चंद्रपुर:
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
महाराष्ट्र के चंद्रपुर जिले के बफर जोन से लगे वनपरिक्षेत्र में आतंक और दहशत का पर्याय बन "सिटी वन" बाघ को आखिरकार बेहोशी का इंजेक्शन देकर उसे वन विभाग ने पिंजरे में कैद कर लिया गया है. जंगल में स्थाई ठिकाना नहीं मिलने के कारण वह बार-बार जंगल से निकलकर शिकार की तलाश में वह रिहायशी इलाके को और बढ़ रहा था. बता दें कि इस नरभक्षी बाघ ने गढ़चिरौली जिले में 6, चंद्रपुर जिले में 3 और भंडारा जिले में 4 लोगों पर हमला करते हुए उन्हें मार दिया था.इस नरभक्षी बाघ के लगातार हमलों में अब तक 13 लोगों की मौत हुई है, जिसके चलते दहशत के साए में जी रहे ग्रामीण वन विभाग अधिकारियों से निजात दिलाने की गुहार लगा रहे थे. लिहाज़ा वन विभाग अधिकारियों के नेतृत्व में 2 टीमों ने काम करना शुरू किया और संभावित वन परिक्षेत्र में कैमरा ट्रैप की संख्या बढ़ाई गई तथा निगरानी रखी जा रही थी.इस बाघ ने गढ़चिरौली जिले की वड़सा ( देसाईगंज ) के वड़ूमाता जंगल वन परिक्षेत्र में एक गाय का 2 दिन पूर्व शिकार करते उसे मार दिया था, जिसपर वन विभाग अधिकारियों को यह शक था कि वह शिकार का मांस खाने फिर लौटेगा? जिसे पकड़ने की योजना बनाई गई और ताड़ोबा से बुलाई गई स्पेशल टीम के निशानेबाजों ने बाघ पर नजर रखी तथा बाघ के लिए शिकार हेतु एक दूसरी गाय भी रखी गई.आखिरकार नरभक्षी बाघ वन अधिकारियों के लगाए गए ट्रैप में फंस गया जैसे ही बाघ शिकार की ओर जाता दिखाई दिया वन विभाग टीम के जवान ने उस पर डार्ट (बेहोशी का इंजेक्शन ) फायर किया, इंजेक्शन लगते ही कुछ देर में बाघ बेसुध हो गया जिस पर उसे पिंजरे में कैद कर लिया गया और पानी की बौछार करने पर बाघ को होश आ गया ओर उसे मेडिकल परीक्षण के लिए भेजा गया है. बाघ के पकड़े जाने की सूचना के बाद क्षेत्र के लोगों ने राहत की सांस ली है.
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