मध्यप्रदेश में जिन ग्राम पंचायतों ने अपना सरपंच निर्विरोध चुना है उन्हें 5 लाख रुपये मिलेंगे, जबकि लगातार दूसरी बार अपने सरपंच को निर्विरोध चुनने वाली पंचायतों को 7 लाख रुपये मिलेंगे. राज्य चुनाव आयोग की ओर से मध्यप्रदेश में पंचायत चुनावों के कार्यक्रम की घोषणा से पहले मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने यह घोषणा की.
शुक्रवार को राज्य चुनाव आयुक्त बीपी सिंह ने ग्रामीण स्थानीय निकाय चुनावों (तीन स्तरीय पंचायत चुनाव) के विस्तृत कार्यक्रम की घोषणा की. इसमें 22,921 ग्राम पंचायतों के चुनाव (सरपंच के 22921 पद और 3,63,726 पंचायत सदस्य), 313 जनपद के 6771 सदस्य शामिल हैं. 52 जिलों में पंचायतों और जिला पंचायत सदस्यों के 875 पदों के लिए 3 चरणों 25 जून, एक जुलाई और आठ जुलाई को चुनाव होंगे. परिणाम 14 और 15 जुलाई को घोषित किए जाएंगे. मतपत्रों के माध्यम से तीन चरणों में सुबह 7 से दोपहर 3 बजे के बीच मतदान होगा. .
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा, "यह देखा गया है कि स्थानीय निकाय चुनावों में, विशेष रूप से गांवों में न केवल उम्मीदवारों के बीच प्रतिस्पर्धा होती है, बल्कि मुकाबला संघर्ष में भी बदल जाता है. चुनाव खत्म होने के बाद ऐसे संघर्ष कभी-कभी हिंसक झगड़े में बदल जाते हैं. पिछले पंचायत चुनाव में कई गांवों ने सर्वसम्मति से अपने सरपंच और पंच को निर्विरोध चुनने का फैसला किया था. इन चुनावों में भी ऐसा सामंजस्यपूर्ण चुनाव संभव है. हमने इस बार ऐसी पंचायतों को समरसता पंचायत (सामंजस्यपूर्ण पंचायत) और आदर्श गांवों के रूप में वर्गीकृत करने का फैसला किया है. ऐसे ग्रामों में सभी प्रत्यक्ष लाभार्थी केन्द्र एवं राज्य की योजनाओं का शत-प्रतिशत क्रियान्वयन किया जाएगा. ऐसे ग्रामों को राज्य के आदर्श ग्राम बनाने के लिए उनका सर्वांगीण विकास सुनिश्चित किया जाएगा.
तीन स्तरीय पंचायत चुनावों की तारीखों की घोषणा के साथ आदर्श आचार संहिता तत्काल प्रभाव से लागू हो गई है और यह 15 जुलाई को परिणाम घोषित होने तक लागू रहेगी. राज्य में 2.03 करोड़ से अधिक पुरुष मतदाताओं और 1.90 करोड़ से अधिक महिला मतदाताओं सहित कुल 3.93 करोड़ से अधिक मतदाता 71,645 मतदान केंद्रों पर मताधिकार का प्रयोग करेंगे. शहरी स्थानीय निकाय चुनाव की तारीखों की घोषणा बाद में की जाएगी
राज्य सरकार ने नगर निगम और नगर पालिकाओं के महापौरों, अध्यक्षों के प्रत्यक्ष चुनाव की प्रणाली पर लौटने का फैसला किया है और 16 नगर निगमों में राज्यपाल मंगूभाई पटेल की सहमति के लिए इस संबंध में एक अध्यादेश भेजा है. हालांकि राज्य में 99 नगर पालिकाओं और 298 नगर परिषदों में अध्यक्षों का चुनाव पार्षदों द्वारा किया जाएगा.
इस महीने की शुरुआत में सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग को ओबीसी के लिए आरक्षण के साथ राज्य में पंचायत और शहरी निकाय चुनाव कराने का निर्देश दिया था, लेकिन 50 प्रतिशत की कैपिंग के साथ. ओबीसी आरक्षण में 2 प्रतिशत की वृद्धि की गई है. पहले यह आरक्षण 25 फीसदी था, जिसे बढ़ाकर 27 प्रतिशत कर दिया गया है. भोपाल नगर निगम के 85 वार्डों में से 23 वार्ड ओबीसी के लिए आरक्षित किए गए हैं. इंदौर में नगर निगम के 85 वार्डों में से कुल 18 वार्ड ओबीसी उम्मीदवारों के लिए आरक्षित हैं.
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