्हें कठिनाई होती थी. हमारी सरकार ने यह निर्णय लिया कि तेंदूपत्ता संग्रहण की राशि का नगद भुगतान संग्राहक को किया जाएगा.'
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बता दें शिवराज सिंह ने मंगलवार को एक धरने का नेतृत्व करते हुए आरोप लगाया था कि राज्य की कांग्रेस नीत कमलनाथ सरकार गरीब आदिवासियों से जल, जंगल और जमीन का हक छीन रही है. (इनपुट-एजेंसी)
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