
- ठाकरे ब्रदर्स ने मराठी अस्मिता रैली में लगभग दो दशक बाद एक मंच साझा किया था
- उद्धव ठाकरे ने कहा कि ठाकरे परिवार की राजनीति में एकजुटता जरूरी है
- उद्धव ठाकरे ने प्रधानमंत्री मोदी के चीन दौरे पर सवाल उठाया है
मुंबई में मराठी अस्मिता के मुद्दे पर आयोजित एक रैली में शिवसेना (UBT) प्रमुख उद्धव ठाकरे और मनसे अध्यक्ष राज ठाकरे ने करीब दो दशक बाद एक मंच साझा किया तो इस ऐतिहासिक मिलन ने महाराष्ट्र की राजनीति में नया मोड़ ला दिया है. एक मंच शेयर करने के साथ ही दोनों भाइयों के बीच दूरियां खत्म होने के कयास लगाए जा रहे हैं. तब उद्धव ठाकरे ने स्पष्ट कहा, “राज ठाकरे के साथ आने का फैसला हम दोनों ही करेंगे, हमें तीसरे किसी की आवश्यकता नहीं है.” उनका यह बयान बीजेपी और अन्य दलों को संकेत देता है कि ठाकरे परिवार की राजनीति अब फिर एकजुट हो रही है.
पीएम मोदी के चीन दौरे पर सवाल
उद्धव ठाकरे ने कहा कि कौन दुश्मन है, कौन मित्र है ये तय करना चाहिए. उनके मित्र तो कोई रहे नहीं. चीन पाकिस्तान को मदद कर रहा है. चीन प्रोडक्ट बायकॉट किया था अब मोदी चीन में क्यों जा रहे है? पहलगाम में सिंदूर मिटाया गया, उसपर मोदी का क्या जवाब है. परिवार और पार्टी को तोड़ने का काम किया जा रहा है. मजबूत पीएम, रक्षा मंत्री चाहिए. जब भी कोई आपत्ति आती है तो ये लापता होते हैं. हम किसी भाषा का द्वेष नहीं करते लेकिन हमारे साथ जबरदस्ती ना करें. प्रधानमंत्री और गृहमंत्री गुजरात से आते है लेकिन हिंदी क्या जरूरी थी क्या?
हिंदी के विरोध में एकसाथ हुए ठाकरे ब्रदर्स
सीएम देवेंद्र फडणवीस सरकार को त्रिभाषा फार्मूले से जुड़े अब रद्द किये जा चुके जीआर को लेकर भारी विरोध का सामना करना पड़ा, जिसके तहत हिंदी को प्राथमिक विद्यालयों में पढ़ाई जाने वाली तीसरी भाषा बनाया गया था. पिछले महीने राज ठाकरे के नेतृत्व वाली मनसे और उद्धव के नेतृत्व वाली शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) द्वारा महाराष्ट्र में कथित तौर पर हिंदी थोपे जाने के खिलाफ जोरदार विरोध प्रदर्शन शुरू करने के बाद सरकार को यह जीआर रद्द करने के लिए मजबूर होना पड़ा था. महाराष्ट्र में हिंदी के विरोध को लेकर दोनों भाई लंबे वक्त बाद एक साथ मंच पर दिखे थे, जिसके बाद से दोनों के बीच की दूरियां कम होने की खबरें जोर पकड़ने लगी.
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