मध्यप्रदेश के बालाघाट जिले के गढ़ी में 6 सितंबर को नक्सलियों और पुलिस के बीच हुई कथित फायरिंग में एक शख्स की मौत के मामले ने तूल पकड़ लिया है. परिवार ने आरोप लगाया है कि उनका बेटा मछली पकड़ने गया था, लौटते समय नक्सली के शक में उसकी हत्या कर दी गयी. पुलिस पर उठ रहे सवालों को लेकर अब इस पूरे मामले की मजिस्ट्रियल जांच शुरू हो गई है. छत्तीसगढ़ सरकार ने भी मध्यप्रदेश सरकार को इस मामले में चिठ्ठी लिखी है.
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बालसमुंद गांव मध्यप्रदेश-छत्तीसगढ़ की सीमा पर है, इसी गांव के नेमसिंह और झामसिंह 6 तारीख को मछली पकड़ने जंगल में गए थे. आरोप है कि इसी दौरान दो वर्दीधारी लोग मिले और उन्होंने रुकने का इशारा किया. नहीं रुकने पर उन्होंने पीछे से गोली चला दी. एक गोली झामसिंह को लगी और दूसरी गोली नेमसिंह के मछली पकड़ने वाली डंडी को लगी.
मुठभेड़ की जगह पर एक बंदूक, झोले में पैक दाल-चावल की तस्वीरें भी आ गईं. एक और तस्वीर आई जोकि एक पन्नी की है, जिसमें मछलियों के चारे के लिए केंचुए थे, हालांकि ये सरकार ने नहीं भेजी.
स्थानीय आदिवासी नेता प्रभाती मरकाम कहते हैं कि यह घटना फर्जी मुठभेड़ है, ग्रामीण मछली पकड़ने गये थे शाम का वक्त था वापस आ रहे थे, रूकने कहा गया इनको लगा फॉरेस्ट के लोग हैं, हमारे ऊपर कार्रवाई होगी. जो शख्स जिंदा बचा है उसके बताये अनुसार एमपी में सुरक्षाबल ने घटना को अंजाम दिया है हम इसकी कड़ी निंदा करते हैं. झामसिंह एक एकड़ जमीन पर खेती से 3 बच्चों का पालन-पोषण करते थे.
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हालांकि, मध्यप्रदेश पुलिस का दावा है कि उस दिन नक्सलियों और सुरक्षा बलों के बीच मुठभेड़ हो गई थी. दोनों ओर से करीब 3 घंटे तक फायरिंग चली. रात में अंधेरे का फायदा उठाकर नक्सली भाग गए, लेकिन सुबह पुलिस को एनकाउंटर वाली जगह पर एक अज्ञात व्यक्ति का शव बरामद हुआ था. पुलिस ने बताया नक्सली करीब 15 से 20 की संख्या में थे. नक्सलियों की ओर से पहले फायरिंग की गई थी. नक्सलियों पुलिस जवानों पर 40 से 50 राउंड फायरिंग की थी. इस के जवाब और आत्म सुरक्षा को देखते हुए पुलिस ने भी फायरिंग की थी.
बालाघाट के एसपी अभिषेक तिवारी ने कहा बसपहरा जंगल में हॉक फोर्स और विस्तार प्लाटून के बीच फायरिंग हुई, हमें लगा 12-15 नक्सली आनेवाले हैं, पहाड़ी पर चढ़ते वक्त फायर आया हॉक फोर्स ने सुरक्षा में 18-20 राउंड फायर किया. हालांकि पुलिस की इस थ्योरी पर कई सवाल हैं, अगर गढ़ी पुलिस सर्चिंग में निकली थी, तो स्टेट बार्डर क्षेत्र होने के कारण झलमला पुलिस को सर्चिंग की सूचना दी गई? घटना स्थल पर पुलिस को जो बंदूक मिली वो कहां से आई? अगर वहां गोलियां चलीं तो खाली कारतूस कहां हैं?
इस मामले में छत्तीसगढ़ के कैबिनेट मंत्री मो. अकबर ने मध्यप्रदेश के गृहमंत्री-मुख्यमंत्री दोनों को खत लिखा है लेकिन आरोप है कि अभीतक उन्हें कोई जवाब नहीं मिला है.
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