संस्कृत को प्राचीन भारतीय संस्कृति को समझने के लिए एक महत्वपूर्ण भाषा करार देते हुए कांग्रेस के वरिष्ठ नेता डा. कर्ण सिंह ने आज कहा कि इस भाषा में निहित ज्ञान-विज्ञान को आधुनिक संदर्भो में समझने की आवश्यकता है. सिंह ने आज भाषाविद्, सांस्कृतिक चिंतक एवं आलोचक आचार्य देवेन्द्र नाथ शर्मा के जन्म शताब्दी वर्ष में आयोजित एक समारोह में कही. उन्होंने कहा कि संस्कृत में निहित ज्ञान-विज्ञान को सामने लाने के लिए विभिन्न संस्थाओं को काम करने की जरूरत है.
उन्होंने इस अवसर पर मारीशस में हुए द्वितीय विश्व हिन्दी सम्मेलन में अपने अनुभवों का साझा किया. उन्होंने कहा कि मारीशस विश्व हिन्दी सम्मेलन में गये भारतीय प्रतिनिधमंडल की उन्होंने तत्कालीन केन्द्रीय मंत्री के रूप में अगुवाई की थी और देवेन्द्र शर्मा उस प्रतिनिधिमंडल के सदस्य थे.
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ने बताया कि मारीशस जाते समय उन्होंने हवाई जहाज में ही साहित्यकारों के बीच एक अनौपचारिक कवि सम्मेलन भी करवाया था. उन्होंने नयी पीढ़ी से आचार्य शर्मा के प्रयासों से सीख लेने का भी सुझाव दिया.
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
उन्होंने इस अवसर पर मारीशस में हुए द्वितीय विश्व हिन्दी सम्मेलन में अपने अनुभवों का साझा किया. उन्होंने कहा कि मारीशस विश्व हिन्दी सम्मेलन में गये भारतीय प्रतिनिधमंडल की उन्होंने तत्कालीन केन्द्रीय मंत्री के रूप में अगुवाई की थी और देवेन्द्र शर्मा उस प्रतिनिधिमंडल के सदस्य थे.
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ने बताया कि मारीशस जाते समय उन्होंने हवाई जहाज में ही साहित्यकारों के बीच एक अनौपचारिक कवि सम्मेलन भी करवाया था. उन्होंने नयी पीढ़ी से आचार्य शर्मा के प्रयासों से सीख लेने का भी सुझाव दिया.
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