- लाड़ली बहना योजना के हितग्राहियों की जांच को लेकर कैबिनेट मंत्री विजय शाह के बयान पर विवाद उत्पन्न हुआ.
- विजय शाह ने कहा था कि आने वाली हितग्राहियों की सहायता राशि में बढ़ोतरी की जाएगी, अन्यथा जांच लंबित रहेगी.
- विवाद के बाद मंत्री विजय शाह ने बयान का खंडन करते हुए महिला सशक्तीकरण के प्रयासों की बात कही.
मध्यप्रदेश सरकार द्वारा महिला सशक्तीकरण के लिए संचालित 'लाड़ली बहना योजना' की हितग्राहियों की जांच को लेकर काबीना मंत्री विजय शाह के कथित बयान पर विवाद उत्पन्न हो गया है. रतलाम में शनिवार को एक बैठक के दौरान शाह ने स्थानीय जन प्रतिनिधियों व अफसरों से चर्चा में कथित तौर पर इस आशय का बयान दिया था कि जिले में लाड़ली बहना योजना की महिला हितग्राही मुख्यमंत्री मोहन यादव के प्रस्तावित सम्मान समारोह में आएंगी, तो योजना के तहत उनकी मासिक सहायता राशि में 250 रुपये बढ़ा दिए जाएंगे, वरना उनकी जांच ‘पेंडिंग' (लंबित) करा दी जाएगी.
शाह ने बैठक में खुद यह प्रस्ताव रखा कि नए साल में लाड़ली बहना योजना की हितग्राहियों की ओर से रतलाम में मुख्यमंत्री का सम्मान समारोह आयोजित किया जाए और इस पर चर्चा की शुरुआत की थी. प्रदेश मंत्रिमंडल में जनजातीय कार्य विभाग, भोपाल गैस त्रासदी राहत एवं पुनर्वास विभाग और लोक परिसंपत्ति प्रबंधन विभाग संभाल रहे शाह, रतलाम के प्रभारी मंत्री हैं.
लाड़ली बहना योजना को लेकर अपने बयान पर विवाद उत्पन्न होने के बाद शाह ने रविवार को सफाई दी. उन्होंने ‘पीटीआई-भाषा' से कहा,‘‘मेरे बयान को तोड़-मरोड़कर पेश किया जा रहा है. मैं इस बयान को लेकर फैलाई जा रही भ्रामक खबरों का खंडन करता हूं. प्रदेश सरकार महिला सशक्तीकरण के लिए लगातार प्रयास कर रही है ताकि हमारी बहनों को आत्मनिर्भर बनाया जा सके. इसलिए इनके प्रति हमारे दिल में किसी दुर्भावना का सवाल ही नहीं उठता.''
कैबिनेट मंत्री ने कहा,‘‘मुझे जानकारी मिली थी कि कुछ अपात्र बहनें भी लाड़ली बहना योजना का लाभ ले रही हैं जिससे लोगों में नाराजगी है. हम लोगों ने अनौपचारिक बैठक में यह बात की थी कि इस योजना का लाभ केवल पात्र बहनों को मिलना चाहिए और अपात्र हितग्राहियों का निराकरण किया जाना चाहिए.''
लाड़ली बहना योजना सूबे के 2023 के विधानसभा चुनाव से चंद महीने पहले शुरू की गई थी. फिलहाल इस योजना के तहत 1.26 करोड़ से अधिक महिला लाभार्थियों को हर महीने सरकारी खजाने से 1,500-1,500 रुपये की सहायता राशि प्रदान की जाती है.
प्रदेश सरकार का वादा है कि 2028 तक इस योजना की हितग्राहियों को 3,000 रुपये की मासिक रकम मिलनी शुरू हो जाएगी. सियासी विश्लेषकों का मानना है कि इस योजना ने पिछले विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की जीत में अहम भूमिका निभाई थी.
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