विज्ञापन

पहले कर्नल सोफिया अब लाड़ली बहना: विजय शाह ने 'महिला सशक्तिकरण' को बदला 'महिला उपस्थितिकरण' में !

Vijay Shah controversial statement: कैबिनेट मंत्री विजय शाह ने लाड़ली बहना योजना पर बयान देकर एक बार फिर सियासी विवाद खड़ा कर दिया है, जिसमें उन्होंने सरकारी मदद के बदले महिलाओं की हाज़िरी को ज़रूरी बताया. पहले कर्नल सोफिया कुरैशी पर टिप्पणी और अब इस बयान के बावजूद उन पर कोई कार्रवाई न होने से यह सवाल उठ रहा है कि क्या सत्ता की आदिवासी और महिला लाभार्थी राजनीति उन्हें बेखौफ बना रही है.

पहले कर्नल सोफिया अब लाड़ली बहना: विजय शाह ने 'महिला सशक्तिकरण' को बदला 'महिला उपस्थितिकरण' में !

Ladli Behna Yojana Vijay Shah: मध्य प्रदेश की राजनीति में एक बार फिर तब बवाल खड़ा हो गया, जब कैबिनेट मंत्री विजय शाह ने लाड़ली बहना योजना को लेकर एक विवादित बयान दे दिया. दरअसल रतलाम में एक कार्यक्रम के दौरान मंत्री शाह ने कहा कि अगर सरकार करोड़ों रुपये दे रही है, तो लाड़ली बहनों को मुख्यमंत्री का सम्मान करने के लिए आना चाहिए और जो नहीं आएंगी, उनकी जांच पेंडिंग कर दी जाएगी. इस बयान ने यह सवाल खड़ा कर दिया है कि क्या सरकारी योजनाएं आपका हक हैं या सत्ता के समर्थन के बदले शर्त. कांग्रेस ने इसे संविधान के खिलाफ बताया है, जबकि मंत्रीजी ने हमेशा की तरह अपनी गलती मानने के बजाय मीडिया पर दोष मढ़ दिया है.

लाड़ली बहना 'सशक्तिकरण' से 'उपस्थितिकरण' तक

मंत्री विजय शाह ने लाड़ली बहना योजना के मायने ही बदल दिए हैं. उनके अनुसार, यह योजना अब सिर्फ आर्थिक मदद नहीं, बल्कि सरकार को धन्यवाद देने का मौका भी है. उन्होंने साफ तर्क दिया कि जब सरकार ₹1500 की राशि दे रही है, तो जनता को अपनी भावनाएं, यानी उपस्थिति देनी चाहिए. रतलाम जिले में ढाई लाख लाड़ली बहनें हैं, लेकिन मंत्रीजी को उनमें से कम से कम पचास हजार की भीड़ चाहिए थी. उनका स्पष्ट संदेश था कि भीड़, लोकतंत्र में समर्थन का सबसे सस्ता और प्रभावी प्रमाण होती है. उन्होंने चेतावनी दी कि जो बहनें नहीं आएंगी, उनको 'हम' देखेंगे. उन्होंने तकनीकी तर्क देते हुए कहा कि आधार लिंक नहीं होने पर आवेदन अपने आप बंद हो जाएगा. इस तरह, जिस योजना का उद्देश्य 'महिला सशक्तिकरण' था, मंत्री जी ने उसे 'महिला उपस्थितिकरण' में बदल दिया है, जहां हक अब मदद नहीं, बल्कि एक निमंत्रण पत्र बन गया है.

Latest and Breaking News on NDTV

आदिवासी वोट बैंक और राजनीतिक आधार

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि विजय शाह पर कार्रवाई न होने की एक बड़ी वजह राज्य का आदिवासी वोट बैंक हो सकता है. मध्य प्रदेश में 230 सीटों में से 47 सीटें आदिवासियों के लिए आरक्षित हैं. 2023 के चुनाव में बीजेपी को इनमें 24 और कांग्रेस को 22 सीटें मिली थीं, जो दिखाता है कि यह वोट बैंक सत्ता की राजनीति का एक बड़ा आधार है. राज्य की करीब 22 प्रतिशत आदिवासी आबादी और लाड़ली बहना जैसी जन-कल्याणकारी योजनाएं, सत्ता के लिए निर्णायक साबित होती हैं.

विवाद बढ़ा तो मीडिया को ठहराया ज़िम्मेदार

बयान पर विवाद बढ़ता देख, मंत्री विजय शाह ने वही किया जो अक्सर सत्ता में होता है. उन्होंने बयान की गलती मानने के बजाय कहा कि उन्होंने कोई शब्द नहीं बिगाड़ा था, बल्कि मीडिया के कान खराब थे. यह पहली बार नहीं है जब मंत्री विजय शाह के बोल बिगड़े हों. इससे पहले, उनका कर्नल सोफिया कुरैशी पर दिया गया बयान भी सुर्खियों में आया था और सुप्रीम कोर्ट तक में गूंजा था. बावजूद इसके, सरकार ने उन पर कोई कार्रवाई नहीं की है. कांग्रेस नेता मुकेश नायक ने इस पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि मंत्री के बयानों से मनोरंजन होता है.

हक या शर्त: मुख्यमंत्री का आश्वासन

लाड़ली बहना योजना के तहत राज्यभर में करीब 1 करोड़ 27 लाख महिलाओं को हर महीने ₹1500 सीधे उनके खाते में दिए जा रहे हैं. मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने एनडीटीवी से बातचीत में आश्वासन दिया है कि सरकार महिलाओं से किया गया ₹3000 तक की राशि बढ़ाने का अपना वादा भी जल्द पूरा करेगी. हालांकि, मंत्री विजय शाह के बयान ने फिलहाल यह सवाल छोड़ दिया है कि क्या लोकतंत्र में वोटर को लाभार्थी बनाकर चुप कराया जाता है या सरकारी योजनाएं वास्तव में बिना किसी शर्त के नागरिकों का हक हैं.
ये भी पढ़ें: Illegal Sand Mining: एमपी में रेत माफिया बेलगाम, रेत से भरे ट्रैक्टर-ट्रॉली ने एसडीएम की गाड़ी को मारी टक्कर; बाल-बाल बचे अधिकारी

NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं

फॉलो करे:
Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com