महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव को लेकर अभी तक आए रुझानों में एनडीए की आंधी देखने को मिल रही है. अभी तक जो रुझान आए हैं उसके मुताबिक एनडीए अब 210 सीटों पर आगे चल रही है. वहीं, महाविकास अघाड़ी अब 67 सीटों पर आगे है. एनडीए की इस आंधी को अगर डिकोड करने की कोशिश करें तो हम पाएंगे कि जिन 2010 सीटों पर एनडीए अभी लीड कर रही है, उनमें से 124 सीटों पर अकेले बीजेपी आगे है. वहीं, शिवेसना फिलहाल 55 सीटों पर और अजित पवार की एनसीपी 34 सीटों पर लीड कर रहरी है. राजनीति के जानकार मान कर चल रहे हैं कि अगर रुझान आगे भी ऐसे ही बने रहे तो बीजेपी अकेले अपने दम पर भी सरकार बना सकती है. ऐसे में अगर शुरुआती रुझान नतीजों में तब्दील हुए तो इसका सीधा असर एनडीए के घटक दलों यानी एकनाथ शिंदे की शिवसेना और अजित पवार के एनसीपी पर पड़ेगा. चलिए हम आपको बताते हैं कि अगर रुझान नतीजों में बदले और एनडीए में बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी तो ऐसे में एकनाथ शिंदे और अजित पवार की पार्टी पर इसका क्या असर पड़ेगा.
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घट जाएगी बारगेंनिग पावर
नतीजों में अगर बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरती है तो इसका सबसे ज्यादा असर शिवसेना और एनसीपी की बारगेनिंग पावर पर पड़ेगा. यानी एनडीए गठबंधन में रहते हुए ये दल पहले जिस तरह से तमाम चीजों पर बारगेंनिंग करने की स्थिति में वहीं अब जब बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी तो वो ऐसा नहीं कर पाएंगे. इसका साफ सा मतलब ये हुआ कि एनडीए में अब बीजेपी पहले की तुलना में कहीं ज्यादा मजबूत होगी.
सीएम पोस्ट भी बीजेपी के पास रह सकता है
बीजेपी अगर सबसे बड़ी पार्टी बनकर सामने आई तो इसका एक मतलब तो ये भी होगा कि चुनाव नतीजों के बाद एकनाथ शिंदे अब महाराष्ट्र के सीएम नहीं रह पाएंगे. साथ ही साथ ये भी काफी हद तक स्पष्ट हो जाएगा कि बीजेपी अब इस पोस्ट पर अपना ही कोई नेता बिठाएगी और शिंदे व पवार जैसे उनके सहयोगी चाहकर भी इसका विरोध नहीं कर पाएंगे.
पोर्टफोलियो बंटवारे पर भी पड़ेगा असर
बीजेपी अगर सबसे बड़ी पार्टी बनी तो इसका असर मंत्रीमंडल के बंटवारे पर भी पड़ेगा. अब पहले की तरफ शिंदे और पवार जैसे सहयोगी अपनी मनमर्जी से बीजेपी पर ये दवाब नहीं बना पाएंगे कि वह किसे कौन सा मंत्रीमंडल दे.
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