भीमा कोरेगांव हिंसा पर सुप्रीम कोर्ट पहुंची महाराष्ट्र सरकार (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:
भीमा कोरेगांव मामला: बॉम्बे हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती देने के लिए महाराष्ट्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है. बॉम्बे हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ में महाराष्ट्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की है, जिस पर सुप्रीम कोर्ट सुनवाई के लिए तैयार हो गया है. इस मामले की सुनवाई 29 अक्टूबर को होगी. बता दें कि बॉम्बे हाईकोर्ट ने पुलिस को आरोपपत्र दाखिल करने के लिए 90 दिन की मोहलत नहीं दी थी.
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बुधवार को ही बॉम्बे हाईकोर्ट ने कोरेगांव-भीमा हिंसा मामले में गिरफ्तार वकील सुरेंद्र गाडलिंग और अन्य आरोपियों के मामले में पुणे पुलिस को तगड़ा झटका दिया था. हाई कोर्ट ने आरोप-पत्र पेश करने के लिए पुलिस को दी गई 90 दिन की अतिरिक्त मोहलत के आदेश को रद्द कर दिया.
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हाईकोर्ट की एकल बेंच की जस्टिस मृदुला भाटकर ने कहा कि आरोप-पत्र पेश करने के लिए अतिरिक्त समय देना और गिरफ्तार लोगों की हिरासत अवधि बढ़ाने का निचली कोर्ट का आदेश गैरकानूनी है. हाईकोर्ट के इस आदेश से गाडलिंग और अन्य सामाजिक कार्यकर्ताओं की जमानत पर रिहाई का रास्ता खुल गया, लेकिन राज्य सरकार के अनुरोध पर जस्टिस भाटकर ने अपने आदेश पर स्टे लगाते हुए इस पर सुप्रीम कोर्ट में अपील करने के लिए राज्य सरकार को एक नवंबर तक का समय दिया.
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पुणे पुलिस ने गडलिंग के अलावा नागपुर के यूनिवर्सिटी के अंग्रेजी की प्रोफेसर शोमा सेन, दलित कार्यकर्ता सुधीर धवाले, सामाजिक कार्यकर्ता महेश राउत और केरल की रहने वाली रोना विल्सन को कोरेगांव-भीमा गांव में 31 दिसंबर 2017 और एक जनवरी 2018 को हुई हिंसा में 1 जून को गिरफ्तार किया था.
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