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कोई क्या सोचता है फर्क नहीं पड़ता... क्या महाविकास अघाड़ी में आई दरार? संजय राउत का बयान तो पढ़ लीजिए

संजय राउत ने सोशल मीडिया साइट एक्स पर पोस्ट लिखकर कहा कि शिवसेना और एमएनएस पहले ही एक साथ आ चुके हैं. यह लोगों की इच्छा है. इसके लिए किसी के आदेश या अनुमति की कोई जरूरत नहीं है.

कोई क्या सोचता है फर्क नहीं पड़ता... क्या महाविकास अघाड़ी में आई दरार? संजय राउत का बयान तो पढ़ लीजिए
  • बिहार विधानसभा चुनाव में महागठबंधन की हार के बाद इंडिया गठबंधन के सहयोगी दल कांग्रेस के प्रति मुखर हुए हैं
  • शिवसेना (यूबीटी) के संजय राउत ने कहा कि एमएनएस और शिवसेना को कांग्रेस की राय से कोई फर्क नहीं पड़ता
  • संजय राउत ने एमएनएस और शिवसेना की पहले ही एकजुटता को लोगों की इच्छा बताया और अनुमति की आवश्यकता नकारा
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मुंबई:

बिहार विधानसभा चुनाव में महागठबंधन की करारी हार का असर अब इंडिया गठबंधन के दूसरे साथियों या यूं कहें कि सहयोगी दलों पर पड़ता दिख रहा है. इसका ही असर है कि इंडिया गठबंधन की पार्टियां अब कांग्रेस को लेकर मुखर होती दिख रही हैं. महाराष्ट्र में शिवसेना (यूबीटी) ने कांग्रेस को लेकर बड़ा बयान दिया है. शिवेसना (यूबीटी) के नेता संजय राउत ने कहा है कि अगर राज ठाकरे की एमएनएस और उद्धव ठाकरे की शिवसेना साथ आना चाहते हैं तो हमें इससे कोई फर्क नहीं पड़ता है कि आखिर इसके बारे में कांग्रेस क्या सोचती है. 

संजय राउत ने शनिवार को कहा कि कांग्रेस जो भी फैसला करती है वह उसका निजी फैसला होता है. लेकिन एमएनएस या शिवसेना (यूबीटी) किसी की इजाजत का इंतजार नहीं करेगी. संजय राउत ने सोशल मीडिया साइट एक्स पर पोस्ट लिखकर कहा कि शिवसेना और एमएनएस पहले ही एक साथ आ चुके हैं. यह लोगों की इच्छा है. इसके लिए किसी के आदेश या अनुमति की कोई जरूरत नहीं है. यहां तक की शरद पवार और लेफ्ट पार्टियां भी इस पर एक साथ हैं. 

एमएनएस को लेकर क्या रहा है कांग्रेस का रुख?

आपको बता दें कि बात अगर एमएनएस को लेकर कांग्रेस के रुख की करें तो कांग्रेस हमेशा से ही एमएनएस के खिलाफ रही है. वह विचारधारा के मामले में उसे अलग मानती है. लेकिन उद्धव ठाकरे की पार्टी मुंबई में होने जा रहे नगर निगम चुनाव में एमएनएस के साथ मिलकर लड़ने को तैयार है. हांलाकि खबर तो ये भी है कि कांग्रेस को भी साथ लाने की कोशिश हो रही है. कांग्रेस पहले ही ऐलान कर चुकी है कि वह अकेले चुनाव लड़ेगी. 

इस घोषणा से महाराष्ट्र में विपक्ष की चुनावी एकता की संभावना पर सवालिया निशान लग गया. एमएनएस के साथ शिवसेना (यूबीटी) की निकटता कांग्रेस को रास नहीं आई, जो एमएनएस से सुरक्षित दूरी बनाए हुए थी. हालांकि कांग्रेस ने ठाकरे भाइयों के पुनर्मिलन का स्वागत किया है, लेकिन उसने मनसे के साथ राजनीतिक गठबंधन से परहेज किया है. 
 

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