फेसबुक ने कहा कि इन पेजों के एडमिन तथा एकाउंट होल्डरों ने स्थानीय ख़बरें तथा राजनैतिक मुद्दों से पोस्ट डालीं, जिनमें आगामी चुनाव, प्रत्याशियों के विचार, कांग्रेस के बारे में व BJP समेत राजनैतिक विपक्षियों की आलोचना की गई है.हमारे रिव्यू में पाया गया कि ये एकाउंट और पेज भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (INC) के IT सेल से जुड़े लोगों के थे.
फेसबुक द्वारा कांग्रेस पार्टी के पेज को रिमूव करने के दावे पर कांग्रेस ने पार्टी ने अपनी प्रतिक्रिया दी. पार्टी ने कहा कि हम आपके सामने यह साफ कर देना चाहते हैं कि फेसबुक ने आईएनसी के किसी पेज को रिमूव नहीं किया है. हमारे सभी वैरिफाइड एकाउंट को हमारे वालंटियर चलाते हैं और सभी सक्रिय रहे हैं. इन सब के बीच हम फेसबुक से उन पेज का लिस्ट मिलने का इंतजार कर रहे हैं जिन्हें हटाने की बात कही जा रही है.
गौरतलब है कि लोकसभा चुनाव की तारीखों की घोषणा करते समय निर्वाचन आयोग ने सोशल साइट का गलत इस्तेमाल करने की बात कही थी. साथ ही कहा था कि इस बार इन साइट्स की मदद से प्रचार पर खर्च किए जाने पैसे पर भी नजर रखी जाएगी. बता दें कि लोकसभा चुनावों में चुनाव आयोग ने सोशल मीडिया कंपनियों पर कड़ी नज़र रखने का फैसला किया था. फेसबुक, ट्विटर और यू -ट्यूब जैसी कंपनियों को निर्देश जारी किया गया था कि वे राजनीतिक विज्ञापन और राजनीतिक दलों की तरफ से रखे जा रहे कंटेट पर सख्ती से नज़र रखें.लोकसभा चुनाव को लेकर चुनावी अभियान तेज़ हो रहा है. सबसे ज़्यादा चुनावी सक्रियता सोशल मीडिया मंचों पर दिख रही है. अब इस मंच के दुरुपयोग को रोकने के लिए चुनाव आयोग ने कोड आफ कंडक्ट जारी कर दिया था.
सोशल मीडिया को लेकर चुनाव आयोग (EC) के निर्देश
- नामांकन दाखिल करने के दौरान उम्मीदवारों को सोशल मीडिया एकाउंट्स की जानकारी देनी होगी.
- सोशल मीडिया पर सभी राजनीतिक विज्ञापनों का प्री-सर्टिफिकेशन अनिवार्य होगा.
- चुनाव आयोग ने गूगल, फेसबुक, ट्वीटर और यू-ट्यूब को राजनीतिक दलों के विज्ञापनों को वेरिफाई करने को कहा.
- सोशल मीडिया पर विज्ञापनों पर खर्च को चुनावी खर्च का हिस्सा माना जाएगा.
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अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने कहा था कि सोशल मीडिया पर पॉलिटिकल एडवर्टाइजमेंट को रेगुलेट करने के लिए चुनाव आयोग ने जो दिशानिर्देश और आचार संहिता लागू की है उसको हम भी मानेंगे और सभी को मानना चाहिए. लोकसभा चुनाव में सोशल मीडिया का एंटी सोशल इस्तेमाल न हो, यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए.
कांग्रेस के प्रवक्ता प्रणव झा ने कहा था कि चुनाव आयोग को ये निर्दश काफी पहले जारी करने चाहिए थे. सिर्फ निगरानी से सोशल मीडिया का दुरुपयोग रोकना संभव नहीं होगा.
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इंडियन सोशल मीडिया कंपनी शेयरचैट को चुनाव आयोग ने निर्देश दिया था कि वह तीन घंटे के अंदर किसी भी आपत्तिजनक कन्टेंट को ऐप से निकाल दें. एनडीटीवी से बातचीत में शेयरचैट के पब्लिक पालिसी हेड बर्जेज़ मालू ने ये बात कही थी
शेयरचैट चुनावों के दौरान अपने ग्राहकों की गतिविधियों पर नज़र रखेगा. आपत्तिजनक कन्टेंट डालने के दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की तैयारी है. 300 से अधिक बीजेपी, कांग्रेस और आंध्र-तेलंगाना के नेता शेयरचैट पर सक्रिय हैं. शेयरचैट 24 घंटे ग्राहकों की गतिविधियों पर नज़र रख रहा है. महाराष्ट्र के सीएम फडनविस और बीजेपी नेता मनोज तिवारी के सबसे ज़्यादा फोलोअर्स हैं.
VIDEO: सोशल मीडिया पर नजर रखने की जरूरत?