
- दलितों के गांव में कलश स्थापना करने नहीं पहुंचे पंडित
- पंडित के ना पहुंचने पर महिला थानेदार ने की कलश स्थापना
- ग्रामीणों ने पंडितों पर लगाया भेदभाव का आरोप
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वहीं, पटेरा के पंडित रमेश चौबे ने बताया, ‘हमलोग कुल चार पंडित हैं, लेकिन उनमें से कोई भी पहले हमें बुलाने नहीं आया, जिसके कारण सभी गांव चले गए और उनलोगों के यहां पूजा कराने के लिए कोई नहीं बचा. जब ये बात हमने उनको बताई तो वो सभी मिलकर हमलोगों को थाने ले गए और शिकायत दर्ज करवा दी कि हम इनके यहां पूजा नहीं कर रहे हैं.’
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ग्रामीणों ने बताया कि दलित पंडाल में पंडित के नहीं पहुंचने पर लोगों ने पुलिस को इस संबंध में जानकारी दी. सूचना के बाद पुलिस टीम वहां पहुंची और पूजा का जिम्मा खुद महिला थानेदार अंजलि उदेनिया ने उठा लिया. थानेदार को पूजा करते देख वहां एक पंडित आए. इस मामले में महिला थानेदार का कहना है कि उन्होंने तफ्तीश की है, मामला वक्त की कमी का है. अंजलि उदेनिया ने कहा, ‘जब मैं स्थापना कर रही थी तो वहां गांव के एक पुरोहित आ गये, लेकिन मैं पूजा करने लगी थी, इसलिए मुझे बीच में उठना अच्छा नहीं लगा. उनके निर्देशानुसार मैंने विधिपूर्वक मूर्ति स्थापना कराई.’