मध्यप्रदेश की कमलनाथ सरकार (Kamal Nath Government) ने राज्य में किसानों के कर्ज माफी की प्रक्रिया शुरू कर दी है. इसके लिए किसानों से आवेदन मांगे गए हैं. योजना के तहत डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर सिस्टम से राज्य के कोष से राशि किसान के फसल ऋण खाते में जमा कराई जाएगी. लेकिन इन सब के बीच बड़ा सवाल अब भी यही है कि इतना पैसा आएगा कहां से? अनुपूरक बजट में कर्जमाफी के लिये 5000 करोड़ का प्रावधान है, जबकि योजना के लिये 50,000 करोड़ रुपये से ज्यादा की रकम चाहिये. बता दें कि कांग्रेस पार्टी (Congress Party) ने सत्ता में आने से पहले राज्य के किसानों के कर्ज माफी की बात कही थी. वहीं दूसरी तरफ बोनस की मांग को लेकर गुरुवार को गन्ना किसानों ने मध्यप्रदेश विधानसभा का घेराव करने आए थे.
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हालांकि प्रशासन ने उन्हें रेलवे स्टेशन पर ही रोक लिया. बाद में राज्य के कृषि मंत्री किसानों से मिलने पहुंचे. इस दौरान उन्होंने गन्ना मूल्य बोनस की मांग पर हफ्ते भर का वक्त मांगा. इसके बाद तब जाकर हफ्ते भर के लिये आंदोलन स्थगित हुआ. लेकिन आने वाले दिनों में सरकार के सामने किसानों से जुड़े ऐसे कई मुद्दे हैं. सबसे बड़ा कर्जमाफी जिसके लिये पैसे चाहिये. सरकार ने सदन में विपक्ष के हंगामे के बीच 22,268 करोड़ का अनुपूरक बजट पास करा लिया जिसमें कर्ज़माफी के लिये जुगाड़े 5000 करोड़ रु. माना जा रहा है कि लगभग 35 लाख किसानों को इस योजना का लाभ मिलेगा पर अनुपूरक बजट में किये गये इंतज़ाम से साफ है कि सरकार खाली खजाने में से इससे अधिक रकम कर्जमाफी के लिए नहीं निकाल सकती थी. सरकार कहती है उसके पास तीन 'क' हैं, जिससे इंतज़ाम हो जाएगा.
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कृषि मंत्री सचिन यादव ने कहा ये ट्रिपल "क" की सरकार है "क से कांग्रेस", "क कमलनाथ " और "क से किसान", हमने फिज़ूलखर्ची रोककर पिछले 22 दिनों में 150 करोड़ बचाए हैं, हमने सवाल किया कि क से किफायत ठीक है लेकिन बाकी पैसे जुगाड़ेंगे कैसे? तो यादव का जवाब था बहुत सारे विकल्प हैं आदरणीय मुख्यमंत्री तलाशेंगे उनके निर्देशन में मार्गदर्शन में हम सभी चुनौतियों का पार करेंगे. लेकिन ये इतना आसान भी नहीं क्योंकि मध्यप्रदेश के सकल घरेलू उत्पाद के मुकाबले उसका सकल मौद्रिक घाटा 3.3% के आसपास है, यानी एफआरबीएम के नियमों की सीमा से 0.2% ज्यादा. मोटा-मोटी गणित के हिसाब से सरकार और 7000 करोड़ का कर्ज जुगाड़ सकती है वो भी तब जब 2018-19 में राज्य पर कर्ज़ा 1,87,636 करोड़ का है, जिसके लिये 12,867 करोड़ ब्याज चुकाना होता है.
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विपक्ष भी यही पूछ रहा है कि पैसा आएगा कहां से, नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव ने कहा आपके पास कौन सा ऐसा प्रावधान हैं जिससे रेवन्यू बढ़ जाएगा जिससे सारे इंतजाम कर पाएंगा जितना आरबीआई करती है 3.5 हम कर सकते हैं इससे ज्यादा करते हैं तो पैसा कहां से लाएंगे तो ये कोरी गप्प होगा. जब हमने सवाल किया खज़ाना तो आपने ख़ाली किया है, सत्ता पक्ष भी यही कह रहा है कि उन्हें ख़ाली खज़ाना मिला है तो भार्गव ने कहा कि ये आज तो हुआ नहीं है, ये स्थिति पहले भी थी तो फिर सरकार ने पहले ऐसे वायदे किये क्यों? इस बीच कर्जमाफी के आवेदन मुख्यमंत्री की तस्वीर के साथ तैयार हैं. किसानों का 1 अप्रैल 2007 से 12 दिसंबर 2018 तक का कर्ज माफ होगा.
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26 जनवरी से किसानों को तीन अलग-अलग रंगों का फार्म भरना होगा. हरा फॉर्म आधार से लिंक किसानों के लिए होगा. सफेद फॉर्म बिना आधार संख्या वाले किसानों के लिए होगा, लेकिन इन्हें पहचान-पत्र के तौर पर कोई दूसरा दस्तावेज देना होगा. गुलाबी फॉर्म उन किसानों के लिए होगा जिनके पास ना तो आधार है ना ही कोई अन्य पहचान का दस्तावेज. 26 जनवरी को होने वाली ग्राम सभा में तीनों रंगों के आवेदनों के किसानों के नाम पढ़कर सुनाए जाएंगे, 27 जनवरी से पांच फरवरी तक आवेदनों की एंट्री और दावे आपत्तियां ली जाएंगी. 18 से 20 फरवरी तक दावों का निपटारा होगा.
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लेकिन सवाल यही है कि फरवरी तक सरकारी खज़ाने में पैसा आएगा तो कहां से, वैसे कैग रिपोर्ट को देखें तो सरकार की समस्या कुछ हद तक सुलझ सकती है क्योंकि 2016-17 में उसके अलग-अलग विभागों का 11,561 करोड़ बकाया है जबकि 21576 करोड़ अलग-अलग दावों में उलझे हैं अगर सरकार इसे सुलझा ले तो उसे काफी सहूलियत मिल सकती है.
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